बुधवार, 28 मार्च 2018

मोदी सरकार तल रही पकोड़े आतंकवादी घटनाएं जेल मे बंद लोग करा रहे है-राजनाथ सिंह ❑ यदि देश में आतंकी घटनाएं जेल में बंद लोग करा रहे है तो सरकार उनको पकड़ क्यों नहीं रही है? क्या मोदी सरकार चिप्स तल रही है? जबकि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार बेबस क्यों है? चलो, अब कड़ी निंदा कर दो या किसी और को जिम्मेदार ठहरा दो। यह कितनी चौंका देने वाली बात है कि गृहमंत्रालय यह जानते हुए कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं इसके बाद भी मोदी सरकार का गृहमंत्रालय कुछ करने के बजाय जनता को बता रहा है कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। दैनिक मूलनिवासी एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार 27 मार्च को राज्यसभा में लिखित जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इनपुट के आधार पर डीजीपी जम्मू-कश्मीर को जानकारी मिली है कि श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के कई जिलों में बंद कैदी देश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हुए देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में इन कैदियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में जेल मैन्युअल के आधार पर ऐसे कैदियों का तत्काल ट्रांसफर करने के लिए उचित कार्रवाई करने की सलाह दी गई है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 12 मार्च, 2018 को एनआईए के बीस अधिकारियों जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की संयुक्त टीम ने जेल में छापेमारी की थी। इस दौरान एनआईए के अधिकारी ने जानकारी दी थी कि रेड के दौरान कुछ मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आईकॉर्ड, एक पाकिस्तानी झंडा और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई हैं। एनआइए और दूसरी एजेंसियों के सुरक्षा अधिकारियों ने जेल में ऐसे समय में छापेमारी की थी जब 6 फरवरी को लशकर-ए-तैयबा का उग्रवादी नावेद जाट उर्फ अबू हुनजुल्लाह मेडिकल चेकअप के वक्त जेल से फरार हो गया था। खबरों के मुताबिक जेल के अंदर के ही कुछ लोगों ने उसकी मदद की थी, अबू हुनजुल्लाह के जेल से भागने के बाद ही उग्रवादियों ने श्रीनगर के एसएमएचएस हॉस्पिटल के पास दो पुलिसकर्मियों को हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद श्रीनगर की सेंट्रल जेल में बंद बड़े उग्रवादियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ले जाया गया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयानों पर गौर करने से पता चलता है कि देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं करायी जा रही हैं, उन सभी घटनाओं और आतंकियों को गृहमंत्रालय अच्छी तरह से जानता है। मंत्रालय यह भी जानता है कि आतंकी घटनाओं में केवल संघ परिवार के ही आतंकी शामिल हैं। यही कारण है कि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है, केवल भाषणबाजी के सिवाय। इस बयान के पीछे दूसरा पहलू यह है कि आतंकी घटनाओं को संघ परिवार ही अंजाम दे रहा है, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों के तरफ इशारा कर रहा है। पुर्वानुमान से ऐसा कहा जा सकता है कि मोदी सरकार जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों को आतंकवादी का आरोप लगाकर उनको मारने का प्लान बना रही है।

मोदी सरकार तल रही पकोड़े
आतंकवादी घटनाएं जेल मे बंद लोग करा रहे है-राजनाथ सिंह
❑ यदि देश में आतंकी घटनाएं जेल में बंद लोग करा रहे है तो सरकार उनको पकड़ क्यों नहीं रही है? क्या मोदी सरकार चिप्स तल रही है? जबकि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार बेबस क्यों है? चलो, अब कड़ी निंदा कर दो या किसी और को जिम्मेदार ठहरा दो। 

