शर्त पर समझौता?
अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के साथ समझौते पर आतुर केन्द्र
दाऊद इब्राहिम शर्तो पर लौटना चाहता है भारत
दै.मू.ब्यूरो/मुम्बई
♦ अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम ने केन्द्र की संघ नीति वाली मोदी सरकार के सामने दो शर्तों को रखकर, दैनिक मूलनिवासी नायक द्वारा उजागर किये गये उन सच्चाईयों पर मुहर लगा दिया है जो आज से करीब दो महीने पहले उजागर किया था कि आरएसएस के इशारे पर भाजपा अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम की गिरफ्तारी को लेकर झूठी अफवाहें फैलाकर अपनी राजनीति का एक नया मुद्दा खड़ा करना चाहती है। आज वह बात 100 प्रतिशत सच साबित हुआ है।
मुंबई 1993 बम ब्लास्ट का मास्टर माइंड और भारत का वांछित अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम भारत लौटना चाहता है, लेकिन उसकी दो शर्तें है। दाऊद इब्राहिम का कहना है कि वह भारत में तभी आयेगा जब भारत सरकार उसके दोनों शर्तों को मंजूरी देगी। पहली शर्त यह है कि उसे उच्च सुरक्षा वाली आर्थर रोड सेंट्रल जेल में ही रखा जाए, जिसमें 26/11 मुंबई हमलों में पकड़े गए अजमल कसाब को रखा गया था और उसको इसी जेल में फांसी दी गई थी। जबकि दलाल मीडिया ने पहली शर्त को तो उजागर किया है, लेकिन दूसरी शर्त क्या है उसको छिपा दिया है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने एक सनसनीखेज खबर का हवाला देते हुए बताया कि अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम ने मनुवादी सरकार के सामने दो शर्ते रखीं हैं, जिनके मंजूर होने पर वह भारत लौट आएगा। इस बात का खुलासा तब हुआ जब दाऊद के भाई इकबाल कासकर के वकील श्याम केसवानी ने मंगलवार 06 मार्च 2018 को यह जानकारी ठाणें की एक अदालत में दी। गौरतलब है कि इकबाल कासकर के खिलाफ अवैध वसूली के एक मुकदमे की सुनवाई में पहुंचे श्याम केसवानी ने दाऊद की कुछ साल पहले रखी मांग को दोहराते हुए कहा कि दाऊद देश लौटना चाहता है, लेकिन उसकी कुछ शर्ते हैं। यदि सरकार इन शर्तों को मंजूरी दे, दे तो वह न केवल अपनी अंतिम सांस भारत में लेना चाहता है, बल्कि इन्हीं शर्तों के साथ दाऊद अपने खिलाफ सभी मामलों का सामना करने को भी तैयार है। श्याम केसवानी ने बताया कि दाऊद की पहली शर्त यह है कि उसे उच्च सुरक्षा वाली आर्थर रोड सेंट्रल जेल में ही रखा जाए। आर्थर रोड सेंट्रल जेल में ही 26/11 मुंबई हमलों में पकड़े गए अजमल कसाब को रखा गया था और कसाब को इसी जेल में फांसी भी दी गई थी। केसवानी ने कहा कि जब अबु सलेम की शर्तें मानी जा सकती हैं तो फिर दाऊद के मामले में क्या समस्या है? इसी के साथ केसवानी ने बताया कि दाऊद ने पूर्व मंत्री और वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी के माध्यम से कुछ साल पहले भी वापस आने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन सरकार ने उस वक्त शर्तों को स्वीकार नहीं किया था। खबरों के मुताबिक दावा किया गया है कि दाऊद कुछ समय से बीमार है और वह अपनी अंतिम सांस भारत में लेना चाहता है। क्योंकि दाऊद को अब पाकिस्तान में चल रहे इलाज पर भरोसा नहीं है। ऐसी चर्चा भी है कि दाऊद का नेटवर्क कमजोर हो चुका है और आईएसआईएस से भी उसको कोई मदद नहीं मिल रही है। ऐसे में भारत आना उसकी मजबूरी बन गयी है।
हैरान करने वाली बात यह है कि जिस दाऊद को पकड़ने के लिए सरकार ने दिन-रात एक कर दिए आज उतनी ही आसानी से दाउद कैसे आ सकता है? मनुवादी सरकार ने उसके शर्त को पहले क्यों ठुकरा दिया था और अब उसी शर्त को मंजूरी देने के लिए क्यों उतावली हो रही है? दिलचस्प बात तो यह है कि दाउद ने ऐसे समय में शर्त रखी है जिस समय भारत में चुनावी तैयारी जोरों पर चल रही है। यदि केन्द्र सरकार दाऊद के शर्त को मंजूरी देती है तो इसके पीछे वही खतरनाक षड्यंत्र है जो आज से करीब दो महीने पहले दैनिक मूलनिवासी नायक नायक ने प्रकाशित किया था कि यहां दाल में कुछ काला होने के बजाए, पूरी दाल ही काली नजर आ रही है।
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