उना में दलितों की पिटाई के मामले में एक और अहम मोड़ आ गया है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सीआईडी ने स्थानीय पुलिसकर्मियों पर तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. 34 आरोपितों के खिलाफ दायर अपने आरोप पत्र में सीआईडी का कहना है कि दलित मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे थे और इस घटना को पुलिस ने ‘बीफ पाए जाने’ का रंग दे दिया.
गुजरात के उना में यह घटना 11 जुलाई को हुई थी. इसके बाद दलित समुदाय ने भारी विरोध प्रदर्शन किया था. सीआईडी ने इस मामले में चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार भी किया है जिसमें उना के पुलिस थाने का पूर्व इंस्पेक्टर भी शामिल है. आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने गलत तरीके से रिपोर्ट लिखी और अपने अधिकारक्षेत्र के बाहर जाकर कार्रवाई की.
वह फॉरेंसिक रिपोर्ट भी आरोपपत्र का हिस्सा है जिसमें गाय के शव में शेर के बाल की पुष्टि हुई है. इस रिपोर्ट का निष्कर्ष यह था कि गाय को शेर ने मारा था, दलितों ने नहीं.
आरोपपत्र के मुताबिक सीआईडी ने कहा है कि जब आरोपितों ने चार दलित युवकों को बंधक बनाया तो कुछ गांववालों ने इसका विरोध किया था. लेकिन उन्हें धमकाकर भगा दिया गया. सीआईडी के मुताबिक इन गांववालों ने गांधीनगर और अहमदाबाद पुलिस कंट्रोल रूम को घटना की जानकारी दी जिसने उना पुलिस स्टेशन को खबर की. लेकिन सूचना दर्ज करने के बाद स्थानीय पुलिस ने करीब चार घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं की. रिपोर्ट के मुताबिक आईजी (सीआईडी) शशिकांत त्रिवेदी का कहना है कि बाद में पुलिस ने इस सूचना में एक और लाइन जोड़ दी कि ‘गौमांस पाया गया.’ त्रिवेदी इस जांच की अगुवाई कर रहे हैं.