यह कितनी चौंका देने वाली बात है कि गृहमंत्रालय यह जानते हुए कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं इसके बाद भी मोदी सरकार का गृहमंत्रालय कुछ करने के बजाय जनता को बता रहा है कि जेल बंद लोग ही आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। 
दैनिक मूलनिवासी एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार 27 मार्च को राज्यसभा में लिखित जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इनपुट के आधार पर डीजीपी जम्मू-कश्मीर को जानकारी मिली है कि श्रीनगर समेत कश्मीर घाटी के कई जिलों में बंद कैदी देश विरोधी गतिविधियों का संचालन करते हुए देश में आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इस रिपोर्ट में इन कैदियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ट्रांसफर करने का सुझाव दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में जेल मैन्युअल के आधार पर ऐसे कैदियों का तत्काल ट्रांसफर करने के लिए उचित कार्रवाई करने की सलाह दी गई है। 
सरकारी सूत्रों के मुताबिक 12 मार्च, 2018 को एनआईए के बीस अधिकारियों जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की संयुक्त टीम ने जेल में छापेमारी की थी। इस दौरान एनआईए के अधिकारी ने जानकारी दी थी कि रेड के दौरान कुछ मोबाइल फोन, सिम कार्ड, आईकॉर्ड, एक पाकिस्तानी झंडा और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई हैं। एनआइए और दूसरी एजेंसियों के सुरक्षा अधिकारियों ने जेल में ऐसे समय में छापेमारी की थी जब 6 फरवरी को लशकर-ए-तैयबा का उग्रवादी नावेद जाट उर्फ अबू हुनजुल्लाह मेडिकल चेकअप के वक्त जेल से फरार हो गया था। खबरों के मुताबिक जेल के अंदर के ही कुछ लोगों ने उसकी मदद की थी, अबू हुनजुल्लाह के जेल से भागने के बाद ही उग्रवादियों ने श्रीनगर के एसएमएचएस हॉस्पिटल के पास दो पुलिसकर्मियों को हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद श्रीनगर की सेंट्रल जेल में बंद बड़े उग्रवादियों को कश्मीर घाटी के बाहर की जेलों में ले जाया गया है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बयानों पर गौर करने से पता चलता है कि देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं करायी जा रही हैं, उन सभी घटनाओं और आतंकियों को गृहमंत्रालय अच्छी तरह से जानता है। मंत्रालय यह भी जानता है कि आतंकी घटनाओं में केवल संघ परिवार के ही आतंकी शामिल हैं। यही कारण है कि उनके पास केंद्र और राज्य की सरकारें, सेना, पुलिस, आईबी, चैनल से लेकर न्यायपालिका तक सब कुछ उनके पास है इसके बाद भी मोदी सरकार कुछ नहीं कर रही है, केवल भाषणबाजी के सिवाय। इस बयान के पीछे दूसरा पहलू यह है कि आतंकी घटनाओं को संघ परिवार ही अंजाम दे रहा है, लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों के तरफ इशारा कर रहा है। पुर्वानुमान से ऐसा कहा जा सकता है कि मोदी सरकार जेल में बंद मुस्लिम नौजवानों को आतंकवादी का आरोप लगाकर उनको मारने का प्लान बना रही है। 

