मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

आज नहीं तो कल आजादी लेकर रहेंगे-वामन मेश्राम

आज नहीं तो कल आजादी लेकर रहेंगे-वामन मेश्राम
26 जनवरी 1950 को जिस दस्तूर अर्थात संविधान को लागू 
किया गया या अमल में लाया गया और संविधान पर आम सहमती बनाकर लाया गया। जब उस पर आम सहमती बनाकर लाया गया था तो उस पर अमल होना चाहिए था। मगर उस पर अमल नहीं किया गया। समय के अभाव में चूंकि मैं संक्षिप्त में बताना चाहता हूं कि इस देश में कम्युनल निजाम कायम किया गया। यह कम्युनल निजाम शब्द इसलिए प्रयोग कर रहा हूं ताकि आपको समझ में आए, खासकर मुस्लिम लोगों के समझ में आए। सारे दुनियां में जो लोकतंत्र होता है, वह चार स्तम्भ (पिलर) पर खड़ा है। वह है एक विधायिका, दूसरा कार्यपालिका तीसरा न्यायपालिका और चौथा मीडिया है। एक है विधायिका, जिसका काम कानून बनाने का है। दूसरा है कार्यपालिका, जिसकी जिम्मेदारी अमल करने की है। जिसमें आईएएस, आईपीएस और आईआरएस है। तीसरा है न्यायपालिका जो जनमत बनाने का काम करता है। यह लोकतंत्र चार पिलर (स्तम्भ) पर खड़ा है।
2009 के लोकसभा चुनाव में विधायिका पर 375 सीटें लाने वाले तथा गैर-बराबरी को मानने वाले पार्टी के लोगों का कब्जा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में 411 सीटों पर गैर-बराबरी को मानने वाले लोगों का कब्जा है।
अब है कार्यपालिका, जिसमें 79.2 प्रतिशत प्रथम श्रेणी के आईएएस, आईपीएस, आईआरएस अधिकारी पर ब्राह्मण और तत्सम ऊँचे जाति के लोगों का कब्जा है। मैं सरकारी जो आंकड़े हैं, उसे बता रहा हूं। न्यायपालिका में 98 प्रतिशत कब्जा ब्राह्मणों और तत्सम ऊँचे जाति के लोगों का कब्जा है और कुछ एससी, एसटी और ओबीसी के नुमाईदें वहां पर दिखाने के लिए रखे जाते हैं जैसे-हम खाना खाने के दौरान चाटने के लिए आंचार रखते हैं। उसी तरह से दिखाने के लिए कुछ लोगों को रखा जाता है कि हां भाई तुम्हारे भी कुछ लोग हैं। न्यायपालिका में भी उनका कब्जा है। चौथा है मीडिया, मीडिया चार प्रकार के हैं। इलैक्ट्रानिक मीडिया, पिं्रट मीडिया, ट्रेडिशनल मीडिया और व्होकल मीडिया। इन चारों मीडिया पर भी उनका ही कब्जा है।
आज के तारीख में जिसको हम जनतंत्र, लोकतंत्र और डेमोक्रेसी कहते हैं। भारत में इस डेमोक्रेसी पर ब्राह्मणों का कब्जा हो गया है।
कुछ लोग कहते हैं कि इस देश में हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है। हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो चुका है और भ्रम फैलाने के लिए वो ये प्रचार कर रहे हैं कि हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है ब्राह्मणों का इस देश पर तो कब्जा हो चुका है। मगर ब्राह्मणों का इस देश पर कब्जा हो चुका है, इस पर पर्दा डालने के लिए हिन्दू राष्ट्र की बात करते हैं। एससी, एसटी और ओबीसी के ऊपर ब्राह्मणों ने अपने विश्वास और यकीन को थोप दिया है। इसे थोपकर वे कहते हैं कि ये सब हिन्दू हैं। थोपी हुई चीज गुलामी होती है, जिसे अन्दर से स्वीकार नहीं किया जाता है। यह तो थोपी हुई गुलामी है। उन लोगों को भ्रम में रखने के लिए वे हिन्दू राष्ट्र की बात कहते हैं।
