मंगलवार, 27 मार्च 2018

हिमाचल में एससी, एसटी सीटों पर ब्राह्मणों का कब्जा, सामान्य वर्ग से भरी जाएंगी एससी-एसटी की खाली सीटें-कोर्ट

हिमाचल में एससी, एसटी सीटों पर ब्राह्मणों का कब्जा
सामान्य वर्ग से भरी जाएंगी एससी-एसटी की खाली सीटें-कोर्ट


दै.मू.एजेंसी/शिमला
आज देश में ब्राह्मणों का अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षित सीटों पर तेजी के साथ कब्जा हो रहा है। एससी, एसटी के लोग अभी मनुवादी सरकार द्वारा एससी, एसटी एक्ट को प्रभावशून्य करने के षड्यंत्र से संतुष्ट नहीं हुए हैं कि हिमाचल की भाजपा सरकार ने एससी, एसटी के आरक्षित खाली सीटों को सवर्णों से भरे जाने का आदेश देकर मूलनिवासी छात्रों को एक और नई मुसीबत में खड़ी कर दिया है। 
दैनिक मूलिनवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के पीजी कोर्स की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर अब सामान्य वर्ग के छात्रों का दाखिला करने का आदेश जारी कर सबको चौंका दिया है। एचपीयू की तरफ से यह बताया गया है कि ये वह सीटें होंगी, जो खाली रह जाती हैं। एचपीयू नए शैक्षणिक सत्र से यह व्यवस्था लागू करने जा रहा है। इसे बाकायदा पीजी कोर्स के प्रोस्पेक्टस में भी शामिल किया जाएगा। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय यह व्यवस्था हाईकोर्ट के आदेश पर करेगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि एससी-एसटी वर्ग की आरक्षित सीटें यदि खाली रह जाती हैं तो उन्हें भरने के लिए सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों का दाखिल किया जाए।
आपको बताते चलें कि बीते दिनों विश्वविद्यालय में हुई डीन कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है। इस फैसले के लागू होने से किसी भी विभाग में इन दोनों आरक्षित वर्ग की सीटें खाली नहीं रहेंगी। सामान्य वर्ग में प्रवेश की पात्रता को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को आरक्षित सीटों के लिए प्रवेश मिल सकेगा। विश्वविद्यालय अब तक पीजी और अन्य एमफिल व पीएचडी कोर्स में प्रदेश सरकार द्वारा तय आरक्षण रोस्टर को ही लागू करता है। विश्वविद्यालय में वर्तमान में आठ संकाय में 28 पीजी डिग्री और डिप्लोमा कोर्स चलाए जा रहे हैं। इनमें जहां मेरिट के आधार पर प्रवेश होता है, वहां तय रोस्टर लागू किया जाता है। सेल्फ फाइनांसिंग कोर्स में भी सब्सिडाइज्ड और नान सब्सिडाइज्ड श्रेणी है, मगर कई कोर्सों में आरक्षण रोस्टर लागू नहीं होता है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि एचपीयू ने मूलनिवासी छात्रों को शिक्षा से वंचित करने के लिए षड्यंत्रपूर्वक प्लान बनाया और प्लान के अनुसार हाईकोर्ट के माध्यम से आरक्षित सीटों पर ब्राह्मणों का कब्जा करवाया जा रहा है। इस बात का अंदाजा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजिंद्र सिंह चौहान के बयान से ही लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेशों को एचपीयू नए सत्र से लागू करने जा रहा है। आरक्षित एससी और एसटी वर्ग की सीटों को पात्र उम्मीदवार न मिलने पर सामान्य वर्ग के छात्रों को अवसर दिया जाएगा। जबकि एससी, एसटी के छात्रों का दाखिला लेने के लिए लाईन लगी है। फिर यह किस आधार पर कहा जा रहा है कि एससी, एसटी वर्ग की सीटों पर उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है? यदि देखा जाय तो सुप्रीम कोर्ट से लेकर शासन-प्रशासन की सभी मशीनरियों पर मनुवादी लोगों का पूर्णरूप से कब्जा होने का परिणाम है कि आज अनुसूचित जाति, जनजाति सहित अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। अभी हाल ही में केन्द्र की संघ संचालित मोदी सरकार ने एससी, एसटी एक्ट को प्रभावशून्य कर इसका सबूत भी दे दिया है।

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