सीएमआईई की सर्वे रिपोर्ट में खुलासा
नोटबंदी की कहर से 15 लाख लोगों को नौकरियां से धोनी पड़ी हाथ
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
केन्द्र की आरएसएस नीति वाली बीजेपी की मोदी सरकार एक तरफ जहां फालतू योजनाओं का अंबार खड़ा करते हुए बेरोजगारों को नया रोजगार देने का ढोल पीट रही है वहीं दूसरी ओर तेज गति से नौकरियों को खत्म करती जा रही है। हालांकि इसका खुलासा पहले भी कई बार हो चुका है अब एक फिर एक सनसनीखेज खबर ने मोदी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के एक सर्वे ने एक रिपोर्ट जारी के करते हुए न केवल मोदी युग के काले कारनामों से पर्दा हटाया है बल्कि देश कितना विकास कर रहा है इसकी तस्वीर भी दिखाई है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ समाचार विशेषकों से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार 19 जुलाई 2017 को सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने एक कंस्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे नाम से तिमाही-वार नौकरियों का आंकड़ा पेश किया। रिपोर्ट ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला कर देश के करीब 60 लाख लोगों के मुंह से निवाला छीनने का काम किया है। मोदी के इस फैसले के बाद करीब 15 लाख लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। इतना सत्यानाश केवल देश विनाशक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। सर्वे रिपोर्ट में दावे के साथ एक व्यक्ति के ऊपर नोटबंदी का कितना बुरा असर पड़ा है आंकड़ा सहित इसका विश्लेषण करते हुए एक नमूना भी पेश किया है। रिपोर्ट के अनुसार अगर एक कमाऊ व्यक्ति पर घर के चार लोग आश्रित हैं, तो इस लिहाज से मोदी के इस फैसले ने 60 लाख से ज्यादा लोगों के मुंह से रोटी का निवाला छीन लिया है।
विशेष सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच तक देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 40 करोड़ 50 लाख रह गई हैं। जबकि सितंबर से दिसंबर 2016 के बीच 40 करोड़ 65 लाख थी। इसका मतलब यह हुआ कि नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 15 लाख की कमी आई है। ये वो आंकडे़ हैं जो देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाए गए हैं। मतलब साफ है कि इस दौरान कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गई हैं।इस सर्वे में 01 लाख 61 हजार आईटी क्षेत्र में कर्मियों की छंटनी पर बुधवार को राज्यसभा में चिंता जताई भी जताई गई जा चुकी है। यदि उक्त बातों का पूर्णरूप से विश्लेषण करें तो पता चलता है कि मोदी आरएसएस के युग में केवल नौकरियों को ही खत्म करने का अभियान चला रहे हैं।
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