एक और सनसनीखेज खुलासा, बैंक घोटालों के बाद अब 36 अरब का पानी घोटाला

एक और सनसनीखेज खुलासा
बैंक घोटालों के बाद अब 36 अरब का पानी घोटाला

दै.मू.ब्यूरो/छŸासगढ़
आजकल घोटालों का दौर चल रहा है। विभिन्न योजनाओं में घोटाला रुकने का नाम नहीं ले रहा है, कभी बैंक घोटाला, कभी कोयला घोटाला, कभी राशन घोटाला तो कभी जहाज घोटाला। कभी एलइडी घोटाला तो कभी कम्बल घोटाला, कभी कफन घोटाला तो कभी अलाव घोटाला। इन घोटालों में एक और नया घोटाला ‘‘पानी’’ घोटाला भी शामिल हो गया है। वैसे भी अब इन घोटालों की परतें खुलने लगी हैं और एक के बाद एक चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इन हजारों करोड़ों के घोटालों के बीच एक ऐसा घोटाला भी सामने आया है जिसे सुनकर चौंक जायेंगे। 11000 करोड़ का महाघोटाला अभी सुलझा नहीं था कि अब 36 अरब रूपये का पानी घोटाला सामने आ गया। 
दैनिक मूलनिवासी नायक ने एक सनसनीखेज खबर का हवाला देते हुए बताया कि बैंक घोटालों का सिलसिला थमा भी नहीं कि तब तक 36 अरब का पानी घोटाला ने कोहराम मचा दिया है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता मोदी सरकार के संरक्षण में करीब 23 कंपनियां मिलकर सरकार को 36,55,64,83,000 रूपये का भारी चूना लगाया है। विशेष सूत्रों के मुताबिक छŸासगढ़ में संचिलत 23 संस्थान, जिनमे निजी और शासकीय उपक्रम द्वारा लाख मिली घन मीटर पानी का दोहन किया गया है, लेकिन जल संसाधन विभाग को बीते चार साल का 36 अरब 55 करोड़ 64 लाख 83 हजार रूपए नहीं चुकाया है। इसके लिए विभाग ने कई बार नोटिस दिया, लेकिन कंपिनयां भुगतान करने को तैयार नहीं हैं। आरटीआई से मिले दस्तावेज बताते हैं कि यह राशि बीते वर्ष तक 55 अरब 36 करोड़ 43 लाख 67 हजार रूपए थी, जिसमे से 18 अरब 80 करोड़ 78 लाख 84 हजार रूपए का भुगतान ही कंपिनयों ने किया है। इसमे से 36 अरब 55 करोड़ 64 लाभ 83 हजार अब भी बकाया है जो बीते चार साल का बकाया है।
आपको बता दें कि भिलाई इस्पात कंपनियां का भी करीब 10 करोड़ से ज्यादा का बकाया है। जलाशय एवं रविशंकर सागर परियोजना से भिलाई इस्पात का वर्ष 2014-15 में 91.36 एमएलडी के लिए बकाया राशि 0.00, तथा 2015-16 में 74.26 एमएलडी के लिए ककाया राशि 81,92,000 एवं वर्ष 2016-17 में 90.98 एमएलडी के लिए बकाया 02 करोड़ 56 लाख 92 हजार व 2017-18 में 69.42 एमएलडी के लिए 06 करोड़ 65 लाख 64 हजार रूपये बकाया है। इसी के साथ निजी कंपनियों के अटके 50 करोड़ केलोबांध रायगढ़ का मेसर्स अंजनी स्टील प्राइवेट लिमिटेड को वर्ष 2014-15 में 1.81 एमएलडी पानी दिया गया था, जिसका 5 करोड़ 87 लाख 58 हजार, 2015-16 में 1.81 एमएलडी का 12 करोड़ 28 लाख 89 हजार, 2016-17 में 1.89 एमएलडी का 13 करोड़ 99 लाख 93 हजार और 2017-18 में 1.81 एमएलडी का 15 करोड़ 40 लाख 27 हजार रूपये बकाया है। इस तरह से 10 कंपनियों पर कुल 50 करोड़ का बकाया है, जिसे भुगतान नहीं कर रहे हैं और सरकार भी शांत बैठ चुकी है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में कुछ कंपनियों ने सरकार को करीब 07 करोड़ का चूना चूना अलग से लगाया है। जारी एक आंकड़ा के मुताबिक कवर्धा जिले में शिवनाथ नदी के जलाशय से मध्य प्रदेश बालघाट की मलाज कुड ताम्र परियोजना का भी 2015-16 में 1.51 एमएलडी का 02,11,11,000 तो वहीं वर्ष 2016-17 में 02,87,51,000 और 2017-18 में 02,49,21000 रूपये बकाया है। आरटीआई से मिली जानकारी से साफ हो गया है कि शासन का 36 अरब रूपये बीते चार साल से बकाया है और कंपनियां देने से साफ इनकार कर रही हैं, इसके बाद भी सरकार उन कंपनियों के खिलाफ गुंगी बन चुकी है। इससे साबित हो जाता है कि इतना बड़ा पानी घोटाला मोदी सरकार के संरक्षण में हुआ है।

