शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

वाह उस्ताद वाह! धरना प्रदर्शन किसानों का, सैलरी दो गुनी विधायकों की


जंतर-मंतर पर कर्जमाफी के लिए किसानों का प्रदर्शन
नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
वाह उस्ताद वाह! तमिलनाडु में एक तरफ किसान मर रहे हैं, कर्ज माफी के लिए चेन्नई से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक अर्धनग्न होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक की चूहे, सांप से लेकर यूरिन तक खाने-पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं, वहीं किसानों की समस्याओं का समाधान करने बजाए तमिलनाडु के विधायकों की तनख्वाह में 100 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है।
दैनिक मूलनिवासी नायक संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को विधायकों के वेतन और भत्ते लगभग दो गुने कर दिए, जिससे विधायकों का नया वेतन 01 लाख 05 हजार रुपये प्रति महीने हो गया है। पूर्व विधायकों की पेंशन राशि 12 हजार रुपये से बढ़ाकर 20 हजार रुपये कर दी गई है। विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि भी 02 करोड़ से बढ़ाकर 2.5 करोड़ कर दी गई है। राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री पलानीस्वामी की घोषणा के मुताबिक विधायकों के वेतन और भत्ते 55 हजार रुपये प्रति महीने से बढ़ाकर 01 लाख 05 हजार रुपये कर दिया गया है। 
आपको बताते चलें कि तमिलनाडु के किसान महीनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर आत्महत्या कर चुके किसानों के कंकाल के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। तमिलनाडु सरकार ने आत्महत्या कर चुके परिजनों के कंकाल के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों की भले न सुनी हो, लेकिन विधायकों की सैलरी में 100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी जरूर कर दी है। 
विशेष सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने विधायकों की सैलरी बढ़ाने की घोषणा कर दी है। अब राज्य के विधायकों को 55,000 की जगह 1,05,000 रुपये का वेतन मिलेगा। इसके अलावा राज्य सरकार ने विधायकों को मिलने वाले क्षेत्रीय विकास फंड को भी बढ़ाकर 02 करोड़ से 2.6 करोड़ रुपये कर दिया है। सैलरी के अतिरिक्त विधायकों की पेंशन राशि भी बढ़ा दी है। अब पूर्व विधायकों को 12000 रुपये की जगह 20000 रुपये पेंशन मिलेगी। जबकि वही तमिलनाडु में पिछले 140 सालों में सबसे खराब सूखा पड़ा है। पिछले चार महीने में करीब 400 किसानों ने खुदकुशी कर ली है। कुछ महीने से तमिलनाडु से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन और 40 दिन धरना देने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने किसानों को आश्वासन दिया था कि वे किसानों की समस्याएं दूर करेंगे। यही नहीं उनकी फसलें बर्बाद हो गई थीं, सूखा राहत के नाम पर सरकार ने तीन हजार रुपये दिए हैं। अब सवाल उठता है कि क्या महज 3,000 रूपये में किसानों का गुजारा हो सकता है? लगातार आत्महत्याओं के मद्देनजर किसानों की मांग है कि उनके कर्ज माफ किए जाएं और उनके फसलों के उचित मूल्य दिलाए जाएं। इसी के साथ ही किसानों को सिंचाई की उचित व्यवस्था की जाए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अप्रैल में किसानों से मुलाकात करके वादा किया था कि वे किसानों की मांग पर ध्यान देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बल्कि किसानों की समस्याओं के समाधान के बजाए विधायकों और मंत्रियों की सैलेरी बढ़ा दी।

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