मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

मोदी सरकार ने किसानों पर लगाया आरोप कर्जमाफी से राज्यों को 448000 करोड़ रूपये का घाटा

मोदी सरकार ने किसानों पर लगाया आरोप
कर्जमाफी से राज्यों को 448000 करोड़ रूपये का घाटा
मुंबई/दै.मू.समाचार
देश के किसानों के साथ धोखेबाजी करने वाली मोदी सरकार अपना राग किस तरह से  बदल रही है इसका नजारा मंगलवार 19 दिसंबर को तब देखने को मिला जब सरकार ने कुल जीडीपी का हवाला देते हुए किसानों के कर्जमाफी को मौजूदा विŸा वर्ष में 448000 करोड़ रुपये का सरकार को घाटा होने की बात कही। पहले तो केन्द्र की आरएसएस नीति वाली भाजपा की मोदी सरकार ने अपनी राजनीतिक सियासी रोटियां सेंकने के लिए किसानों के कर्जमाफी की योजना चलाया और अब उसी कर्जमाफी की योजना सरकार पर बोझ बताने लगी है।
 दैनिक मूलनिवासी नायक संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक पांच बड़े राज्यों में घोषित कृषि कर्जमाफी से राज्यों के कुल राजकोषीय घाटे में मौजूदा वित्त वर्ष में 448000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी। यह बढ़ोतरी जीडीपी के 0.65 फीसदी के बराबर है। राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2018 में जीडीपी का 2.7 फीसदी या 4,48,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। आपको बताते चलें कि केन्द्र की राजनीति की दिशा तय करने वाले उŸार प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जहां एक तरफ बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में नाजायज कब्जा करने के लिए किसानों को लाचल देने के लिए कर्जमाफी योजना चलाया, वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति को धार देने के लिए उत्तर प्रदेश सहित पंजाब, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक की सरकारों ने भी इस साल अपने यहां कृषि कर्जमाफी की विभिन्न योजनाओं का ऐलान किया। जिससे बीजेपी इस कर्जमाफी की योजना चलाकर अपनी राजनीतिक फसल काटने में कामयाब हो गई। भले ही सीमान्त और लद्यु किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिला हो। हां यह सही है कि कर्जमाफी का सबसे ज्यादा फायदा केवल शासक वर्ग को हुआ है, मगर बीजेपी ने दिखावे के लिए अपना वादा पूरा कर दिया। वहीं अब केन्द्र से लेकर बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों ने किसानों को ताना देने के लिए अब अपने राग को उल्टा कर दिया है। बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें अब यह कहने से गुरेज नहीं कर रहीं हैं कि किसानों की कर्जमाफी की वजह से पांच राज्यों को कुल जीडीपी के 2.7 फीसदी के अनुसार 4,48,000 करोड़ रुपये का जबरजस्त घाटा हुआ है।
सरकार की नीतियों को देखकर सवाल उठता है कि क्या सरकार को कर्जमाफी योजना चलाते समय यह पता नहीं था कि इस योजना से सरकार को भारी घटा होगा? अब सरकार क्यों चिल्ला रही है? यानी सरकार को अच्छी तरह से पता था, मगर राजनीतिक फसल काटने के लिए सरकारों ने जान-बूझकर न केवल कर्जमाफी की योजना चलाया, बल्कि राज्य सरकारों को 4,48,000 करोड़ रुपये का चूना भी लगाया।
आपको बताते चलें कि रिपोर्ट के मुताबिक 09 राज्यों ने मौजूदा वित्त वर्ष में अपने-अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के सामने राजकोषीय घाटे के अनुपातों में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है, जबकि वित्त वर्ष 2017 में 19 राज्यों ने ऐसा किया था। इंडिया रेटिंग्स ने एक बयान में यह नतीजा निकाला है। यदि उक्त बातों का पूर्णरूप से विश्लेषण किया जाय तो पता चलता है कि सरकार किसानों को लालच देने के लिए कर्जमाफी की योजना चलाया और अब किसानों के ही ऊपर 4,48,000 करोड़ रुपये के घाटे का जिम्मेदार ठहरा रही है। इसी से साबित हो जाता है कि मोदी सरकार किसानों की कितनी हितैषी है।

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