RSS की राजनीति खूनी: अयोध्या के साधु
नवभारतटाइम्स.कॉम| Dec 19, 2014, 05.28PM IST
अयोध्या
अयोध्या के प्रमुख साधुओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों द्वारा जबरन धर्मांतरण कराने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। साधुओं ने कहा कि इन हरकतों से देश में विभाजन की राजनीति को बल मिलेगा। ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ज्ञान दास ने कहा कि ये लोग खून की राजनीति कर रहे हैं। इस परिषद में कुल 13 अखाड़े शामिल हैं, जिनमें 7 शैव, तीन वैष्णव और तीन सिखों के हैं।
ज्ञान दास की गिनती अयोध्या के सबसे प्रभावशाली साधुओं में होती है। इन्होंने कहा, 'धर्म निजी आस्था है। किसी को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। आरएसएस और इससे जुड़े विंग अल्पसंख्यकों का जबरन धर्मांतरण करवा घोर अपराध कर रहे हैं। ये अपराधी हैं और इन पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।'
अयोध्या के साधुओं का आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से गहरा संबंध रहा है। संघ और इससे जुड़े विंग इन साधुओं के माध्यम से हिन्दुओं को लामबंद करते रहे हैं। 1990 की शुरुआत में अयोध्या में साधुओं के बीच वीएचपी की अच्छी पैठ रही है। लेकिन बाद में वीएचपी और साधुओं के बीच गहरे मतभेद सामने आए। यह मतभेद लोकसभा चुनाव के पहले तक था। लेकिन चुनाव के वक्त साधुओं ने एक बार फिर से आरएसएस और बीजेपी का समर्थन किया था। हालांकि जबरन धर्मांतरण के बाद एक बार फिर दोनों के बीच तलवारें खींच गई हैं और दरार साफ दिख रही है।
ज्ञान दास अकेले नहीं हैं जो उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण की कड़ी निंदा कर रहे हैं। ज्यादातर साधु जबरन धर्मांतरण को लेकर आरएसएस, वीएचपी और इससे जुड़े विंग धर्म जागरण मंच पर हमला बोल रहे हैं। ज्ञान दास ने कहा, 'इससे पहले ये लोग राम के नाम पर सांप्रदायिकता की आग भड़काते रहे और अब ये लोगों को जबरन हिंदू बनाकर देश में विभाजन की राजनीति को हवा दे रहे हैं। ये पूरी तरह से अवैध है और सरकार को इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।' राम जन्मभूमि मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी जबरन धर्मांतरण की कड़ी आलोचना की है।
सत्येंद्र दास ने नरेंद्र मोदी सरकार पर सांप्रदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इन्होंने कहा कि मोदी सरकार आरएसएस की जरिए सांप्रदायिकता को हवा दे रही है। इन्होंने कहा, 'राजनीति विवादों को स्थायी करने का काम कर रही है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।'
सत्येंद्र दास ने कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथों में जबरन धर्मांतरण के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए आरएसएस जबरन धर्मांतरण करवा अधार्मिक काम कर रहा है। इन्होंने कहा कि इससे हिन्दू धर्म ही कमजोर होगा। दास ने कहा कि धर्मांतरण से केवल आरएसएस को फायदा होगा न कि हिन्दू धर्म को। रामानंदी साधुओं के प्रमुख रामदिनेशाचार्य ने कहा कि आरएसएस जिन हरकतों को अंजाम दे रहा है उनसे समाज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इन्होंने कहा कि सरकार को इन हरकतों पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।
अयोध्या के प्रमुख साधुओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों द्वारा जबरन धर्मांतरण कराने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। साधुओं ने कहा कि इन हरकतों से देश में विभाजन की राजनीति को बल मिलेगा। ऑल इंडिया अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ज्ञान दास ने कहा कि ये लोग खून की राजनीति कर रहे हैं। इस परिषद में कुल 13 अखाड़े शामिल हैं, जिनमें 7 शैव, तीन वैष्णव और तीन सिखों के हैं।
ज्ञान दास की गिनती अयोध्या के सबसे प्रभावशाली साधुओं में होती है। इन्होंने कहा, 'धर्म निजी आस्था है। किसी को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। आरएसएस और इससे जुड़े विंग अल्पसंख्यकों का जबरन धर्मांतरण करवा घोर अपराध कर रहे हैं। ये अपराधी हैं और इन पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।'
अयोध्या के साधुओं का आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से गहरा संबंध रहा है। संघ और इससे जुड़े विंग इन साधुओं के माध्यम से हिन्दुओं को लामबंद करते रहे हैं। 1990 की शुरुआत में अयोध्या में साधुओं के बीच वीएचपी की अच्छी पैठ रही है। लेकिन बाद में वीएचपी और साधुओं के बीच गहरे मतभेद सामने आए। यह मतभेद लोकसभा चुनाव के पहले तक था। लेकिन चुनाव के वक्त साधुओं ने एक बार फिर से आरएसएस और बीजेपी का समर्थन किया था। हालांकि जबरन धर्मांतरण के बाद एक बार फिर दोनों के बीच तलवारें खींच गई हैं और दरार साफ दिख रही है।
ज्ञान दास अकेले नहीं हैं जो उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण की कड़ी निंदा कर रहे हैं। ज्यादातर साधु जबरन धर्मांतरण को लेकर आरएसएस, वीएचपी और इससे जुड़े विंग धर्म जागरण मंच पर हमला बोल रहे हैं। ज्ञान दास ने कहा, 'इससे पहले ये लोग राम के नाम पर सांप्रदायिकता की आग भड़काते रहे और अब ये लोगों को जबरन हिंदू बनाकर देश में विभाजन की राजनीति को हवा दे रहे हैं। ये पूरी तरह से अवैध है और सरकार को इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।' राम जन्मभूमि मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी जबरन धर्मांतरण की कड़ी आलोचना की है।
सत्येंद्र दास ने नरेंद्र मोदी सरकार पर सांप्रदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। इन्होंने कहा कि मोदी सरकार आरएसएस की जरिए सांप्रदायिकता को हवा दे रही है। इन्होंने कहा, 'राजनीति विवादों को स्थायी करने का काम कर रही है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।'
सत्येंद्र दास ने कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथों में जबरन धर्मांतरण के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए आरएसएस जबरन धर्मांतरण करवा अधार्मिक काम कर रहा है। इन्होंने कहा कि इससे हिन्दू धर्म ही कमजोर होगा। दास ने कहा कि धर्मांतरण से केवल आरएसएस को फायदा होगा न कि हिन्दू धर्म को। रामानंदी साधुओं के प्रमुख रामदिनेशाचार्य ने कहा कि आरएसएस जिन हरकतों को अंजाम दे रहा है उनसे समाज बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। इन्होंने कहा कि सरकार को इन हरकतों पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।
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