देश में बिजली कटौती और चोरी की समस्या नई नहीं है लेकिन, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का ऊर्जा ऐप बताता है कि हालात उससे भी बदतर हैं जितने समझे जा रहे हैं. यही नहीं, इस ऐप के आंकड़े बिजली कटौती पर केंद्र की ही एक रिपोर्ट को झुठलाते हैं.
मंत्रालय ने हाल में इस ऐप में जो आंकड़े डाले हैं वे बताते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर हर महीने 17 घंटे बिजली कटौती होती है. हर राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा अलग-अलग है. उदाहरण के लिए हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से दस और उत्तर प्रदेश में आठ गुना ज्यादा बिजली कटौती होती है. दिलचस्प बात यह है कि बिजली कटौती के ये आंकड़े केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के आंकड़ों से मेल नहीं खाते. सीईए ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में हरियाणा में बिजली की कमी शून्य और यूपी में महज 0.3 फीसदी बताई है. लेकिन बिजली कटौती के ये आंकड़े इसके उलट तस्वीर बताते हैं. ऊर्जा ऐप और सीईए के आंकड़ों में यह फर्क बिहार, असम और मणिपुर को लेकर भी है. सीईए ऊर्जा मंत्रालय की तकनीकी इकाई है.
ऊर्जा एप के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर बिजली चोरी का आंकड़ा 22 फीसदी है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में यह 35 फीसदी से अधिक है. राजस्थान में बिजली चोरी 32 फीसदी के आसपास है. आंध्र प्रदेश, गोवा, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में बिजली चोरी 16 फीसदी से कम है. ये आंकड़े बताते हैं कि बिजली चोरी को रोकने के उपाय प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं, जिसके चलते ऊर्जा क्षेत्र को नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों के तकनीकी और व्यावसायिक घाटे के साथ-साथ बिजली की चोरी से होने वाला घाटा दूर करने के लिए उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना (उदय योजना) शुरु की है. इससे वित्त वर्ष 2016-17 में घाटे में 15 फीसदी कमी लाने का लक्ष्य है.
मोदी सरकार ने ऊर्जा ऐप इसी साल जून में लांच किया था. इसका मकसद सूचना प्रौद्योगिकी की उपलब्धता वाले शहरों में बिजली चोरी पर लगाम लगाना और नये कनेक्शन और उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराना था. इस ऐप को लांच करते हुये ऊर्जा मंत्री पीयुष गोयल का कहना था, 'ऊर्जा ऐप के जरिये उपभोक्ता बिजली कटने की अवधि के बारे में सूचना प्राप्त कर सकेंगे. साथ ही इस पर स्थानीय स्तर पर हो रही बिजली चोरी की शिकायत दर्ज करायी जा सकती है.'