घाटे के नाम पर एयर इंडिया का 30 हजार करोड़ का कर्ज माफ
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
केंद्र सरकार किसानों के कर्जमाफी के बजाए कंपनियों के कर्जमाफी की योजना शुरू कर रही है। इसका नजारा तब देखने को मिला जब केन्द्र सरकार ने एयर इंडिया को घाटे में दिखाकर 30 हजार करोड़ रूपये कर्जमाफी का ऐलान कर दिया।
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार केन्द्र की मोदी सरकार एयर इंडिया को घाटे में दिखाकर न केवल विनिवेश करने जा रही है बल्कि एयर इंडिया पर कर्ज के रूप में 30 हजार करोड़ रूपये माफ भी करने जा रही है। यही नहीं इसकी भरपाई के लिए वित्तीय सेहत सुधारने के नाम पर यह बोझ आम टैक्सपेयर्स पर डालने जा रही है। गौरतलब है कि एयर इंडिया पर करीब 50 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से केन्द्र सरकार एयर इंडिया के कुल कर्ज में से 30 हजार करोड़ रुपये माफ करने जा रही है और इसके पीछे तर्क दे रही है कि ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि मार्केट में एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने में ज्यादा परेशानी न हो।
आपको बताते चलें कि कैबिनेट ने एयर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। एयर इंडिया की वित्तीय हालत बहुत खस्ता है। एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 14 फीसदी रह गई है और इस पर 55,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसका कुल घाटा 52,000 करोड़ रुपये के आस-पास है। वैसे एयर इंडिया के पास इस वक्त सबसे ज्यादा हवाई जहाज हैं। एयर इंडिया के पास 140 हवाई जहाज हैं जो 41 विदेशी और 72 घरेलू रूट पर उड़ान भरते हैं। एयर इडिया के पास बड़ा लैंड बैंक भी है। मुंबई में इसकी 32 एकड़ जमीन है। मरीन ड्राइव पर मुख्यालय की कीमत ही 1600 करोड़ रुपये है। नई दिल्ली, लंदन, हांगकांग और जापान में भी कंपनी की संपत्ति है।
सरकार कह रही है कि यह कर्जमाफी का फैसला मजबूरी में लेना पड़ रहा है। इस मामले में गठित कमिटी का कहना है कि एयर इंडिया पर कर्ज का बोझ इतना ज्यादा है कि मार्केट में कोई भी इसे लेने से कतराएगा। यही कारण है कि कमिटी द्वारा इस पर कर्ज का बोझ कम करने और पहले चरण में इसकी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की बात कही जा रही है। इधर नीति आयोग ने भी सरकार से साफ शब्दों में कहा है कि तय समय के भीतर एयर इंडिया का विनिवेश कर देना चाहिए। सरकार ने अगले साल के मध्य तक इसके विनिवेश की समय सीमा तय की है।
इससे भी ज्यदा हैरानी की बात है कि विनिवेश की राह पर खड़ी एयर इंडिया में करीब एक तिहाई कर्मचारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) देने का प्रस्ताव भी तैयार किया जा चुका है। कंपनी में अभी करीब 40 हजार कर्मचारी हैं और उस पर करीब 50 से 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। विशेष सूत्रों के मुताबिक कंपनी 1500 कर्मचारियों को रिटायरमेंट दे सकती है। यदि उक्त बातों का पूर्णरूप से विश्लेषण करें तो पता चलता है कि जब से केन्द्र में आरएसएस नीति वाली मोदी की सरकार बनी है तब से सरकारी और अर्धसरकारी सहित सभी पब्लिक सेक्टर की नौकरियों को धीरे-धीरे खत्म करते जा रही है और देश की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए भाषणबाजी कर रही है कि सरकार आम और गरीब, बेरोजगारों को नये रोजगार के अवसर देगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें