रविवार, 11 मार्च 2018

भाजपा, लोकतंत्र में ईवीएम फिक्सिंग करके सरकार बना रही है-वामन मेश्राम

यूपी के बदायूँ में बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय किसान मोर्चा का संयुक्त अधिवेशन सफलतापूर्वक सम्मन्न
भाजपा, लोकतंत्र में ईवीएम फिक्सिंग करके सरकार बना रही है-वामन मेश्राम




दै.मू.ब्यूरो/बदायूँ (उ.प्र.)
इस लोकतांत्रिक देश में घोटाला, मैच फिक्सिंग के साथ-साथ अब ईवीएम फिक्सिंग भी होने लगा है। भाजपा, ईवीएम फिक्सिंग करके ही केन्द्र सहित अन्य राज्यों में अपनी सरकार बना रही है। इसलिए मैं पहले से ही कहते आ रहा हूं कि भाजपा ईमानदारी से चुनी हुई सरकार नहीं है, बल्कि ईवीएम फिक्सिंग करके बेईमानी से चुनी गयी सरकार है। यदि इस देश में ईवीएम के बजाए बैलेट बॉक्स से चुनाव काराया जाय तो बीजेपी कभी भी सŸा में नहीं आ सकती है। अगर मैं यह बात गलत कह रहा हूं तो बीजेपी बैलेट बाक्स से चुनाव कराके देख लें। बीजेपी और चुनाव आयोग को खुली चुनौती है। यह बात भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने शुक्रवार 09 मार्च 2018 को उŸार प्रदेश के बदायूँ में बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा एवं राष्ट्रीय किसान मोर्चा के एक दिवसीय अधिवेशन में उपस्थित बहुजनों के जनसमूह को संबोधित करते हुए कही।
दैनिक मूलनिवासी नायक उŸार प्रदेश संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को बदायूँ के क्रिश्चियन ब्यॉज होम (मिशन कम्पाउंड) पुलिस लाईन चौराहा के पास बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा एवं राष्ट्रीय किसान मोर्चा का एक संयुक्त विशाल अधिवेशन का आयोजन किया गया था जो अपार सफलता के साथ सम्पन्न हुआ। इस विशाल कार्यक्रम में हजारों की संख्या में बहुजनों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यक्रम का उद्घाटन मा.सर्वेश सिंह पटेल (किसान नेता) ने किया वहीं मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी मा.रामसुरेश वर्मा मौजूद रहे। इसी के साथ विशाल अधिवेशन की अध्यक्षता बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा.वामन मेश्राम ने किया। अध्यक्षता करते हुए वामन मेश्राम ने कहा कि  सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि कथित आजादी के बाद हम जिन मनुवादी व्यवस्था के गुलाम हैं, आज ईवीएम उस ब्राह्मणवादी व्यवस्था को और ज्यादा दृढ़ कर रही है। इसी खतरे से बचने के लिये विश्व के कई विकसित देशों में अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि ने ईवीएम के स्थान पर बैलट पेपर को अपनाया है। अरबों डालर खर्च करने के बाद यहां इन मशीनों को कचरे मे फेंक दिया है, इन्हे असंवैधानिक घोषित कर दिया गया है। लेकिन भारत में इसे ही मान्यता दी जा रही है ताकि ईवीएम फिक्सिंग करके देश की सŸसा पर अनियंत्रित कब्जा किया जाय और मूलनिवासी बहुजनों की गुलामी को दृढ़ किया जाय। इसलिए भविष्य में भारत में ईवीएम को रद्द किया जाय और बैलेट पेपर पर ही चुनाव होना चाहिए। इसके लिए भारत मुक्ति मोर्चा लोकसभा चुनाव में ईवीएम के मामले में जागृति अभियान शुरू करने वाला है। 
आगे वामने मेश्राम ने मंडल कमीशन पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 1950 को डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर कानून मंत्री बने। 1943 में उन्होंने एससी के लिए 08.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। 21 सितम्बर 1947 को एससी को 12.5 एवं 13 सितम्बर 1950 को एसटी को 5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किया गया था जो 1970 से एससी को 15 और एसटी को 7.5 प्रतिशत आरक्षण चला आ रहा है। ओबीसी का आरक्षण उसका अनुसूचि तैयार न होने के कारण लागू नहीं हुआ, क्योंकि ओबीसी के लोगों ने गांधीजी को अपना मसीहा माना और गांधी जी ने ओबीसी को साथ में लेकर साईमन कमीशन का विरोध किया। डॉ.बाबासाहब अम्बेडकर ने संविधान में ओबीसी की सूची निर्धारण के लिए आर्टिकल 340 का प्रावधान किया जिस पर अमल न होने के कारण 1951 में ओबीसी का अनुसूचि तैयार नहीं हुई। तब बाबासाहब ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसी दबाव में 29 जनवरी 1953 में काका कालेलकर कमीशन का गठन किया गया, जिसमें 2399 ओबीसी जातियों और 837 अतिपिछड़ी जातियों की अनुसूचि तैयार हुई जो 30 मार्च 1955 में रिपोर्ट आयी। इस रिर्पोट को नेहरू ने लागू करने से इंकार कर दिया। पुनः मोरारजी देसाई के द्वारा 20 सितम्बंर 1978 को बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के नेतृत्व में मंडल कमीशन बनाया गया। जिसकी रिपोर्ट सितंबर 1980 में आया तब से लेकर 1991 तक मंडल कमीशन लागू न हो इसके लिए शासक जातियों ने कई हथकंडे अपनाये और सफल भी रहे। परिणामतः 16 नवंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट के 09 जजों की बेंच ने आरक्षण मौलिक अधिकार के विरोध में षड्यंत्रकारी फैसला देकर ओबीसी का मौलिक अधिकार खत्म कर दिया। क्योंकि ओबीसी को आरक्षण में 27 प्रतिशत क्रीमीलेयर लागू कर एक तरफ दिया और दूसरी तरफ नई आर्थिक लागू करके छीन लिया। जिसको एलपीजी के माध्यम से छीन लिया।

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