मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

रेलवे में वीआरएस पर बच्चों को नौकरी देने की योजना पर मोदी ने लगाई रोक


नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
केन्द्र की आरएसएस नीति वाली मोदी सरकार की मौजूदा हालत देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार केवल नौकरियां खत्म करने के लिए बनाई गई है। क्योंकि केन्द्र में जब से मोदी की सरकार बनी है तब से मोदी सरकार की अगुवाई में करीब लाखों नौकरियों को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया गया है। बाकी कुछ बची नौकरियों को नोटबंदी और जीएसटी के जरिए खत्म किया जा चुका है। आज एक बार फिर मोदी सरकार नई नौकरियां देने के बजाए पहले से मौजूद कुछ नौकरियों को खत्म करने का आदेश जारी कर दिया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब सोमवार 11 दिसम्बर 2017 को केन्द्र की आरएसएस नीति वाली मोदी सरकार ने रेलवे में स्वैच्छिक सेवानिवृŸा (वीआरएस) लेने वाले कर्मचारियों को अपने स्थान पर बच्चों को नौकरी देने की योजना को बंद करने का आदेश जारी किया।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि देश की मौजूदा केन्द्र सरकार जहां हर योजना में नये रोजगार देने के ढोल पीटती रही है, वहीं दूसरी तरफ पहले से मौजूद नौकरियों को खत्म करने का सिलसिला भी चलाती रही। ऐसा ही सिलसिला आज भी जारी है। नई नौकरियां देने के बजाए पहले से मौजूदा नौकरियों को खत्म करने की मंशा लिए हुए मोदी सरकार अब रेलवे में वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को जोर का झटका दिया है। गौरतलब है कि सोमवार को नरेन्द्र मोदी ने भारतीय रेल द्वारा साल 2004 में स्वैच्छिक सेवानिवृŸा (वीआरएस) पर बच्चों को नौकरी देने का प्रावधान किया था, मगर नरेन्द्र मोदी ने स्वैच्छिक सेवानिवृŸा बच्चों को नौकरी देने की योजना को बंद कर दिया है। केन्द्र सरकार के इस आदेश का अनुशासन में रहकर पालन करते हुए रेलमंत्रालय ने एक आर्डर जारी कर सभी रेलवे बोर्ड को आदेश जारी कर दिया है कि जब तक केन्द्र सरकार द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृŸा पर बच्चों को अपने स्थान पर नौकरी देने का आर्डर नहीं आ जाता है तब तक इस योजना पर रोक लगा दी जाए।
आपको बताते चलें कि केवल केन्द्र सरकर के पास 2 करोड़ नौकरियां हैं, जिसमें से करीब 01 करोड़ से ज्यादा नौकरियों पर विगत कई सालों से भर्ती प्रक्रिया बंद चल रही है। यानि केन्द्र सरकार के पास 01 करोड़ से ज्यादा नौकरियां बची हुई हैं, मगर सरकार उन नौकरियों को भरने के बजाए बचे खुचे सीमित नौकरियों को भी खत्म कर रही है। नौकरियां खत्म करने का काम केवल केन्द्र की मौजूदा सरकार ही नहीं कर रही है बल्कि पूर्व की कांग्रेस भी सरकारी नौकरियां खत्म करने का अभियान चला चुकी है। एलपीजी, सेज और एफडीआई के माध्यम से सार्वजनिक और पब्लिक सेक्टर नौकरियों में नीजीकरण लागू कर खत्म कर दिया, जबकि उस वक्त विपक्ष में बीजेपी ने पूरजोर विरोध किया था, मगर पुनः सŸा में आते ही कांग्रेस द्वारा नौकरियों को खत्म करने के अभियान को तेज करते हुए बची खुची नौकरियों को भी खत्म कर रही है।

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