सवालों के घेरे में सवाल
भले ही यह बात किसी को न गवार लगेए लेकिन हकीकत तो यही है कि अभिनेत्री श्रीदेवी की मौत शासक वर्ग के लिए सोने पर सुहागा बन गया है। भले ही श्रीदेवी ने जीते जी औरों के सिवा सिर्फ अपने लिए किया होए परन्तु मरते.मरते श्रीदेवी शासक वर्ग को मजबूत ही करते गयी। दरअसल श्रीदेवी की मौत ने शासक वर्ग को वो मौका दे दियाए जिससे शासक वर्ग एक साथ कई मुद्दों को दबाने में कामयाब हो गया है। काफी छानबीन और गहराईयों में जाने के बाद पता चलता है कि एक नये मुद्दे को तूल देने के लिए ही अभिनेत्री श्रीदेवी के शव को ष्तिरंगेष् में लपेटा गयाए ताकि इस नये मुद्दे के शोरशराबों के बीच एक साथ कई मुद्दों की आवाज को दबाया जा सके। मजेदार बात तो यह है कि लोग अक्सर कहा करते हैं कि मरने के बाद मरने वाला कुछ नहीं कर सकता हैए मगर आज दावे के साथ कहा जा सकता है कि जो काम जीते.जी कोई नहीं कर सकता वह मरने के बाद कर सकता है जैसे श्रीदेवी ने किया है। आज एक बात और सही साबित हो गयी है कि यादि लाश भी शासक वर्ग के हाथ लग जाय तो शासक वर्ग उसका भी इस्तेमाल अपनी व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
आज श्रीदेवी की मौत को लोग बड़ा इत्तेफाक समझ रहे हैं कि साल 1997 में 28 फरवरी को श्रीदेवी की फिल्म जुदाई रिलीज हुई थी और साल 2018 में इसी दिन वो इस दुनिया से अंतिम जुदाई ले गईं। मगर लोगए ष्चुल्लु भर पानी में डूब मरनेष् वाली इस कहावत को भूल ही गये। क्योंकि श्रीदेवी की मौत ने ष्चुल्लु भर पानी में डूब मरनाष् वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है। 24 फरवरी की रात दुबई के एक होटल में नशे में बुत होकर बाथटब ;चुल्लु भर पानीद्ध में नाक रगड़कर अंतिम सांस लेने वाली श्रीदेवी को मंगलवार रात अँधेरी के लोखंडवाला स्थित ग्रीन एकर्स में श्रीदेवी का पार्थिव शरीर लाया गया और बुधवार सुबह श्रीदेवी के शव को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर आखिरी सफर शुरू किया गया। घर से श्मशान भूमि का फासला महज 5 किलोमीटर के करीब था और महाराष्ट्र राज्य सरकार ने रास्ते भर में पुलिस दल और सीआरपीएफ के जवानों का पूरा बंदोबस्त किया था तथा श्रीदेवी को अंतिम संस्कार के दौरान बंदूकों से सलामी के साथ राजकीय सम्मान भी दिया गया। राजकीय सम्मान का मतलब है कि सारा इंतजाम राज्य सरकार की तरफ से किया गयाए जिसमें पुलिस से लेकर सीआरपीएफ तक पूरा बंदोबस्त था। शव को तिरंगे में लपेटने के अलावा उन्हें बंदूकों से सलामी भी दी गई थीए जबकि आम तौर पर ऐसा राजकीय सम्मान बड़े नेताओं को दिया जाता हैए जिनमें प्रधानमंत्रीए मंत्री और दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे लोग शामिल होते हैं। जिस व्यक्ति को राजकीय सम्मान देने का फैसला किया जाता है उनके अंतिम सफर का इंतजाम राज्य या केंद्र सरकार की तरफ से किया जाता है। शव को तिरंगे में लपेटा जाता है और गन सैल्यूट भी दिया जाता है। जबकि पहले राजकीय सम्मान चुनिंदा लोगों को ही दिया जाता थाए लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है। अब स्टेट फ्यूनरल या राजकीय सम्मान इस बात पर निर्भर करता है कि जाने वाले व्यक्ति का क्या ओहदा या कद है। पहले सरकार साहित्यए कानून और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में राजकीय सम्मान देती थी बाद में इसमें राजनीतिए खेल और सिनेमा जैसे क्षेत्रों में भी राजकीय सम्मान दिया जाने लगा।