ब्राह्मण जिसको हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने की बात करते हैं, वास्तव में ब्राह्मणों का कब्जा हो चुका है। इसलिए हम इसको हिन्दुत्व शब्द नाम देने के बजाय, क्योंकि यह भ्रम फैलाने वाला शब्द है। क्योंकि हिन्दू शब्द वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत और गीता में कहीं पर भी नहीं है। हिन्दू संस्कृत भाषा का शब्द नहीं है। हिन्दू हिन्दी भाषा का भी शब्द नहीं है। हिन्दू पारशियन भाषा का शब्द है। मैं ये बात आपको इसलिए बताना चाहता हूँ कि यह जो कम्युनल निजाम ब्राह्मणों ने कायम किया। ब्राह्मणों द्वारा कम्युनल निजाम कायम करने की वजह से दीन खतरे में आ गया है। केवल मुसलमानों का ही दीन खतरे में नही आया है, बल्कि जितने भी यकीन मसावात को मानते हैं, समानता के मानते हैं। वे सारे खतरे में हैं। सिखों के स्वर्ण मन्दिर पर हमला हुआ। ईसाईयों के चर्चो पर हमला हो रहा है। जबसे आजादी मिली तब से बुद्वा के बोधिस्थल बोधगया पर ब्राह्मणों का कब्जा है। आजादी मिलने के बाद से ब्राह्मणों ने कानून बनाकर उस पर कब्जा किया है। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ईव्हीएम में घोटाला करके चुनाव जीता। इसका दस्तावेजी सबूत है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इव्हीएम (म्टड) में भी घोटाला करके चुनाव जीता। मेरे पास इसका दस्तावेजी सबूत है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को चुनाव जीतने के लिए ईवीएम मशीन में घोटाला करने में मदद की। इसका भी मेरे पास में दस्तावेजी सबूत है। 08 अक्टूबर, 2013  को सुप्रीम कोर्ट ने इव्हीएम (म्टड) मशीन के विरोध में फैसला दिया। इसका भी दस्तावेजी सबूत मेरे पास में है। इसकी एक कॉपी मैंने नोमानी साहब को दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुनाव आयोग और उस समय की कांग्रेस सरकार ने अमल नहीं किया। मैंने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के विरोध में कॉन्टेम्प्ट ऑॅफ कोर्ट का केस दाखिल किया है। जब कॉन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट का केस चंडीगढ़ हाई कोर्ट में दाखिल की थी तो उन्होंने कहा कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का है। मगर हाँ यह चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है। चूँकि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है, इसलिए इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट ही करेगी। मगर हम बात को मानते हैं कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है, ऐसा चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने कहा। अभी सुप्रीम कोर्ट में केस रजिस्टर हो गया है। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इस देश में कितनी भयंकर परिस्थिति है। लोग जैसे-जैसे जागृत हो रहे हैं, वैसे-वैसे चुनाव जीतने के लिए गलत तरीके का इस्तेमाल कर रहे है। 
2014  के लोकसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने ईव्हीएम में घोटाले करने का अवसर होने के बावजूद भी इण्डियन एक्सप्रेस ने लिखा कि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में तीस हजार करोड़ रूपये खर्च किया। तेरह हजार करोड़ रूपये कांग्रेस ने खर्चा किया। 16 मई को रिजल्ट आया और 17 मई को इण्डियन एक्सप्रेस का रिपोर्ट है। 2004 और 2009 में कांग्रेस ने ईव्हीएम में घोटाला करके चुनाव जीता, इसके सबूत सुब्रह्ममण्यम स्वामी, बीजेपी और आरएसएस के पास थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था। कांग्रेस ने अपना बचाव करने के लिए बीजेपी और आरएसएस के साथ समझौता किया और इस समझौते के तहत 2014  के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को चुनाव जीतने में मदद की। यह दूसरी परिस्थति बहुत ही भयंकर है। यह बताया जाना बहुत ही जरूरी है। एक तो केन्द्र में बीजेपी जाएगी तो कांग्रेस आएगी और कांग्रेस जाएगी तो बीजेपी आएगी। कोशिश ये हो रही है कि केन्द्र में भी उनका कब्जा हो और राज्यों में भी उनका ही कब्जा बना रहे। ये योजना बनाकर कोशिश हो रही है और इतने भयंकर तरीके से कोशिश हो रही है। ऐसे परिस्थिति में हमें फैसले लेने हैं। इन परिस्थिति को ध्यान में रखकर फैसले लेने होंगे। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखे बगैर आप और हम फैसला लेंगे, तो जो परिवर्तन हम लाना चाहते हैं, वह नहीं होगा। हम लोगों को भ्रम का शिकार होने का खतरा हो सकता है। इसके बारे में एक और बात आप लोगों को बताना चाहता हूँ, वह यह कि शब्दों के बारे में भी हमलोगों को सतर्क रहना चाहिए। आरएसएस के लोग हिन्दुस्तान और हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हम लोग भी अपने बयानों में हिन्दुस्तान शब्द का उच्चारण करते रहते हैं। इसलिए हम लोगों को सतर्क रहना चाहिए कि हमें कौन सा शब्द अपने बयान में प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि जब से बीजेपी की सरकार आई है, वे हिन्दुस्तान कह रहे हैं। हिन्दुस्तान शब्द का उच्चारण करने के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट में जाने वाला हूँ। इस देश का प्रधानमंत्री संविधान के शब्द का प्रयोग करे, इण्डिया दैट इज भारत (प्दकपं जींज पे ठींतंज)। संविधान के अनुसार इस देश का नाम हिन्दुस्तान नहीं है। 
एक और महत्वपूर्ण बात आपको बताना चाहता हूँ कि ‘वंदे मातरम्’ का जो गीत गाया जाता है, यह मातृभूमि की वंदना करने के लिए लिखा गया नहीं है। बंगाल में बंकिमचन्द्र चटर्जी नाम का ब्राह्मण था। उसने आनंद मठ नाम की उपन्यास या कादम्बरी लिखी। उस उपन्यास में दुर्गा जिसकी पूजा बंगाल में किया जाता है, उसके वंदना में श्लोक लिखा। यह दुर्गा श्लोक है। यह भारत भूमि की वंदना करने के लिए लिखा गया नहीं है। ये दुर्गा श्लोक है। 
रविन्द्रनाथ टैगोर का लिखा हुआ ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हो’ जो गीत है। यह अंग्रेजों के समर्थन में गाया हुआ गीत है। ‘जन-गण-मन-अधिनायक’, अरे! हम आजाद होने के बाद भी उस समय के भारत के अधिनायक अंग्रेजों की जय करे। अरे! हम आजाद होने के बाद भी अंग्रेजों का जय करे! क्या हमें अधिनायक शब्द का अर्थ भी समझ में नहीं आता है। हम लोगों को जैसे ही अवसर मिलेगा बहŸार घंटे में ही दूसरा राष्ट्र गीत ले आऐंगे। हम इस बात को नहीं मानते हैं। दुनिया में अवसर तो सभी को मिलता है। अक्सीरियत हमारी है तो अवसर मिलेगा। यह मेरा यकीन है। अगर गांधीजी को 63 साल के बाद जन-आन्दोलन के द्वारा आजादी मिली। हम भी आजादी के लिए जन-आन्दोलन चलायेंगे तो हमें भी आजादी मिलेगी। नेल्सन मंडेला को दक्षिण अफ्रीका में जन-आन्दोलन चलाने से आजादी मिली। हम भी जन-आन्दोलन चलाऐंगे तो हमें भी आजादी मिलेगी। हम इन बातों पर यकीन करते हैं कि आज नहीं तो कल आजादी मिलेगी। हमारे लोगों को, ये बात लोगों तक पहुँचाने भर की जरूरत है। वो लोग जानते हैं, इसलिए वामन मेश्रम की बात अखबार में आने तक नहीं देते हैं। जो मैं बोलता हूँ वो तो छोड़ो वामन मेश्राम का नाम तक भी आने नहीं देते हैं। 
बहुत सारे मुस्लिम लोग मिलते हैं और पूछते है कि भाई आप अभी तक कहाँ थे? आपकी हमसे मुलाकात वर्षो पहले हो जाने चाहिए थी। आप इतने देर से कैसे मिले? तो मैं उनको कहता हूँ कि मैं चालीस साल से यही कर रहा हूँ। वे पूछते हैं कि अखबार में आपका नाम क्यूँ नहीं आया? तो मैं उनसे कहता हूँ कि आप अखबार वालों से ये पूछो। अखबार वालों को मुझसे इतनी एलर्जी क्यों है? इसलिए इन बातों को हमें समझना जरूरी है और इन बातों को समझकर विचारपूर्वक कार्य करना जरूरी है। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. भाजपा के सत्ता में आने के फायदे
    (1) भाजपा के सत्ता में आने पर 70 सालों में पहली बार लोगों ने जाना इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया भी बिकाऊ होती है मीडिया को भी मैनेज और हैंडल किया जाता है

    आपको क्या लगता है आपको अचानक ही पता हो गया या आपको किसी ने बताया है आखिर वाह कौन है

    क्या मोदी के आने से पहले मीडिया बहुत पाक साफ और साफ सुथरी से जिसे मोदी ने गंदा कर दिया

    (2) भाजपा के सत्ता में आने के बाद आपको पहली बार पता चला एवीएम की हैकिंग होती है

    आपको किसने बताया कैसे पता चला कभी सोचा है?

    क्या इससे पहले ईवीएम की hacking नहीं होती थी
    या किसी को पता नहीं था
    य कोई बताना नहीं चाहता था जो अब बता रहा है आखिर उसकी क्या मजबूरी है (थी)

    (3) भाजपा के दौर में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति पर उंगलियां उठी सुप्रीम कोर्ट में सत्ता के खेल का पता चला
    सुप्रीम कोर्ट पर सत्ता का किस कदर नियंत्रण है

    यह हमें भाजपा के दौर में देखने को मिला क्या इससे पहले ऐसा नहीं होता था या कोई हमें बता रहा है आखिर वाह ऐसा क्यों कर रहा है क्या बाजी उसके हाथ से निकल गई है (थी)

    (4) सत्ता किस तरह कारपोरेट घराने को फायदा पहुंचाती है यह पहली बार भाजपा के दौर में देखने को मिला

    (कोई लोन देकर फायदा पहुंचाता है )
    ( तो कोई लोन माफ करके फायदा पहुंचाता है)

    (5) जनता के विरोध के बावजूद सत्ता किस तरह मनमानी कर सकती है या भाजपा के दौर में देखा
    ( किसान मार्च; केरल किसान)

    (6) RSS संघ का ऐतिहासिक काला चिट्ठा आपको भाजपा के दौर में ही पता चला और

    भाजपा के दौर में RSS के बदनामी भरे काले इतिहास पर किताबें लिखी गई

    आखिर वह कौन था जो RSS पर इतनी मेहनत कर रहा था और क्यों

    क्या इसके पीछे कोई खास वजह थी?
    उसने पहले ऐसा क्यों नहीं किया?

    (7) भाजपा के दौर में पहली बार लोगों को सोशल मीडिया की ताकत का पता चला और सोशल मीडिया जनता का एक मजबूत नेटवर्क बनकर खड़ा हुआ

    (8) भाजपा के दौर में बहुजन बहुजन वादी संगठन जमीनी तौर पर और ज्यादा मजबूती से उभरे और ज्यादा संगठित हुए

    (9) भाजपा के दौर में पहली बार कांग्रेस और भाजपा एक है ज्यादा से ज्यादा लोगों ने इसका समर्थन किया
    और लोगों ने माना कांग्रेस के एक धीमा सॉफ्ट जहर है

    (10) पहली बार अंबेडकर वादियों ने सही से बाबा अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा को समझा और माना और वह ज्यादा बेहतर अंबेडकरवादी साबित हुए

    (11) भाजपा के दौर में आदिवासी जातियों ने हिंदू धर्म का बहिष्कार किया और गोंडी समाज के लोगों ने गोंडवाना लैंड की मांग करी और हम हिंदू नहीं इसका ऐलान किया

    (12) भाजपा सत्ता में रहकर राम मंदिर की बात नहीं करती बल्कि राम मंदिर के नाम पर लोगों को उल्लू बनाती है

    केंद्र और राज्य सरकार में रहते हुए भी भाजपा ने राम मंदिर के लिए कोई प्रयास नहीं किया
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    तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था,

    उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था!!
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    अगर 5 साल में जनता इतनी जागरूक हो सकती है तो मेरी दुआ है भाजपा सत्ता में 5 साल और रहे

    थोड़ी कुर्बानी और थोड़ी तकलीफ और सही

    गाय माब लिंचिंग के नाम पर हम मुसलमान कुर्बानी देने को तैयार हैं

    लेखक:- Mohd Jilani

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  2. न्यायपालिका में ब्राम्हणो का प्रतिनिधित्व का data तो वो post कीजिये

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