मोदी राज में एससी/एसटी और ओबीसी को नहीं है नौकरी
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
जहां एक तरफ देश का युवावर्ग पढ़ाई करने के बाद भी नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा हैं, वहीं सरकार को युवा वर्ग के भविष्य का कोई ख्याल ही नहीं है। एक आरटीआई से मिली जानकारी से तो ऐसा ही लगता है। दरअसल, सरकारी नौकरियों में आरक्षित पदों पर नियुक्ति को लेकर लगाई एक आरटीआई से यह बात सामने आई है कि सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में एससी/एसटी और ओबीसी के करीब 150 से ज्यादा पद कई सालों से खाली पड़े हैं। उन पर अभी तक कोई नियि्क्त नहीं की गई है। कुछ मामलों में रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन एवं अन्य कार्रवाई भी की गई है। नियि्क्त में आरक्षण का संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद भी एससी/एसटी और ओबीसी के ये पद कई सालों से रिक्त पड़े हुए हैं।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता के मुताबिक बता दें कि सूचना के अधिकार के तहत विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, 30 जून 2016 तक मंत्रालय के खाली पड़े पदों में अनुसूचित जाति के 50 पद रिक्त हैं। अनुसूचित जनजाति के 20, ओबीसी के 95 पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं, एलडीसी में एससी के 4, एसटी के 4 और ओबीसी के 6 रिक्त हैं। अनुसूचित जनजाति के नवंबर 2011 से कारपोरेट मंत्रालय में एमटीएस के 3 पद रिक्त हैं और डीओपीटी को इसकी सूचना दी जा चुकी है। आरटीआई कार्यकर्ता ने आरटीआई के जरिए विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों से आरक्षण नीति एवं नियमावली के अनुसार, केंद्र सरकार के सभी विभागों में आरक्षित पदों के तहत रिक्तियों का विवरण मांगा था। वहीं आरटीआई के जरिए ये जानकारी भी मिली है कि ग्रामीण विकास विभाग में एमटीएस कैडर के तहत ओबीसी श्रेणी के 12 पद रिक्त हैं जबकि अनुसूचित जाति का एक पद रिक्त है। इकोनॉमिक इंवेस्टिगेटर समूह 2 का एक पद ओबीसी श्रेणी के तहत रिक्त है।
गौरतलब है कि जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी से पता चला है कि राजस्व विभाग में एमटीएस श्रेणी के 48 खाली पड़े पदों की सूचना कर्मचारी चयन आयोग को दी गई है। इन पदों में 4 एससी, 13 ओबीसी, 5 पूर्व सैनिकों और 2 विकलांगों के लिए आरक्षित हैं। आर्युवेद के तहत एससी के 4 पद, होम्योपैथी के तहत एससी के 2 पद, एसटी का 1 पद और 1 पद ओबीसी के लिए खाली पड़ा हुआ है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सचिवालय में एमटीएस में एससी के 18 पद रिक्त हैं। जबकि अनुसूचित जनताति वर्ग के 2 पद और अन्य पिछड़ा वर्ग के 10 पद रिक्त हैं। इसका सीधा सा संकेत है कि मोदी सरकार देश के 85 प्रतिशत मूलनिवासी बहुजन समाज को नौकरी ही नहीं देना चाहती है।
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