शर्मशार होती बेटियों की आबरू, हॉस्टल वॉर्डन ने 40 छात्राओं को किया अर्धनग्न

शर्मशार होती बेटियों की आबरू
 हॉस्टल वॉर्डन ने 40 छात्राओं को किया अर्धनग्न

दै.मू.ब्यूरो/भोपाल
आज जहां मोदी सरकार में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ बेटियों को स्कूल, कॉलेजों में नंगा भी किया जा रहा है। ऐसा ही एक शर्मशार कर वाला वीभत्स नजारा भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश में उस वक्त सामने आया जब 40 छात्राओं को नग्न कर उनकी तलाशी ली गयी। 
दैनिक मूलनिवासी नायक विशेष सूत्रों के अनुसार वर्तमान सरकार में जितना ज्यादा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का जहां नारा बुलंद नहीं किया जा रहा है उससे कहीं ज्यादा बेटियों की आबरू को तार-तार किया जा रहा है। वैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी ही बेटियों को अपने मंचों पर नचाती है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के सागर में स्थित डॉ.हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी की 40 छात्राओं ने हॉस्टल वॉर्डन पर कपड़े उतरवाकर चेकिंग करने का आरोप लगाया है। छात्राओं का आरोप है कि हॉस्टल वार्डन ने चेकिंग के नाम पर उनको नग्न कर शर्मशार करने में कोई कोताही नहीं बरती है। वहीं इस मामले को लेकर यूनिवर्सिटी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया है। स्थानीय सूत्रों ने बताया है कि डॉ.हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन मिले थे, जिसके बाद हॉस्टल वॉर्डन ने 40 लड़कियों के कपडे़ उतरवार कर तलाशी ली, वहीं इस मामले में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर आरपी तिवारी ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, मैंने छात्राओं को कहा कि वे मेरी बेटियों की तरह हैं और मैंने उनसे माफी भी मांगी है। मैंने सभी छात्राओं को आश्वासन दिया है कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी और अगर वॉर्डन को दोषी पाया गया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
यहां पर गौर करने की बात यह है कि जिस तरह से यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने बयान दिया है  उस तरह से तो यही लग रहा है कि ‘मुंह में राम, बगल में छूरी’ वाली कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है। क्योंकि उनके यूनिवर्सिटी में शर्मशार कर देने वाली घटना हुई और इसकी भनक तक उनको नहीं लगी ऐसा नहीं कहा जा सकता है। यदि उनके द्वारा जांच की बात कही जा रही है तो भी कुछ होने वाला नहीं है, इसके पहले भी कई राज्यों में ऐसी घटनाओं का यही हश्र हुआ है।

लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचार के मामले में नहीं भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के जुर्म में गए जेल-रोहिणी आचार्य

लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचार के मामले में नहीं भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के जुर्म में गए जेल-रोहिणी आचार्य 

