शुक्रवार, 2 मार्च 2018

चीन की सुपर आर्मी से भारत को खतरा






चीन के पास सबसे घातक हथियार जिनकी काट भारत के पास नहीं है
दै.मू.ब्यूरो/नई दिल्ली
केन्द्र की मोदी सरकार भले ही देश को महाशक्तिशाली देश घोषित करने का दम भर रही हो, मगर सच तो यही है कि आज भी भारत चीन सामने नहीं टिक सकता है। मोदी सरकार चीन को जहां अपनी औकात में रहने की बार-बार धमकी पर धमकी दे रही है वहीं चीन भारत के लिए मुसिबत बनता जा रहा है। आज चीन ने सुपर आर्मी बनाकर महाशक्तिशाली देश भारत को खतरे में डाल दिया है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन ऐसे-ऐसे घातक हथियार बना चुका है जो भारत के लिए न केवल सपना है, बल्कि भारत के लिए उन घातक हथियारों का काट बना पाना मुश्किल भी है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि चीन की अकड़ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, वह दुनिया पर अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है। इस क्षेत्र में दबदबा कायम करने के लिए दक्षिण चीन सागर पर वो अपना अधिकार जताता रहा है। वहीं रवैया आज भारत के साथ भी अपना रहा है। 73 दिनों तक चीनी सेना डोकलाम में डटी रही, लंबे गतिरोध के बाद भले ही चीनी सेना वापस लौट गई, लेकिन सीमा-विवाद अभी भी टला नहीं, बल्कि उससे भी ज्यादा बढ़ गया है। गौरतलब है कि चीन भारत को सबक सिखाने के लिए एक नई सुपर आर्मी बना रहा है। इस सुपरआर्मी के पास ऐसे पांच घातक हथियार हैं जिनकी काट भारत के पास उपलब्ध नहीं है और न ही उपलब्ध होने की कोई सम्भावना ही है। चीन के पास जमीन से लेकर हवा तक और हवा से लेकर पानी तक की जंग में ये हथियार ब्रह्मास्त्र की ताकत देंगे। अगर भारत को चीन के दबदबे से बचना है, उसका डटकर मुकाबला करना है तो भारत को इन घातक अस्त्रों की काट विकसित करनी होगी जो भारत में संभव नहीं है।
आपको बताते चलें कि वू-14 हाइपरसॉनिक वेपंस सिस्टम नामक चीन का सबसे खतरनाक हथियार है जिसने अमेरिका ही नहीं का भारत सहित पूरे विश्व को हैरत में डाल दिया है। यह एक ऐसा हथियार है जो बेहद तेज रफ्तार से चलता है, किसी भी मिसाइल से तेज, किसी भी लड़ाकू विमान या रडार की पहुंच से भी दूर रहता है जिसको पकड़ पाना मुश्लिक है। चीन के पश्चिमी हिस्से से अगर परमाणु बम ले जाने में सक्षम ये हथियार भारत की ओर फायर हुआ तो 10 मिनट से भी कम वक्त में दिल्ली तक पहुंच जाएगा और बीस मिनट से भी कम वक्त में बेंगलुरू तक पहुंच जायेगा। बताया जा रहा है कि इसके आसमान में उड़ने की रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से 10 गुना तक ज्यादा है। इस हथियार के भीतर से एक पतला अस्त्र निकला और ये अस्त्र ही ब्लेड है, ये 6173 से लेकर 12359 किलोमीटर की रफ्तार से चलता है और इस ब्लेड के भीतर परमाणु बम रखा जा सकता है।  चीन का दावा है कि ये ब्लेड दुनिया की किसी भी मिसाइल से कहीं तेज उड़ती है। जबकि इसका आइडिया सबसे पहले अमेरिका में जॉर्ज बुश के वक्त आया था। क्योंकि 19 11 के आतंकवादी हमले के बाद ऐसे ब्लेड वेपन विकसित करने का प्लान बनाया गया था जो दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर सके, लेकिन चीन ने जुगाड़ तकनीक से ये ब्लेड बना लिया जो अमेरिका के लिए चुनौती है।
