शनिवार, 23 दिसंबर 2017

सरकार की लापरवाह के चलते बैंकों को लग रहा करोड़ रुपये का चुना

सरकारी धोखाधड़ी 


नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
केन्द्र और भाजपा शासित राज्यों की सरकारें कितनी लापरवाह हो चुकी है इसका अंदाजा तो इसी से लगाया जा सकता है कि सरकारों की लापरवाही से धोखाधड़ी, लूट, डकैती और ठगी के चलते बैंकों को बीते वित्त वर्ष 2016-17 में 16 हजार 789 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। वित्त राज्यमंत्री ने एक सवाल के लिखित जवाब में शुक्रवार 22 दिसंबर 2017 को लोकसभा में यह जानकारी दी।
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार बैंकिंग सेक्टर में साइबर सिक्योरिटी को लेकर समिति का गठन किया गया है। इसमें आरबीआई के अधिकारी, अकादमिक जगत, फॉरेंसिक, साइबर सिक्यूरिटी एक्सपर्ट्स और सूचना तकनीक से जुड़े लोगों को शामिल किया गया है। इसके बाद भी बैंकों की लूट, डकैती को रोक पाना उक्त एक्सपर्टस अधिकारियों के लिए चुनौती साबित हो रहा है। यदि बात साइबर क्यिरिटी की करें तो भारत सरकार साइबर सिक्यूरिटी पर अपने बजट का 42.2 करोड़ रूपये खर्च करती है, जबकि वहीं अमेरिका साइबर सिक्यूरिटी पर 65.8 करोड़ रूपये खर्च करता है। सबसे ज्यादा दिलचस्प बात तो यह है कि दुनियाभर में साइबर हमले को देखते हुए भारत इससे बचाव पर बहुत कम खर्च करता है। विशेष सूत्रों के अनुसार वर्ष 2011-12 में साइबर सुरक्षा पर खर्च के लिए भारत का बजट आवंटन सिर्फ 35.45 करोड़ रुपए था। 2012-13 में 19 फीसदी बढ़कर 42.2 करोड़ रुपए तक पहुंचा था। जबकि अमेरिका साइबर हमले से बचाव पर 65.8 करोड़ डॉलर करीब 4,260 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। इस अध्ययन के मुताबिक बीते चार साल में भारतीय वेबसाइटों पर साइबर हमले चार गुना बढ़े हैं। वित्तीय इन्फ्रास्ट्रक्चर इकोसिस्टम में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ने के साथ धन का प्रवाह तेजी से बढ़ा है। आने वाले वर्षों में निजी कंपनियों को अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर को और पुख्ता करना जरूरी हो जाएगा क्योंकि टेलीकॉम, ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा, बैंकिंग और फाइनेंस के क्षेत्र में उनकी संपत्तियां और अधिक होंगी। 
आपको बताते चलें कि केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि 2016-17 के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज की गई बैंक लूट, चोरी, डकैती और सेंधमारी की घटनाओं में लगभग 65.3 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, इतना ही नहीं चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ऐसे 393 मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिससे सरकार की लापरवाही के कारण बैंकों को 18.48 करोड़ रुपये कर भारी चुना लगा है। यदि सरकार अपने ईमानदारी और मुस्तैद होकर काम करती तो आज बैंको को करोड़ों रूपये का चुना नहीं लगता। इससे साबित होता है कि सरकार जानबूझकर लापरवाही कर रही है।

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