दै.मू.ब्यूरो/पटना
यह एक सनसनीखेज खबर से कम नहीं है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले में फंसाने के पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है। वह षड्यंत्र यह है कि लालू को इसलिए चारा घोटाले में नहीं फंसाया गया है कि वे चारा घोटाले में मुख्य आरोपी हैं, बल्कि उनको इसलिए फंसाया गया है कि वे लगातार भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ कड़वा सच बोलते हैं। इस बात का खुलासा कोई और नहीं, बल्कि लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने सीबीआई कोर्ट के सामने उस लिखित दस्तावेज का हवाला देते हुए किया है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि लालू जी पर पैसों के लेन-देन (भ्रष्टाचार) का आरोप नहीं है, उन पर साजिश (120-बी) करने का आरोप है। सीबाआई का वह लिखित दस्तावेज उनके पास मौजूद है। 
दैनिक मूलनिवासी नायक पटना संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि देश का कानून ऐसा है कि किसी भी बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए। अभी तक पता था कि कानून अंधा है और जो तथ्य उनके सामने पेश किये जाते हैं उसी के आधार पर कोर्ट फैसला देता है, मगर इस मामले में यहां कुछ और ही सच सामने आ रहा है। लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से आरोप लगाया कि जज साहब ने सीबीआई के वकील की उस दलील को प्राथमिकता दी जो कहती है कि लालू स्वस्थ हैं। वो केंद्र सरकार के विरुद्द विपक्ष की लामबंदी की अगुवाई कर रहे हैं और तो और उन्होंने विगत अगस्त महीने में देश की 20 पार्टियों को बुलाकर पटना में बड़ी रैली आयोजित की। वो केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ लगातार आक्रामक रहते हैं। 
रोहिणी ने कोर्ट के आर्डर का कॉपी का कटिंग को शेयर करते हुए बताया कि जज साहब ने अपने फैसले में लिखा है कि कैसे एक गरीब घर में पैदा होने के बावजूद दोषी लालू प्रसाद राजनीति में आया ही नहीं, बल्कि अपनी एक राजनीतिक पार्टी भी बना ली है। उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और तो और समय आने पर अपनी पत्नी को भी मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने आगे कहा कि इन सब रिमार्क का केस से कोई लेना-देना नहीं है फिर भी फैसले में है। हम तो यही सुनते और पढ़ते आए हैं कि कोर्ट सबूतों पर चलता है धारणाओं पर नहीं। इसके आगे उन्होंने लिखा है कि आपको बता दूँ कि लालू जी पर पैसों के लेन-देन (भ्रष्टाचार) का आरोप नहीं है, उन पर साजिश 120-बी करने का आरोप है।
रोहिणी के अनुसार न्यायालय का अब शायद यही मानना है कि किसी जिलाधिकारी, विभागीय सचिव, विŸा सचिव, निगरानी विभाग, ऑडिट विभाग, विभागीय मंत्री का कहीं कोई दोष नहीं है, मुख्यमंत्री लालू प्रसाद खुद अकेले जिले के खजाने में गए और पैसा निकाल कर ले लाए। कोर्ट के फैसले में कहा गया कि लालू प्रसाद ने तो सिर्फ साजिश की है। तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि पैसा कौन खाया? कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया और सीधे मुख्यमंत्री को फंसा दिया। इससे साबित होता है कि लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचार के मामले में नहीं भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ बोलने के जुर्म में जेल गए हैं। कोर्ट में अभी भी केवल गरीब बेसहारों का विश्वास कायम है, मगर पैसे वालों को तो कानून से खेलते हुए देखा है। अब भले ही हजारों माल्या, नीरव, साह आदि छूट जाए मगर लालू यादव को मत छोड़ना, उसने मोदी के खिलाफ सिर उठाने की जुर्रत की है।

बाबा राम रहीम के बाद अब बाबा रामदेव की बारी

बाबा राम रहीम के बाद अब बाबा रामदेव की बारी


जिस तरह धीरूभाई अम्बानी के कारनामों पर लिखी किताब पोलियस्टर प्रिंसदेश  के बुक स्टाल्स से गायब हो गयी उसी तरह बाबा रामदेव पर लिखी गई नई किताबगॉडमैन टू टाइकूनभी बाजार से जल्द लापता हो सकती है. कई साल से बाबा रामदेव पर रिसर्च कर रहीं अंग्रेजी पत्रकार प्रियंका पाठक नारायण ने इस किताब में बाबा के वो भेद खोले हैं जो पतंजलि के समर्थकों को स्वीकार नहीं  होंगेअभी तक जितने भी ढोंगी और बलात्कारी बाबाओं की के काले कारनामों की पोल खुली है उनमें एक समानता यह देखी गई है कि उन सभी के कनेक्शन बीजेपी के नेताओं के साथ रहे हैं. बाबा रामदेव भी बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ घनिष्टता के बारे में सभी जानते हैं. इस तरह बाबाओं की पोल पट्टी खुलने की कड़ी में अगला नंबर बाबा रामदेव का हो सकता है.
किताब की लेखिका प्रियंका कहती हैं कि इस किताब के लिए सबूत जुटाते  वक़्त उन्हें ऐसा महसूस हुआ किया कि हादसे बाबा का लगातार पीछा कर रहे थे. उनके फर्श से अर्श तक पहुँचने के सफर में हादसों का अहम किरदार है. जाने क्यों जिस गुरु से बाबा रामदेव  कुछ भी गुर सीखते वो ही गुरु उनकी अद्भुत जीवन यात्रा से गायब  हो जाता है. बहरहाल इससे पहले की ये किताब गायब हो, आइये इसमें किये गए  खुलासों पर गौर करें.
बाबा रामदेव के 77  वर्षीय गुरु शंकर देव एक दिन गए अचानक सुबह सैर करते वक़्त गायब हो गए.  गुरु शंकर देव ने ही हरिद्वार में बाबा रामदेव को दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और उसकी अरबों रूपए की ज़मीने  दान की थीं. जिस वक़्त गुरु शंकर देव जुलाई 2007 में गायब हुए उस वक़्त रामदेव, ब्रिटेन की यात्रा पर थे. लेखिका प्रियंका अपनी किताब में लिखती हैं कि इतने बड़े हादसे के बावजूद बाबा ने विदेश यात्रा बीच में नहीं रोकी. वो दो महीने बाद स्वदेश लौटे. पुलिस ने जब मामले की गहराई से छानबीन नहीं  की तो  पांच साल बाद यानी 2012  में गुमशुदगी की इस घटना की जांच सीबीआई को दी गयी. अब तक जांच जारी है पर रामदेव के गुरु शंकर देव के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पायी  है.