चीन का दूसरा अस्त्र दरअसल समुद्र में तैरता हुआ शहर होगा, चीन बेहद आधुनिक एयरक्राफ्ट करियर बना रहा है। एक ऐसा विशालकाय जहाज जिसपर एक बार में 50 लड़ाकू विमान तैनात रह सकेंगे। जानकारों का कहना है कि चीन ने यहां भी मेड इन चाइना का तिलिस्म रचा है। यदि समुद्र की जंग छीड़ जाय तो चीन भारत के लिए आफत खड़ा कर सकता है। अगर भारत इसे रोकने की कोशिश भी करेगा तो चीन जिस तरह के एयरक्राफ्ट करियर यानि समुद्र में तैरते लड़ाकू विमानों के शहर विकसित कर रहा है उसके आगे भारत की तैयारी धरी की धरी रह जयेगी। 
चीन का तीसरा हथियार है उसकी सेना की एक खास विंग, जिसके पास उसकी मिसाइलों की तैनाती का अधिकार है। इस खास विंग का नाम है सेकेंड आर्टिलरी कोर जो भारत के लिए आने वाले वक्त में आफत पैदा कर सकता है। इस विंग के पास है भारत में तबाही मचाने वाली मिसाइलों का फायर बटन जिनमें खास है डीएफ एंड 15-सी मिसाइल। इसकी जद में एक ही बार में पूरा उत्तर भारत आ सकता है। क्योंकि 804-997 किलोमीटर तक मार करने वाली यह मिसाइल बेहद खतरनाक है। अगर चीन तिब्बत की किसी सड़क से ये मिसाइल फायर करे तो वो लखनऊ तक आसानी से मार कर सकती है। बताया जा रहा है कि इस मिसाइल में चीन ने विशेष टर्मिनल गाइडेंस सिस्टम लगाया है जो किसी भी सैनिक ठिकाने की आसानी से पहचान कर सकता है।
चीन का चौथा खतरनाक हथियार है क्रूज मिसाइल डीएच-18 ये क्रूज मिसाइलें भारत के लिए शायद सबसे बड़ा खतरा हैं। चीन की इस मिसाइल से पूरी दुनिया डरी हुई है, क्योंकि चीन इस मिसाइल में बिल्कुल नई तकनीक का इस्तेमाल किया है और इस तकनीक को उसने दुनिया से छुपाकर रखी है। कहा जा रहा है कि ये क्रूज मिसाइलें आसमान की टोह लेने वाले रडारों को आसानी से धोखा दे सकता है। यहां तक कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि डीएच-10 मिसाइलों की रेंज भी टॉम हॉक की रेंज यानि 1514 किलोमीटर की है। इसे जमीन, हवा या समुद्र कहीं से भी छोड़ा जा सकता है और तो और ट्रक में लगे लॉन्चर से एक बार में तीन मिसाइलें एक साथ छोड़ी जा सकती हैं।
चीन का पांचवां हथियार और भी ज्यादा बेहद खतरनाक है। ये है उसका पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान चेंगदू जे-20, कहा जा रहा है कि ये विमान स्टेल्थ फाइटर होगा जो रडार की पकड़ में नहीं आएगा. इस विमान की खासियत ये है कि उसे लड़ाकू विमान की तरह और बमवर्षक की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि इस लड़ाकू विमान में खास इलेक्ट्रो ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम होगा, यानि एक बार निशाना तय होने के बाद वो चूकेगा ये विमान एक बार में पूरे भारत के ऊपर से उड़कर चीन लौट सकता है। रक्षा विशेषज्ञों को डर है कि ये विमान दरअसल चीन की सेकेंड आर्टिलरी कोर की मिसाइलों के हमले के बाद उड़ेंगे और भारी बम गिराकर वापस लौट जाएंगे। उड़ान के लिए चीन तिब्बत के एयरबेस का इस्तेमाल कर सकता है। तिब्बत में ऐसे पांच एयरबेस हैं जहां से जे-20 उड़ान भरने में सक्षम होगा। 
अब सवाल यह है कि महाशक्तिशाली देश भारत है या चीन? क्या ऐसे में भारत चीन के सामने टिक कसता है? इसके बाद भी मोदी सरकार देश की जनता को उल्लू बनाने के लिए भारत को महाशक्तिशाली देश होने का ढोल पीट रही है जबकि हकीकत यह है कि चीन के सामने भारत की कोई औकात ही नहीं है।

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