लेकिन इसी दौरान एक बात की चर्चा ने पूरे देश में हलचल मचा दियाए आखिर श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में क्यों लपेटा गयाघ् श्रीदेवी ने देश के लिए क्या बलिदान दिया हैघ् श्रीदेवी को राजकीय सम्मान क्यों दिया गयाघ् क्या किसी फिल्मी सितारे के निधन की तुलना सरहद पर मारे जाने वाले सैनिकों से की जा सकती हैघ् क्या बॉलीवुड में काम करना देश की सेवा करने के बराबर हैघ् आदि.आदि सवाल लोगों ने खड़े करना शुरू कर दिए। सवाल तो हजारों हैंए हर सवाल का उठना जायज भी है। मगर इन सवालों में भी एक सवाल है क्या इस पर किसी ने ध्यान दिया है या जानबूझकर इसे अनजान कर रहा हैघ् वह सवाल यह है कि श्रीदेवी के शव पर सवाल क्यों उठाये जा रहे हैंघ् क्या ऐसा नहीं लगता है कि सवाल खड़ा करने के लिए ही श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में लपेटा गया यदि गहराईयों तक जाकर देखा जाए तो पूरे यकीन के साथ कहा जा सकता है कि श्रीदेवी के शव पर सवाल उठाने के लिए ही उसके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था। क्योंकि सवाल जितना ज्यादा उठेंगे उतना ही ज्यादा शासक वर्ग अपने मकसद में कामयाब होगा। इन सवालों को उठाने के पीछे जो भयंकर षड्यंत्र है वह यह है कि संघ संचालित मोदी सरकार जहां एक तरफ राजनीतिक फसल काटने के लिए देश में अत्याचारए अन्यायए आतंकी हमलेए दंगा.फसाद आदि करवा रही है तो वहीं दूसरी तरफ हिन्दुत्व को बढ़ावा देने के लिए मूलनिवासी बहुजनों का कत्लेआम करवा रही है। इसी के साथ मोदी सरकार में भ्रष्टाचार इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि दुनिया के 108 भ्रष्ट देशों की सूची में नंबर वन देश घोषित हो गया है। मोदी सरकार में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैंए बच्चे सुरक्षित नहीं हैंए बेरोजगारीए गरीबीए भुखमरी में गरीबों को मौत का निवाला बनाया जा रहा हैए चारों तरफ गुंडों का तांडव मचा हुआ है। दिनदहाड़े मूलनिवासियों को जिंदा जलाया जा रहा तो कहीं दिनदहाड़े उनकी पीट पीटकर हत्याएं की जा रही हैं।
एक तरह किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जा रहा है तो दूसरी ओर जवानों को मौत के मुंह में ढकेला जा रहा है। न तो महंगाई कम हुई न तो भ्रष्टाचार कम हुआए बल्कि देश के बैंकों को लूटने के लिए मोदी ने बैंक सफाई अभियान भी शुरू कर दिया है। इकोनॉमी चौपट हो चुकी हैए विकास दर निचले स्तर पर जा पहुंची है। शिक्षाए स्वास्थ्य व्यवस्था को घटिया बना दिया गया है। मोदी की सारी योजनाएं टॉय.टॉय फिस्स हो चुकी हैं। यानी मोदी सरकार ने देश में इतनी ज्यादा समस्याओं का निर्माण कर दिया गया है कि आज मोदी के विरोध में आवाजे उठने लगी हैं। यही नहीं भारत मुक्ति मोर्चा ने ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर इतना जोरदार प्रहार किया है कि ब्राह्मणवाद जड़ से हिल गया है जिससे आरएसएस में भूचाल आ गया है। शासक वर्ग इन सभी मुद्दों को दबाने के लिए प्लान ही बना रहा था कि श्रीदेवी की मौत ने शासक वर्ग को एक मौका दे दिया। शासक वर्ग ने प्लान बनाया कि यदि उक्त बहुजन विरोधी मुद्दों को दबाना है तो एक नया मुद्दा बनाना होगा और यह मुद्दा तभी बन सकता है जब श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाय और उसका राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया जाय। इसलिए शासक वर्ग ने न केवल श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटाए बल्कि राजकीय सम्मान देकर देश भर में सवाल खड़ा करवा दियाए जिसको मीडिया ने भी मसाला लगा कर पेश किया। जिसके शोरशराबे की आवाज में बहुजन विरोधी सभी मुद्दे गायब हो जाय।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें