गुजरात और हिमाचल में बीजेपी की फर्जी जीत
आरएसएस और कांग्रेस के बीच ईवीएम समझौते का परिणाम है बीजेपी की जीत -वी.एल. मातंग
गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजों को लेकर वहां की जनता आज एक बार फिर गुस्से में है, क्योंकि जिस तरह से गुजरात, हिमाचल के चुनावों में लोगों ने वोटिंग की है उस हिसाब से चुनाव के परिणाम बिलकुल भी ठीक नहीं आए हैं और उनके वोटों के साथ खिलवाड़ हुआ है। गुजरात चुनाव से कुछ इस तरह की खबरें आ रही हैं कि वहां पर एक ईवीएम मशीन की सील टूटी हुई थी, इसका मतलब साफ है कि गुजरात चुनाव में ईवीएम मशीन के साथ गड़बड़ी हुई है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि हर शातिर चोर एक न एक सुराग ऐसा छोड़ ही जाता है जिससे उसकी चोरी के बारे में क्लू मिल जाता है और ये राजकोट की ईवीएम मशीन में ऐसी गड़बड़ी मिलना वही दिखाता है, लेकिन इसके बाद भी चुनाव आयोग की चुप्पी बहुत से सवाल खड़ी करती है कि चुनाव आयोग ही निष्पक्ष नहीं है। अगर इसी तरीके से ही सब चलता रहा तो चुनाव करवाने का स्वांग आखिर कब तक रचा जाता रहेगा? जबकि नतीजे ऐसे फिक्स ही होने हैं। इसलिए चुनाव आयोग को या तो ईवीएम मशीन का प्रयोग बंद करा देना चाहिए या फिर चुनाव ही कराना बंद कर देना चाहिए, क्योकि जब ऐसे ही सब होना है तो बिना चुनाव के ही परिणाम दे दिए जाएं। यह बात बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएल मातंग ने दोनों विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद एक वार्ता में कही।
बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएल मातंग ने भारत में ईवीएम लाने का इतिहास बताते हुए कहा कि 1982 में इंदिरा गांधी ने ईवीएम मशीन लाने का निर्णय यह सोचकर किया कि हम ब्राहम्ण लोग 3.5 प्रतिशत हैं। ईमानदारी से हम ब्राहम्ण लोग चुनाव जीतते नहीं हैं, भविष्य मे तो यह खतरा और पैदा होगा। अगर भविष्य मे चुनाव जीतना है तो जिस मशीन पर यूरोप ने पांबदी लगाई है, वह मशीन हम ब्राह्मणों के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी है। यह सोचकर इंदिरा गांधी ने ईवीएम मशीन को भारत मे लाने का का फैसला किया।
सन् 2004 और सन् 2009 में कांग्रेस ने सारे देश भर में लोकसभा चुनाव में ईवीएम मशीन का उपयोग किया और कांग्रेस ने ईवीएम मशीन के माध्यम से घोटाला किया। यह घोटला कैसे करना है यह केवल कांग्रेस को ही मालूम था। 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री थे। मगर अटल बिहारी बाजपेयी को ईवीएम मशीन में घोटाले के बारे में मालूम नहीं था। ईवीएम मशीन को भारत में लाने का काम इन्दिरा गांधी ने किया था। इसलिए ईवीएम मशीन में घोटाले के बारे में इन्दिरा गांधी को मालूम था।
2004 में कांग्रेस ने ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता। 2009 में भी कांग्रेस ने ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता। 2004 और 2009 में कांग्रेस द्वारा ईवीएम मशीन में घोटाला करके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद डा. सुब्रमनियम स्वामी ने इसके दस्तावेजी सबूत इकट्ठा किए। डा. सुब्रमनियम स्वामी ने इसके दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करके इसे सुप्रीम कोर्ट में लेकर गया। ईवीएम मशीन में घोटाला कैसे करना है, कांग्रेस को सब मालूम है। वैसे बीजेपी को ईवीएम मशीन में घोटाले के बारे में मालमू नहीं था। मगर 2004 और 2009 में कांग्रेस के द्वारा ईवीएम मशीन में घोटाला करके लोकसभा चुनाव जीतने का सबूत डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने आरएसएस को दे दिया, जिसके कारण आरएसएस और बीजेपी को भी मालूम हो गया कि ईवीएम मशीन में घोटाला करके चुनाव जीता गया है। इसके बाद कांग्रेस ने आरएसएस के साथ सम्पर्क किया और आरएसएस के साथ गुप्त समझौता किया।
बहुजन मुक्ति पार्टी के अध्यक्ष ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बताया कि कांग्रेस ने आरएसएस से सम्पर्क किया और आरएसएस को कहा कि आपके पास डा. सुब्रमनियम स्वामी ने सारे दस्तावेजी सबूत दिए हैं कि हमने कैसे 2004 और 2009 में ईवीएम मशीन में घोटाला करके लोकसभा चुनाव जीता और आप लोगों ने वो सारे के सारे दस्तावेज देख लिए है, इसलिए अब आपसे क्या छुपाना है, अब तो आपको सब कुछ मालूम ही हो गया है। जब तक हम सोच रहे थे कि छुपा है तो छुपा है, ठीक है, मगर अब आपको सब मालूम ही हो गया है और बन्द मुट्ठी खुल गई है, इसलिए अब आपको हम बताते हैं कि हमने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में ईवीएम मशीन में घोटाला किया था और चुनाव जीता था। मगर राष्ट्रहित में यह है कि आडवानी को रोका जाए, क्योंकि जो ब्राह्मणहित में होता है, उसे वो राष्ट्रहित में बताते हैं। जो ब्राह्मणों के हित में होता है, वे कहते हैं कि नहीं-नहीं यह देशहित और राष्ट्रहित में है।
कांग्रेस ने कहा कि ठीक है, हम ही बताते हैं। कांग्रेस ने आरएसएस को कहा कि 2014 के चुनाव में आप घोटाला कर लेना। केन्द्र में हमारी सरकार है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर हमने बनाया है। उसने पिछले बार इस षड्यंत्र में हिस्सा लिया था और जब पिछली षड्यंत्र में हिस्सा लिया था, तो अब भी षड्यंत्र में हिस्सा लेगा और दूसरी बात यह है कि जो भारतीय प्रशासनिक सेवा है, उसमें 80 प्रतिशत ब्राह्मण और तत्सम ऊँचे जाति के लोग हैं। केन्द्र में हमारी सरकार है, इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों से हम यह काम करवाऐंगे। जूडिशियरी को हमने बोल दिया है। मीडिया वालों को भी बोल दिया है कि इसकी कोई खबर न छापी जाए। इसलिए हम आपको सारे देश भर में मदद करने के लिए तैयार हैं। इसलिए 2014 का चुनाव आप घोटाला करके जीतो।
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस ने कांग्रेस को कहा कि आपने ऐसा कहा कि 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव में घोटाला करके दो बार चुनाव जीता और आप हमें एक ही बार घोटाला करने के लिए बोल रहे हो, इसलिए यह बात सही नहीं है। कांग्रेस ने आरएसएस से पूछा कि आपका क्या कहना है? आरएसएस के लोग बहुत घाघ हैं। उन्होंने कांग्रेस को कहा कि आप भली भांति जानते हैं कि हम क्या कहना चाहते हैं? कांग्रेस ने कहा कि अच्छा आपका यह कहना है कि हमने दो बार घोटाला किया है तो आपको भी दो बार घोटाला करने का अवसर दिया जाए। आरएसएस ने कहा कि हम तो पहले ही कह रहे हैं कि आप समझदार लोग हैं। आप हमसे सीनियर लोग हैं। 1885 में कांग्रेस बनी और 1925 में आरएसएस बनी, तो आप तो हमसे सीनियर हैं, आप ज्यादा होशियार लोग है। अगर आपने दो बार घोटाला किया है, तो हमें भी दो बार घोटाला करने दिया जाए। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में दो बार घोटाला करने दिया जाए। इस बात पर कांग्रेस और आरएसएस के साथ सौदेबाजी हुई और सौदेबाजी होने के बाद यह निर्णय हुआ।
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