बिना किसी भूमिका के सीधे मुद्दे पर आते हैं. मध्य प्रदेश में 13 साल से सत्ता सुख भोग रही भाजपा के एक विधायक हैं, पन्नालाल शाक्य. गुना विधानसभा क्षेत्र से आते हैं. ये खुद ज्यादा चर्चित हों न हों, इनका बयान जरूर गुरुवार को तमाम स्थानीय अखबारों में सुर्खियां बटोर रहा था. शाक्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में बुधवार को कहा था, ‘मुझे पार्टी में रहते हुए विधायक बनने में 37 साल लग गए. जबकि बाहर से आने वाले लोग सीधे मंत्री बन रहे हैं. ऐसे लोग (भाजपा में) आते रहना चाहिए. हमें ऐसे विभीषणों की जरूरत है.’
शाक्य का इशारा उन नेताओं की तरफ था, जो दूसरे दलों, खासकर कांग्रेस से भाजपा में आए और प्रदेश सरकार में मंत्री बन बैठे. ऐसे ही एक नेता हैं, संजय पाठक. वर्तमान में प्रदेश सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री हैं. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय संभालते हैं. लेकिन उनका खुद का उद्योग-व्यवसाय न सूक्ष्म है, न लघु और न ही मध्यम. बल्कि काफी भारी-भरकम है. इन्हें 30 जून 2016 को मंत्री बनाया गया और दो दिन बाद ही एक अखबार ने उनके बारे में खबर दी कि ये शिवराज सिंह चौहान मंत्रिपरिषद के सबसे रईस मंत्री हैं. विधानसभा चुनाव के वक्त उन्होंने अपनी संपत्ति 141 करोड़ रुपए घोषित की थी. इनकी आयरन, बॉक्साइट, कोयले की खदानें हैं. इंडोनेशिया में भी कोयले की खदान है. कान्हा, पेंच जैसे राष्ट्रीय उद्यानों और खजुराहो में भी हेरिटेज होटलों की श्रृंखला है. शायद प्रदेश के इकलौते ऐसे विधायक हैं, जिनके पास अपना हेलीकॉप्टर भी है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है, 'सरकार और पार्टी संगठन में जमीनी कार्यकर्ताओं की भारी उपेक्षा हो रही है. वे शिकायत करते हैं, लेकिन सुनवाई नहीं होती'
संजय मूल रूप से कांग्रेसी हैं. उनके पिता सत्येंद्र पाठक दिग्विजय सिंह की सरकार में मंत्री हुआ करते थे. संजय ने भी विजयराघौगढ़ (कटनी जिले में) विधानसभा सीट से 2008 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही जीता था. फिर 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी के तौ्र पर ही इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त न जाने अचानक क्या हुआ कि उन्होंने अप्रैल में कांग्रेस और उसकी विधायकी दोनों छोड़ ...