बाबा को आयुर्वेद दवाओं का लाइसेंस देने वाले स्वामी योगानंद की रहस्मयी हत्या..

बाबा रामदेव के मित्र और आयुर्वेद के जाने माने वैद्य स्वामी योगानंद की हत्या भी कम रहस्यमयी नहीं है. स्वामी योगानंद ने ही बाबा को आयुर्वेद दवा बनाने का लाइसेंस 1995  में उपलब्ध कराया था. बाबा रामदेव 8  वर्षों तक योगानंद के लाइसेंस पर ही आयुर्वेद की दवा का उत्पादन करते रहे. 2003  में बाबा रामदेव ने योगानंद के साथ साझेदारी खत्म की. साल भर बाद योगानंद का शव उनके घर में खून से लथपथ मिला. 2005  में हत्या की जांच बंद कर दी गयी. प्रियंका पाठक की किताब बाबा के जीवन से जुड़े हर रहस्य की परतें उधेड़ने का प्रयास करती है. प्रियंका लिखती है कि बाबा को आयुर्वेद के व्यापार से लेकर स्वदेशी  के नारे तक  का रास्ता  राजीव दीक्षित ने दिखाया था. आज जिस व्यापक रूप में बाबा का विशाल  बाजार खड़ा है उसका ब्लूप्रिंट दीक्षित ने तैयार किया था. बाबा के साथ एक राजनैतिक दाल गठित करने वाले दीक्षित 2010  में एक कार्यक्रम कर रहे थे. तभी बाथरूम में उनकी मौत हो गयी. ऐसा कहा गया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. अगले दिन दीक्षित के चेहरे का जब रंग बदलने लगा तो कोई पचास से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने लिखित रूप से दीक्षित के शव का पोस्टमॉर्टेम करने को कहा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और दीक्षित का दाह संस्कार कर दिया गया. प्रियंका ने इस किताब में महाराज  करमवीर का ज़िक्र भी किया है. करमवीर दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष थे. मार्च 2005  में ट्रस्ट के व्यवसायीकरण  को लेकर करमवीर का रामदेव से विवाद हुआ और वे अलग हो गए. इसी तरह 2009  में में बाबा रामदेव का आस्था टीवी के संस्थापक सदस्य किरीट मेहता से भी विवाद हुआ. मेहता के प्रयास से ही बाबा रामदेव को आस्था टीवी के ज़रिए नाम मिला था. प्रियंका एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में कहती हैं कि बाबा के अरबों रुपये के साम्रज्य में ऐसी  अनेक कथाएं दबी पड़ी हैं जिनके बारे या तो रामदेव जानते हैं या उनके सहयोगी बालकृष्ण. बाबा की सफलता का सच जो भी हो पर  ये साफ़ है कि आज बाबा, योग और आयुर्वेद के ग्लोबल ब्रांड हैं और सायकिल से चार्टर प्लेन तक की उनकी शिखर यात्रा प्रधानमंत्री मोदी से कम चौंकाने वाली नहीं है