मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

बेरोजगारी दर में भारत ने दुनिया को छोड़ा पीछे


साल 2018 में फिर बढ़ेगा बेरोजगारी का आंकड़ा
न्यूयार्क/दै.मू.समाचार
बेरोजगारी पर एक नजर
भारत - 8.0 प्रतिशत
फिलीपींस -5.6 प्रतिशत
चीन - 4.0 प्रतिशत
द.कोरिया - 3.6 प्रतिशत
मलेशिया - 3.1 प्रतिशत
जापान - 2.8 प्रतिशत
सिंगापुर - 2.1 प्रतिशत
थाईलैंड - 1.3 प्रतिशत
आज वर्तमान समय में जिस रफ्तार से भारत में आबादी बढ़ रही है, ठीक उसी के कई गुना रफ्तार से बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर भाषणों में यह कहने से नहीं अघाते रहे कि सरकार नये रोजगार के अवसर तलाश रही है। सरकर शिक्षित युवा बेरोजगारों को नया अवसर देगी। परन्तु देश में बेरोजगारी का आलम क्या है इसका विभत्स नजारा तो लखनऊ में उस वक्त देखने को मिला, जब 8 हजार की नौकरी के लिए लाईन में एमबीए और पीएचडी के अथ्यार्थी खड़े दिखाई दिए। 
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली ताजा जानकारी के अनुसार केन्द्र की संघ संचालित मोदी सरकार जहां एक ओर देश में शिक्षित युवा बेरोजगारों को नये रोजगार के अवसर देगी, वहीं दूसरी और भारत सरकार की ओर से सरकारी दफ्तरों के दिवारों पर बोर्ड टंगा दिखाई दे रहा है जिन पर लिखा है काम नहीं है, कामगार भर्ती बंद है। यह नजारा देखकार शिक्षित युवा बेरोजगारों को समझ पाना मुस्किल हो रहा है कि सरकार बेरोजगारी घटा रही है या बढ़ा रही है। गौरतलब है कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ती बेरोजगारी की दर के मामले में भारत एशिया में सबसे आगे चल रहा है। जहां एशियाई देशों में थाईलैंड बेरोजगारी के मामले में सबसे नीचले पायदान पर है वहीं भारत एशिया में शीर्ष स्थान पर विराजमान है। इसी के साथ रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी आंकड़ों से हुए खुलासे के आधार पर बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में भारत की स्थिति चिंताजनक है। क्यांकि चीन सहित कई छोटे देशों का प्रदर्शन भारत से लाख गुना बेहतर है।
आपको बताते चलें कि संयुक्त राष्ट्र संघ के इंटसेटनल लेबर आर्गनाइजेशन (आईएलओ) ने 2017 में वर्ल्ड एम्प्लामेंट एंड सोशल आऊटलूक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इकॉनामिक ग्रोथ के ट्रेंड्स रोजगार की जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम हो चुके हैं। यही नहीं इस रिपोर्ट में भविष्य के लिए भी अनुमान जताया गया है, जो चौंकाने वाला है। क्योंकि रिपोर्ट ने खुले शब्दों में संकेत दिया है कि विŸा वर्ष 2018 में न केवल बेतहासा बेरोजगारी बढ़ेगी, बल्कि सामाजिक असमानता भी पहले से और ज्यादा भयानक रूप धारण कर लेगी।
दूसरी बात यह है कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आए दिन भारत में नौकरियों को लेकर मुश्किल वक्त आ रहा है। जबकि देश विनाशक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर भाषणों में यही कहता रहता है कि शिक्षित युवा बेरोजगारों को सरकार जल्द ही नये रोजगार के अवसर देगी। मोदी सरकार अपने कार्यकाल के करीब चार साल से अधिक समय में देश के शिक्षित बेरोजगारों को कितना रोजगार मुहैया करा रही है। इसका विभत्स नजारा शुक्रवार 15 दिसम्बर 2017 को लखनऊ के लालबाग स्थित क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय में देखने को मिला जहां कॉल सेंटर भर्ती के लिए रोजगार मेले का आयोजन किया गया था। निजी कम्पनी के काल सेंटर में भर्ती के लिए जहां अहर्ता इंटर मीडिएट रखा गया था वहीं पेमेंट 8000 रूपये निधार्रित किया गया था। इस रोजगार मेले में उम्मीदवारों की अच्छी खासी भीड़ उमड़ी, भीड़ देखकर साक्षात्कार लेने वाले अधिकारियों के माथे पर उस वक्त पसीना आ गया, जब पता चला कि इस लाईन में एमबीए और पीएचडी धारक भी हैं तो अधिकारी चौंक उठे। यह बेरोजगारी की वह तस्वीर है जो शासक वर्ग द्वारा भारत में बड़े पैमाने पर निर्माण की गई है। यह तस्वीर और भयावह होने वाली है क्योंकि यूएन की रिपोर्ट में दावा किया है कि वर्ष 2017-18 में भारत में बेरोजगारी में बेतहासा बढ़ोŸारी होगी। हैरानी की बात तो यह है कि भारत में बीते साल में 177 लाख बेरोजगारों के मुकाबले 2017 में यह आंकड़ा 178 लाख से ज्यादा हो जायेगा। यहीं नहीं 2018 में यह आंकड़ा 180 लाख से ज्यादा पहुंच जायेगा। यानि भारत में बेरोजगारी की दर 2017-18 में भी तकरीबन 8 फीसदी बनी रहेगी।
उक्त बातों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि सरकार गलत नीतियां बनाकर देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को बेरोजगारी की आग में झोंक रही है।

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