बुधवार, 21 सितंबर 2016

Gandhi Ka Sach

Gandhi Ka Sach

 
 
 
 
 
 
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गांधी जी की इन हरकतों के विषय में आपका क्या कहना है, मानवता के यह पुराने कलंक इतने है कि इसी एक विषय पर एक पूरी पुस्तक लिखी जा सकती है. गांधी जी के अपने जीवन में ही उनके चरित्र पर ना केवल उंगलियाँ उठाई गई बल्कि कई लम्बे-लम्बे लेख और पुस्तकें तक लिखी गईं यहाँ केवल कुछ उदाहरण दे रहा हूँ.
1. रांजी शाहनी अपनी पुस्तक “मिस्टर गांधी” में इस प्रकार लिखते हैं- “गांधी जी मालिश करवाते समय बिलकुल नंगे हो जाते थे और अक्सर नवयुवक लडकियां ही उनकी मालिश किया करती थीं. (पृष्ठ 578 ) में हैद्रोपैथी का इलाज कराते समय गांधी जी स्नान करने के दौरान,जबकि वह पूर्णतया: नग्न होते, पुरुष और स्त्रियाँ, दोनों कि सहायता लिया करते,गांधी जी कि यह इच्छा होती थी कि वह शारीरिक और आध्यात्मिक तौर पर बिलकुल नग्न हो जाएँ.”
Mahatma Gandhi2. जैफ्ती ऐशे अपनी पुस्तक “गांधी” में लिखते हैं- गाँधी ने “ब्रहमचर्य” कि प्रतिज्ञा कि हुई थी….उनकी पत्नी कस्तूरबा प्राय: यह संदेह करती थी कि यह प्रतिज्ञा आम औरतों कि बजाय केवल उसी के लिए है. 
3. प्रोफ़ेसर एन.सी. बोस जो नवाखली के दंगों में 5 महीने तक गाँधी जी के सचिव रहे, अपनी पुस्तक ‘माई डेज विद गांधी’ में लिखते हैं, “मुझे गाँधी के प्रयोग के बारे में जानकर बहुत आश्चर्य हुआ……प्राय: वह स्त्रियों को अपने साथ सोने और उनकी ओढनी में उनके साथ लेटने के लिए कहते थे. इसके पश्चात् वह जानने का प्रयत्न करते थे कि उनके व उनके साथ सोने वाली स्त्री अथवा लड़की में कामुकता(भोग) कि भावना तो पैदा नहीं हुई. (पृष्ठ 174 ) गांधी जी के नग्न शरीर की मालिश करने वालों में डॉ. सुशीला नायर और मनुबेन भी थीं (पृष्ठ 115 -179 ) मनु गांधी के साथ नग्न सोती थी ( पृष्ठ 159 )”
4. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गांधी जी के प्रयोग के बारे में कहा था कि “ये धर्म नहीं वास्तव में अधर्म है.”
5. ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कोर्पोरेशन (बी.बी.सी.) लंडन को व्यक्त किये अपने मत में डॉ. अम्बेडकर ने कहा था-”नैतिक तौर पर भी गांधी ‘महात्मा’ नहीं थे.”
गाँधी जी ने अपने ‘ब्रह्मचर्य प्रयोगों’ में अनेक लड़कियों व स्त्रियों को इस्तेमाल किया उनमें मनुबेन,सुशीला नायर, रैहाना, ‘मीराबेन (कुमारी स्लाड़े)’, अन्ना आदि के नाम विशेष रूप में लिए जाते हैं. ब्रह्मचर्य प्रयोगों में शामिल एक स्त्री रैहाना का एक वक्तव्य बड़ा ही रोचक है वेद मेहता को अपनी एक भेंट में रैहाना ने बताया-
” पिछले अवतारी जन्मों में (ज्यादा) मैथुन करने के कारण मैं ऐसे हो गई थी जैसे मुक्त में कामुकता ही ना हो. गांधी जी को इस कि जानकारी थी हालांकि मेरे योगिक-प्रयोग प्राचीन परम्परा के थे तो भी गांधी जी मेरे बारे में चिंतित रहते थे कि मैं पुरुषों के साथ ब्रहमचर्य-प्रयोग करती हूँ. एक बार अपने एक रोगी के साथ नग्न सोने पर उन्होंने मुझे फटकारा भी था रोगी की पत्नी मर चुकी थी और वह ज्वरांश कि तेजी में अपनी ही बेटी के पीछे कामुकता में भागता था मैं निरंतर एक सप्ताह उसके साथ नग्न सोई परिणाम आश्चर्य जनक निकले. वह पूर्ण तौर पर तंदुरुस्त (स्वस्थ) हो गया. (Mahatma Gandhi and His Apostles , प.211 ) (ऐसा करने से तो मुर्दा भी भाग खड़ा होगा वो तो विक्षिप्त था) 
ये तो चंद उदाहरण है इस पर अत्यंत कट्टर समर्थक ब्राईट मैन को भी मानना पड़ा कि ” यह सच है कि जो धर्म कि दुहाई देते है, उन्होंने शायद ही कभी उसके उच्चतम सिद्धांतों का पलन किया है और धर्म याजकों, राजनितिगियों तथा उद्धोगपतियों ने अक्सर धर्म को अधार्मिक उद्द्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया है. आज जो लोग निराश्वर वादिता पर विलाप करते देखे जाते है उसका सारा व्यवहार ऐसा है कि यदि वे एक दिन भी यह समझ कर चलें कि वे ईश्वर की इच्छा को महत्व देते हैं, तो उनका सारा जीवनक्रम ही तहस-नहस हो जाएगा.” (धर्म का एक दर्शन,पृष्ठ २५९)

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