बुधवार, 28 मार्च 2018

आसाराम और रामरहीम का बाप है बाबा रामदेव : प्रियंका पाठक



भारत में चमत्कारी, कारोबारी और अैयाश बाबाओं की भरमार है. ये बाबा लोग कहने को तो अपने आप को अध्यात्मगुरु, धर्मगुरु, सदाचारी, ब्रह्मचारी बताते हैं. मगर, इनके अपने काम धंधे होते किसी माफिया, डॉन और आतंकवादी जैसे हैं. कोई बाबा समोसा खिलाकर लड़का पैदा करने का दावा करता है तो कोई चूरन बेचकर अरबपति बन जाता है. यही नहीं, इन बाबाओं पर सरकारें भी बड़ी मेहरबान रहती हैं. इनको करोड़ों रूपए की छूट मिलती है. इनको जेड प्लस सुरक्षा भी मिल जाती है. वहीं आम आदमी धक्के खता है और ये बाबा लोग अपने आडम्बर से रचे मायाजाल के बल पर राज करते हैं. ये तथाकथित बाबा जब पकडे जाते हैं तब इनकी असलियत सामने आती है. उससे पहले तो देश के बड़े बड़े नेता इनके चरण चाटते नहीं अघाते हैं. आशीर्वाद लेते हैं और उसके बदले में उनको मोटी रकम देते हैं. पोल खुलने पर पता चलता है कि बाबाओं का किसी माफिया के जैसा गैंग है, हवाला, तस्करी, हत्या, बलात्कार और आतंकवाद से इनके सम्बन्ध निकलते हैं.


अभी तक पकडे गए सभी बाबा नम्बरी हरामी टाइप के सामने आये हैं. अयाशी करना इनकी फितरत में होता है. बाबा गुरमीत, राम रहीम, महान संत आसाराम बापू, श्री श्री रविशंकर, निर्मल बाबा, दाती महराज, बाबा भीमानंद, बाबा नित्यानंद, स्वामी चिन्मयानंद, बाबा रामदेव आदि-आदि भारत के चर्चित धर्मगुरु, अध्यात्मगुरु हैं. इन सभी का जीवन रहस्मयी कहानियों से भरा हुआ है.


एक अंग्रेजी पत्रकार प्रियंका पाठक नारायण पिछले कुछ सालों से बाबा रामदेव पर स्टडी कर रही थी. प्रियंका पाठक ने करीब 6 साल की कठोर मेहनत से बाबा रामदेव पर रिसर्च करती रही और उस पर एक बुक लिखी है, जिसका नाम है ’गॉडमैन टू टाइकून’ इस बुक में बाबा रामदेव के फर्श से शीर्ष तक के सफर को बड़े ही सहज तरिके से बताया है. प्रियंका पाठक के अनुसार, यह सब इनफार्मेशन उसने बाबा रामदेव के आस-पास व उसके निजी रहे लोगों से ली है. प्रियंका पाठक ने अपनी बुक में बाबा के खिलाफ ऐसे रहस्यों से पर्दा उढ़ाया है जो बाबा के समर्थकों को शायद गवारा नहीं होगा. लेकिन, एक बार निष्पक्ष होकर यदि सोचेंगे तो शायद आपको प्रियंका पाठक की बातो पर विश्वास हो जायेगा. 

प्रियंका पाठक ने अपने किताब में लिखा है कि बाबा रामदेव के गुरु शंकर देव एक दिन सुबह की सैर के वक्त से गायब है या गायब कर दिए गए हैं. आपको बता दे की गुरु शंकर देव वही शख्स हैं, जिन्होंने हरिद्वार में बाबा रामदेव को दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और अपनी अरबों रूपए की ज़मीनें दान की थी. लगातार कई साल से बाबा रामदेव पर स्टडी कर रही प्रियंका पाठक ने इस किताब में बाबा के और कई भेद खोलें हैं. उसके अनुसार यह एक इत्तफाक था या साजिस का हिस्सा? आखिर बाबा रामदेव ने जिससे भी कुछ गुर सीखा वह कुछ समय बाद क्यों एक रहस्मयी मौत का शिकार हो गया? जब गुरु शंकर देव रहस्मयी तरीके से गायब हुए तो बाबा रामदेव उस वक्त जुलाई 2007 में ब्रिटेन यात्रा पर थे. अपने प्रमुख गुरु के लापता होने के बाद भी रामदेव ने अपनी ब्रिटेन यात्रा चालू रखी और गायब होने के दो महीने बाद बाबा रामदेव भारत वापस लौटे. 

बाबा रामदेव के एक और गुरु व मित्र आयुर्वेद के जाने-माने वैद्य स्वामी योगानंद की हत्या भी कम रहस्मयी नहीं है. 1995 में स्वामी योगानंद ने ही बाबा रामदेव को आयुर्वेद दवा बनाने का लाइसेंस उपलब्ध कराया था. या यूँ यह कहें कि आयुर्वेद की दुनिया में स्वामी योगानंद की छाव में ही बाबा रामदेव ने चलना सीखा था. अगले 8 सालों तक बाबा रामदेव ने स्वामी योगानंद के लाइसेंस पर दवाइयाँ बनाता रहा. लेकिन, 2003 में बाबा रामदेव ने स्वामी योगानंद के साथ अपनी साझेदारी ख़त्म कर ली और कुछ ही महीने बाद स्वामी योगानंद का शरीर खून से लथपथ उसके ही घर में मिला. कुछ समय बाद 2005 में हत्या की छानबीन बंद हो गई.

मार्च 2005 ट्रस्ट के व्यवसायीकरण को लेकर बाबा रामदेव का विवाद कर्मवीर से हो गया था.कर्मवीर उस समय दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष थे. इसके बाद कर्मवीर ने हमेशा-हमेशा के लिए ट्रस्ट को अलविदा कह दिया. इसी तरह कुछ समय बाद सन 2009 में में बाबा रामदेव का का विवाद आस्था टीवी के संस्थापक सदस्य किरीट मेहता से हुआ. मेहता के प्रयास और मेहनत से ही बाबा रामदेव को आस्था टीवी के ज़रिये ही अपना नाम कमाया और लोगो में पॉपुलर हो गया. किरीट मेहता ने तो बाबा के खिलाफ अपहरण का केस भी दर्ज करवा दिया था.

राजीव दीक्षित, जिसके स्वदेशी अभियान पर आज पतंजलि का सम्पूर्ण करोबार चल रहा है. 2010 में राजीव दीक्षित लोगों को सम्बोधित करने गए, उस वक्त बाथरूम में उनकी लाश मिली. लेकिन, अगर, उस वक्त मरने के उपरांत उनका पोस्टमार्डर होता तो शायद उसकी मौत के रहस्य से पर्दा उठ जाता. लेकिन, उसकी मौत के तुरंत बाद राजीव दीक्षित के पार्थिव शरीर को बाबा के आश्रम में लाया गया व उसके शरीर को अग्नि देने में बहुत ही ज्यादा जल्दबाजी की गई और लोगों को कहा गया की उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है. लेकिन, राजीव दीक्षित की शव यात्रा में शामिल लोगों के अनुसार राजीव दीक्षित के होठो का रंग नीला पड़ने लगा था. अक्सर ऐसा शरीर, जहर के होने से होता है और भी ऐसे हादसों से पर्दा उठाना बाकि हो सकता है जो बाबा रामदेव की सफलता का राज है.

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