Poona Pact Ka Sach
गाँधी जब पूना पैक्ट हो और बहुजनों को सत्ता में कोई भी अधिकार ना मिले इसलिये जोरदार अनशन कर रहा था. तब सरदार पटेल येरवडा जेल में गांधीजी को मिलने के लिए गए. तब उन्होंने कहा,”गांधीजी आपकी जान आजादी के लिए जरुरी है. अछुतों और सवर्ण हिन्दुओं(ब्राम्हण) के बीच में आपने अपने आप को सैंडविच क्यूँ बनाया? गांधीजी को लगा सरदार पटेल को में क्या कर रहा हूँ ये समझ में नहीं आ रहा है.गाँधी ने पटेल को कहा बैठो समझाता हूँ. महादेव देसाई को कहा जरा मुझे उठाओ इसे समझाना है. वहां सिर्फ 3 ही आदमी थे. कोई चौथा आदमी नहीं था. सीक्रेट वार्ता हो रही थी. गांधीने सरदार पटेल को कहा. बहुत मौलिक और गुप्त बात है. ये केवल 3 ही आदमी जानते थे. गांधीजी सरदार पटेल को बोल रहे हैं और महादेव देसाई उनके निजी सचिव है और वो सारा का सारा लिख रहे हैं क्या संवाद हो रहा है दोनों के बिच. गाँधी, पटेल, देसाई मर गये. मगर वो डायरी रह गयी. जिसमे वो लिखते थे. कांग्रेस के और ब्राम्हणों के नेता गाँधी ने पूना पैक्ट के संदर्भ में कहा “मुसलमानों को पहले से ही Separate Electorate है. अगर अछूतों को भी Separate Electorate मिल गया. तो अछूत और मुसलमान “गुंडे (बाबासाहब और हम जिनको real representative मानते कह रहे हैं गांधी उनको गुंडे कह रहा है.) ये गुंडे Separate Electorate के तौर पर चुनकर आयेंगे और जब ये संसद में चुनकर जायेंगे. ये लड़ने, झगड़ने वाले लोग तो सरदार पटेल तुमको दिख नहीं रहा, जल्दी ही देश आजाद होने वाला है और तुम लोग देश के हुकमरान बनने वाले हो और जब तुम लोग हुकमरान बनोगे. तो ये लोग संसद में तुम्हारी सरकार चलने नहीं देंगे और तुम्हारा सवर्ण हिंदुओं (ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्यों) का अछूत और मुसलमान गुंडे क़त्लेआम भी कर सकते हैं ”.—गाँधी. (देश आजाद हो रहा है मतलब अंग्रेजों (विदेशी) के गुलाम ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य (विदेशी) और उनके गुलाम 85% बहुजन (मूलनिवासी) अंग्रेजों की गुलामी से ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्यों को आज़ादी मिलने वाली है और वो देश के हुकमरान बनने वाले है. बुद्ध के बाद से बहुजनों को तो अब तक आज़ादी नहीं ही मिली)
ये बात अमेरिका की इलिनार झिलियट वो रिसर्च करने के लिये आई और उसने वो डायरी ढूंढ़कर निकाली. उसने अपने रिसर्च पेपर में ये लिखा. वो किताब हमारे पास में है.(बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा). ये राष्ट्रहित वाला मामला बकवास था. इन्होंने इस देश में ये व्यवस्था बनायीं उनकी बहुजनों पर सत्ता बरक़रार रखने के लिये. जिसने हमारे बहुजन समाज में बड़े पैमाने पर दलाल, भड़वे, पिछलग्गू, गद्दार, कुत्ते पैदा किये. जिन्हें हम आज लोकप्रतिनिधि कहते हैं. इन सारे लोगो ने मिलकर हमारे महापुरुषों का तमाम आंदोलन तहस नहस, बरबाद कर दिया. लोकतंत्र एक ही आशा थी. जो गाँधी की वजह से ब्राम्हण तंत्र में बदल गयी. गाँधी के पूना पैक्ट की वजह से दलाल और भड़वे पैदा हुए इसीलिए वो उनके पिताश्री है. आज भी भारत की कंडीशन के लिए एक ही आदमी जिम्मेवार है वो है सिर्फ और सिर्फ गाँधी. जिस देश के 85% लोगो के सच्चे प्रतिनिधि चुनकर नहीं जा सकते. उस देश के 85% लोगो के लिए लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है.
पूना पैक्ट एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट था. वो एक अलग और बहुत बड़ा स्वतंत्र विषय है. जिससे आपको कांग्रेस, गाँधी, ब्राम्हणों की काली करतूतों का पूरी तरह से पता चल जायेगा. सिर्फ ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्यों की लिखी हुयी किताबे, लेख और हमारे समाज के दलाल और भड़वे जो इनकी चाटते रहते हैं. उनकी भी किताबे मत पढिये. आपको कभी भी सच्चाई का पता नहीं चलेगा. वो सिर्फ उनकी व्यवस्था बरक़रार रखने का काम करते हैं. जिसके लिए वो किसी हद्द तक जा सकते हैं.
ये बात अमेरिका की इलिनार झिलियट वो रिसर्च करने के लिये आई और उसने वो डायरी ढूंढ़कर निकाली. उसने अपने रिसर्च पेपर में ये लिखा. वो किताब हमारे पास में है.(बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा). ये राष्ट्रहित वाला मामला बकवास था. इन्होंने इस देश में ये व्यवस्था बनायीं उनकी बहुजनों पर सत्ता बरक़रार रखने के लिये. जिसने हमारे बहुजन समाज में बड़े पैमाने पर दलाल, भड़वे, पिछलग्गू, गद्दार, कुत्ते पैदा किये. जिन्हें हम आज लोकप्रतिनिधि कहते हैं. इन सारे लोगो ने मिलकर हमारे महापुरुषों का तमाम आंदोलन तहस नहस, बरबाद कर दिया. लोकतंत्र एक ही आशा थी. जो गाँधी की वजह से ब्राम्हण तंत्र में बदल गयी. गाँधी के पूना पैक्ट की वजह से दलाल और भड़वे पैदा हुए इसीलिए वो उनके पिताश्री है. आज भी भारत की कंडीशन के लिए एक ही आदमी जिम्मेवार है वो है सिर्फ और सिर्फ गाँधी. जिस देश के 85% लोगो के सच्चे प्रतिनिधि चुनकर नहीं जा सकते. उस देश के 85% लोगो के लिए लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है.
पूना पैक्ट एक बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट था. वो एक अलग और बहुत बड़ा स्वतंत्र विषय है. जिससे आपको कांग्रेस, गाँधी, ब्राम्हणों की काली करतूतों का पूरी तरह से पता चल जायेगा. सिर्फ ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्यों की लिखी हुयी किताबे, लेख और हमारे समाज के दलाल और भड़वे जो इनकी चाटते रहते हैं. उनकी भी किताबे मत पढिये. आपको कभी भी सच्चाई का पता नहीं चलेगा. वो सिर्फ उनकी व्यवस्था बरक़रार रखने का काम करते हैं. जिसके लिए वो किसी हद्द तक जा सकते हैं.
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