मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

ईवीएम तो ईवीएम चुनाव आयोग भी हैक

ईवीएम तो ईवीएम चुनाव आयोग भी हैक

जीएसपीसी घोटाले वाली कम्पनी ही बना रही है ईवीएम की चिप
अहमदाबाद/दै.मू.समाचार
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव सम्पन्न होते ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम की विश्वसनियता को लेकर एक बार फिर से बहस जोर पकड़ चुकी है। भले ही देश की ब्राह्मणवादी मीडिया इस बहस को टीवी चैनलों और अखबारों में जगह नहीं दे रहे हैं, मगर सोशल मीडिया पर केवल यही चर्चा चल रही है। इन चर्चाओं के बीच ईवीएम और चुनाव आयोग को लेकर न केवल सवाल उठाए जा रहे हैं, बल्कि ईवीएम और चुनाव आयोग को लेकर टिप्पणी भी की जा रही है। टिप्पणी में कोई कह रहा है कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इण्डिया का नाम बदलकर इलेक्शन कमीशन ऑफ मोदी रख दिया जाए, तो कोई यह कहने से जरा भी संकोच नहीं कर रहा है कि ईवीएम तो ईवीएम चुनाव आयोग भी हैक हो चुका है। यही नहीं एक रिपोर्ट के माध्यम से ईवीम को लेकर एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसे सुनकर आप भी यकीन कर सकते हैं कि वास्तविक रूप से ईवीएम फ्रॉड है। रिपोर्ट के मुताबिक केवल ईवीएम ही फ्रॅाड नहीं है, बल्कि ईवीएम में लगने वाली चिप जो कम्पनी बना रही है। वह कम्पनी भी फ्रॉड है। 
दैनिक मूलनिवासी नायक विशेष संवाददाता ने एक सनसनीखेज खबर देते हुए बताया कि देश में ईवीएम और चुनाव आयोग विवाद के बीच एक ऐसा खुलासा हुआ जो देश की जनता को उनकी लोकतांत्रित ताकत (सरकार) के बारे में सुनकर चौंक जाएगें। इस सनसनीखेज खबर के अनुसार गुजरात के तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के अगुवाई में वर्ष 2005 में गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (जीएसपीसी) घोटाला करने वाली कम्पनी और ईवीएम चिप बनाने वाली कम्पनी में एक ही कम्पनी ने निवेश किया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब बुधवार 13 दिसम्बर 2017 को एक रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया। बात आगे बढ़ने से पहले ही सवाल उठता है कि जीएसपीसी घोटाला क्या है? इन घोटालों में कौन-कौन शामिल है? गौरतलब है कि गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (जीएसपीसी) वो कम्पनी है जो गुजरात में समुद्रतट में गैस की खोज कर रही थी। 26 जून 2005 को गुजरात के तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस में घोषणा की थी कि इस कम्पनी द्वारा खोजी गई गैस का मूल्य 02 लाख करोड़ होगा। इससे गुजरात को सालों तक बाहर से गैस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस प्रोजेक्ट को नरेन्द्र मोदी की तरफ से 1500 करोड़ रूपये दिए गये, साथ ही समय के साथ-साथ सरकारी बैंकों की ओर से भी 20 हजार करोड़ रूपये दिए गए। हैरान करने वाली बात तो यह है कि सीएम मोदी ने जो कम्पनी द्वारा गैस निकालने का दावा किया था वह सफेद झूठ निकला। यही नहीं जो सरकार और बैंकों की तरफ से करोड़ों रूपये दिए गए थे वे भी डूब गए। चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिस वक्त यह जीएसपीसी घोटाला हुआ उस वक्त आज के वर्तमान चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति उस वक्त जीएसपीसी के चेयरमैन थे। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि जैसे मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार ज्योति के कार्यकाल में जीएसपीसी घोटाला हुआ ठीक उसी प्रकार से आज भी ईवीएम घोटाला हुआ है। आपको बताते चलें कि इस प्रोडक्ट में जीओ ग्लोबल सर्विस इंडिया (जीजीआर) कम्पनी मुख्य रूप से शामिल है। जबकि इस कम्पनी का गैस खोजने जैसे कामों में कोई तजुर्बा नहीं है। इसके बाद भी गुजरात सरकार ने करोड़ों रूपये दिया और यह कम्पनी करोड़ों रूपये लेकर बैठ गई। जिसकी वजह से गुजरात सरकार को करोड़ों रूपये का घाटा हुआ। आज यही कम्पनी जिसका मुख्यालय कनाडा में है यह कम्पनी अमेरिका के एक विŸाय समूह केकेसी की सहाय कम्पनी है। भारत में उपयोग की जा रही फ्रॉड ईवीएम मशीन के लिए माईक्रोचिप बनाने वाली अमेरिकी कम्पनी माइक्रोचिप ईएनसी और केकेसी स्वामिख का पैटर्न काफी हद तक काफी समान है। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही कम्पनी ने दोनों में निवेश कर रखा है। यही नहीं केकेसी और माइक्रोचिप ईएनसी में करीब 7 कम्पनियां शामिल हो कर ईवीएम के लिए चिप तैयार कर रही हैं। जिनके माध्यम से आज बीजेपी हर राज्यों में अपनी सरकार स्थापित कर रही है। यानि जो वर्तमान में ईवीएम के लिए जो कम्पनी चिप तैयार कर रही है यहीं कम्पनी 2005 में जीएसपीसी घोटाला करने वाली नम्बर वन की कम्पनी थी। इसलिए यह कहा जा सकता है कि इन घोटालेबाज कम्पनियों से मिलकर ईवीएम में ईवीएम चिप द्वारा घोटाला किया जा रहा है।

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