लालू यादव भ्रष्टाचार के मामले में नहीं भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने की जुर्म में गए जेल-रोहिणी आचार्य
दै.मू.ब्यूरो/पटना
यह एक सनसनीखेज खबर से कम नहीं है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में फंसाने के पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है। वह षड्यंत्र यह है कि लालू को इसलिए चारा घोटाले में नहीं फंसाया गया है कि वे चारा घोटाले में मुख्य आरोपी हैं, बल्कि इसलिए फंसाया गया है कि वे लगातार भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलते हैं। इस बात का खुलासा कोई और नहीं, बल्कि लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने सीबीआई कोर्ट के उस लिखित दस्तावेज का हवाला देते हुए किया है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि लालू जी पर पैसों के लेन-देन (भ्रष्टाचार) का आरोप नहीं है, उन पर साजिश (120-बी) करने का आरोप है। सीबाआई का वह लिखित दस्तावेज उनके पास मौजूद है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि देश का कानून ऐसा है कि किसी भी बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए चाहे सौ गुनाहगार छूट जाए। अभी तक पता था कि कानून अंधा है और जो तथ्य उनके सामने पेश किये जाते हैं उसी के आधार पर कोर्ट फैसला देता है, मगर इस मामले में यहां कुछ और ही दिख रहा है। लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से आरोप लगाया कि जज साहब ने सीबीआई के वकील की दलील को प्राथमिकता दी जो कहती है कि लालू स्वस्थ है। वो केंद्र सरकार के विरुद्द विपक्ष की लामबंदी की अगुवाई कर रहे है और तो और उन्होंने विगत अगस्त महीने में देश की 20 पार्टियों को बुलाकर पटना में बड़ी रैली आयोजित की। वो केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ लगातार आक्रामक रहते है।
रोहिणी ने कोर्ट के आर्डर का कॉपी का कटिंग को शेयर करते हुए बताया कि जज साहब ने अपने फैसले में लिखा है कि कैसे एक गरीब घर में पैदा होने के बावजूद दोषी लालू प्रसाद राजनीति में आया ही नहीं, बल्कि अपनी एक राजनीतिक पार्टी भी बना ली है। उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष है और तो और समय आने पर अपनी पत्नी को भी मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने आगे कहा कि इन सब रिर्माक का केस से कोई लेना-देना नहीं फिर भी फैसले में है। हम तो यही सुनते और पढ़ते आए है कि कोर्ट सबूतों पर चलता है धारणाओं पर नहीं। इसके आगे उन्होंने लिखा है कि आपको बता दूँ कि लालू जी पर पैसों के लेन-देन (भ्रष्टाचार) का आरोप नहीं है, उन पर साजिश 120-बी करने का आरोप है।
रोहिणी के अनुसार न्यायालय का अब शायद यही मानना है कि किसी जिलाधिकारी, विभागीय सचिव, वित सचिव, निगरानी विभाग, ऑडिट विभाग, विभागीय मंत्री का कहीं कोई दोष नहीं है, मुख्यमंत्री लालू प्रसाद खुद अकेले जिले के खजाने में गए और पैसा निकाल कर ले लाए। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि लालू प्रसाद ने तो सिर्फ साजिश की है। तो बड़ा सवाल यह है कि पैसा कौन खाया? कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया और सीधे मुख्यमंत्री को फंसा दिया। इससे साबित होता है कि लालू यादव भ्रष्टाचार के मामले में नहीं भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने की जुर्म में जेल गए हैं। कोर्ट में अभी भी केवल गरीब बेसहारों का विश्वास कायम है, मगर पैसे वाले को तो कानून से खेलते हुए देखा है। अब भले ही हजारों माल्या, नीरव, साह आदि छूट जाए मगर लालू यादव को मत छोड़ना, उसने मोदी के खिलाफ सिर उठाने की जुर्रत की है।
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