कॉरपोरेट टैक्स खत्म करने पर आमदा मोदी सरकार
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
आज एक बार फिर आरएसएस नीति वाली भाजपा की मोदी सरकार कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त करने पर पूरी तरह से आमदा हो चुकी है। इसका नजारा 01 फरवरी 2018 को पेश होने वाले केन्द्रीय बजट में देखा जा सकता है। वैसे भी संघ संचालित मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगले बजट से कॉरपोरेट घरानों को टैक्स नहीं देना होगा।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि चार साल से ‘‘सबका साथ-सबका विकास’’ का सपना दिखाने वाली केन्द्र की मोदी सरकार केवल कॉरपोरेट घरानों का साथ और विकास कर रही है। इसके कई उदाहरण सामने भी आ चुके हैं कि सरकार को गरीब और आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों को हर संभव साथ देना है। यही कारण है कि मोदी सरकार सŸा में आने के बाद से कॉरपोरेट घरानों को पैकेज के नाम पर न केवल अरबो-खरबो रूपया फ्री में बांट दिया, बल्कि देश में एफडीआई के माध्यम से मेक इन इण्डिया जैसे कई योजनाओं की आड़ में कम्पनियां भी स्थापित कर दिया है। आज भी केन्द्र की संघ संचालित मोदी सरकार इन कॉरपोरेट घरानों के लिए ही काम कर रही है। ऐसा ही एक नजारा तब देखने को मिला जब पता चला कि मोदी सरकार अगले आम बजट में कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त करने का पूरा प्लान बना चुकी है।
हालांकि कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त करना सरकार का यह पहला कदम नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई बार सरकार कॉरपोरेट घरानों को राहत देते हुए टैक्स मुक्त किया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त करने के लिए न केवल कई कानून बनाए हैं, बल्कि देश की जनता को धोखा भी दिया है। आपको बताते चलें कि केन्द्र की संघ संचालित मोदी सरकार ने कई ऐसे कानून बनाए हैं जिनके माध्यम से कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त किया है। जिसमें जीएसटी सबसे प्रमुख है।
गौरतलब है कि भारत के अधीन रहकर उद्योगपतियों से लेकर आम जनता व छोटे-मझोले व्यवसायियों को एक समान कई टैक्स अदा करना पड़ता था। इन टैक्सों में सर्विस चार्ज, वैट, ट्रांसपोर्ट आदि सहित अन्य टैक्स शामिल हैं। मगर मोदी सरकार आते ही कॉरपोरेट घरानों का अलग और छोटे-मझोले कॉरोबारियों का अलग-अलग टैक्स निर्धारित किया, परन्तु बाद में 35 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत फिर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया। यह टैक्स यहीं नहीं रूका इससे भी आगे चलकर 25 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया। लेकिन मोदी सरकार ने 2016 में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) नामक काला कानून बनाया और इस कानून के माध्यम से कॉरपोरेट घरानों को बिल्कुल टैक्स मुक्त कर दिया।
जीएसटी लागू करने से पहले सरकार ने कहा था कि जिन व्यवसायियों और उद्योगपतियों को छोटे-छोटे कई टैक्स देने पड़ते थे, अब जीएसटी के माध्यम से छोटे-छोटे टैक्स देने के बजाय एक ही बार टैक्स देना होगा। यानि एक देश एक टैक्स केन्द्र सरकार ने कॉरपोरेट घरानों को टैक्स मुक्त करने के लिए जीएसटी का हवाला देते हुए छोटे-छोटे कई टैक्सों को खत्म कर दिया। और जीएसटी के माध्यम से एक देश में टैक्स के चार दर लागू कर दिए। सरकार ने जब देश में पूरी तरह से जीएसटी लागू कर दिया तब घोषणा किया कि जिन व्यवसायियों और उद्योगपतियों का सालाना आय 20 लाख से ज्यादा होगी उनको जीएसटी के बाहर रखा जाएगा। बाद में फिर सरकार बदलाव करते हुए 20 लाख सालाना आय को बढ़ाते हुए 50 लाख कर दिया। इसका दुष्परिणाम यह निकला कि बड़े-बड़े उद्योगपति जिनकी सालाना आय 50 लाख से ज्यादा है वे लोग जीएसटी से बाहर हो गये और जो छोटे-छोटे कारोबारी हैं जिनकी आय 50 लाख से नीचे है, वे जीएसटी के भारी चपेट में आ गये। मोदी सरकार ने जीएसटी के माध्यम से पहले ही जनता को ठग लिया। क्योंकि सरकार ने जीएसटी का हवाला देने हुए छोटे-छोटे उन कई टैक्सों को खत्म कर दिया जो पहले कॉरपोरेट घरानों से लेकर आम आदमी देता था। इसी तरह से धोखेबाजी आज एक बार फिर सरकार करने जा रही है।विशेष सूत्रों के अनुसार कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती करने और विदेशी निवेश की शर्तों में ढील जैसे कई प्रस्तावों पर सरकार गम्भीरता से विचार कर रही है। 1 फरवरी 2018 को पेश होने वाले आम बजट में इससे संबंधित घोषणाएं हो सकती हैं। स्पष्ट रूप से सरकार तय कर चुकी है कि आगामी बजट में कॉरपोरेट घरानों को सभी प्रकार के टैक्सों से मुक्त कर दिया जाएगा। उक्त बातों का पूर्णरूप से विश्लेषण करने से पता चलता है कि देश में आरएसएस नीति वाली मोदी सरकार देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को कॉरपोरेट घरानों का गुलाम बनाने के लिए आए दिन बहुजन विरोधी कानून बनाकर कॉरपोरेट घरानों को देश में स्थापित कर रही है।
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