शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

गंगा की ऐसी की तैसी करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी गंगा का बदसूरत चेहरा

गंगा की ऐसी की तैसी
करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी गंगा का बदसूरत चेहरा


नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
यह बात उन लोगों को नागवार लगेगी जो लोग गंगा को अपनी सगी माँ समझते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अब उनकी गंगा माँ का चेहरा देखने लायक नहीं रह गया है। यह देन किसी और की नहीं है, बल्कि गंगा की यह हालत उनके बेटों ने ही मिलकर गंगा के चेहरे को बदसूरत बना दिया है। यह करीब तीन दशक से देखा जा रहा है कि गंगा को धर्म और आस्था से जोड़कर राजनीति करने वाली कांग्रेस और भाजपा गंगा के चेहरे को खुबसूरत बनाने के लिए करोड़ों रूपये बजट बनाते हैं और बाद में गंगा की ऐसी की तैसी कर उन करोड़ों को बंदरबाट कर जाते हैं। यह खुलासा तब हुआ जब पिछले सप्ताह कैग की रिपोर्ट आई, जिससे पता चला कि विगत 31 मार्च तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन अपने बजट में से 2,133 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं कर पाया है। यह खबर जहां आम जनता के लिए आश्चर्यजनक है वहीं गंगा के बेटों के लिए शर्म की भी बात है। जब भी खबर मिलती है कि गंगा की सफाई में फिर से वही ढील दी जा रही है, जो हम तीन दशकों से देखते आ रहे हैं, तो मुझे निजी तौर पर तकलीफ होती है। पिछले सप्ताह कैग की रिपोर्ट आई, जिससे पता लगा कि विगत 31 मार्च तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन अपने बजट में से 2,133 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं कर पाया था। यह खबर आश्चर्यजनक भी है। क्योंकि बहुत कुछ किया जा सकता था इस राशि से। खर्च नहीं हुआ है पैसा, तो इसके पीछे लापरवाही किसकी हो सकती है?
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि गंगा की सफाई की उम्मीद उनके बेटों को आज से नहीं बल्कि 1985 है जब से यह प्रयास शुरू हुआ था। उस समय नया-नया बना था और गंगा की सफाई इस संस्था की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर थी। इनटेक के हाथों में यदि इस योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी रहती तो सम्भव है। आज गंगा का हाल इतना सुधर गया होता कि हम गंगा को प्रतीक बनाकर देश को बाकी नदियों की सफाई में लग गए होते। अफसोस तो तब और ज्यादा होता जब राजीव गाँधी ने इस योजना को सरकारी बना दिया और इस पर इतने करोड़ रुपए लगाने का प्रावधान किया कि हमारे भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और अधिकारी इस योजना को सोने की मुर्गी के रूप में देखने लगे। गंगा की सफाई के नाम पर ऊपर से नीचे तक पैसा भ्रष्ट अधिकारियों की जेबों में जाता रहा। सो नरेन्द्र मोदी जब वाराणसी आये थे अपना नामांकन पत्र भरने और भरते समय जब उन्होंने कहा था कि उनको माँ गंगा ने बुलाया है, तब वहां के लोगों में उम्मीद जगी थी कि गंगा की सफाई पर वह विशेष तौर पर ध्यान रखा जाएगा और जल्द ही गंगा की बदसूरत अब देखने लायक हो जाएगी, मगर बहुत अफसोस की बात है कि उन्होंने ऐसा अभी तक नहीं किया है।
आपको बताते चले कि केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के तुरन्त बाद ही 15 हजार करोड़ रूपये बजट उमा भारती के नेतृत्व में बनाया गया, उसके बाद उमा भारती ने एक कार्यक्रम में बयान दिया कि गंगा को साफ करने में 15 साल लग जाएंगे। वहीं दूसरी बार मोदी सरकार ने 20 हजार करोड़ रूपये फिर जारी किया। जबकि कांग्रसे के समय में ही करोड़ों रूपये जारी किए जा चुके था। मगर हैरानी तब हुई जब कैग ने यह बताया कि 31 मार्च 2017 तक 2133 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं हुआ? अगर यह पैसा खर्च नहीं हुआ तो फिर करोड़ों रूपये गए कहा? क्या आसमान निगल या पातल में चला गया? यह साबित करने के लिए काफी है कि सराकर के लिए अब गंगा वैसी नहीं है बल्कि सरकार के लिए अब गंगा की ऐसी की तैसी बन चुकी है। वैसे भी यह बात सभी जानते हैं कि बीजेपी गंगा के नाम पर सिर्फ वोट लेने का काम कर रही है, बीजेपी को गंगा की सफाई से कोई लेना-देना ही नहीं है।

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