बुधवार, 26 जुलाई 2017

सरकार, एक निजी संस्था भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पर क्यों है मेहरबान?


नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
❍ क्रिकेट टीम की कड़वी सच्चाई ❍ 
☞ आज देश में क्रिकेट का संचालन करने वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) एक निजी संस्था है जिस पर सरकार या जनता का कोई नियंत्रण नहीं है। संस्था निजी होन के बावजूद भी बीसीसीआई जो टीम चुनती है उसे भारतीय क्रिकेट टीम कहा जाता है। उसके पास अकूत धन-दौलत है, व्यापक अधिकार हैं, लेकिन जवाबदेही किसी के प्रति नहीं है। देश का उच्चतम न्यायालय साफ शब्दों में कह चुका है कि भले ही बीसीसीआई एक निजी संस्था है लेकिन जो टीम चुनती है वह भारतीय क्रिकेट टीम कहलाती है, परन्तु बीसीसीआई क्रिकेट टीम नहीं है। 
भले ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) असंवैधानिक और निजी संस्था है, लेकिन केन्द्र से लेकर राज्यों की सरकारें तक एक निजी संस्था पर मेहरबान है, जिस पर अरबों-खरबों रूपये  बेवजह बर्बाद किया जा रहा है। जबकि यह मामला सुप्रीट कोर्ट तक भी पहुंच चुका है कि बीसीसीआई एक असंवैधानिक और निजी संस्था है। 
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार भले ही भारतीय महिला टीम के हाथों से वर्ल्ड कप फिसल गया हो, लेकिन सच तो यही है कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड, केंद्र और राज्य सरकारें इन खिलाड़ियों के इनाम-इकराम के इंतजाम में जुट गई हैं। जहां एक ओर विश्व कप फाइनल में इंग्लैंड से हारने के बावजूद भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए बीसीसीआइ सम्मान समारोह के आयोजन की तैयारी कर रहा है। बीसीसीआइ ने सभी खिलाड़ियों को 50-50 लाख रुपये के चेक और सहयोगी स्टाफ को 25-25 लाख रुपये के चेक देने की घोषणा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि टीम की उन प्लेयर्स को समय से पहले प्रमोशन दिया जाएगा, जो रेलवे में काम करती हैं। जबकि भारत की 15 सदस्यीय टीम में से 10 रेलवे से जुड़ी हैं। इधर मध्य प्रदेश सरकार ने भी टीम को 50 लाख रुपये पुरस्कार देने का ऐलान किया है।
यदि पंजाब की बात करें तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरमनप्रीत कौर को पंजाब पुलिस में डीएसपी पद का ऑफर दिया है। हरमन के लिए उन्होंने पहले ही पांच लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। इसी तरह से बीसीसीआई भी टीम के लिए भव्य सम्मान समारोह के आयोजन की तैयारी में है। सभी खिलाड़ियों को 50-50 लाख रुपये और सपोर्ट स्टाफ को 25-25 लाख रुपये के चेक दिए जाने की घोषणा कर दिया है। 
 गौरतलब है कि विश्व कप फाइनल में हारने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम पर अब इनामों की बारिश होने लगी है। सरकार और बीसीसीआई का कहना है कि अभी तक इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेटरों की अपेक्षा काफी कम धन मिलता है। जबकि महिला क्रिकेटरों को धन देने के मामले में सबसे आगे क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) और इंग्लैंड व वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) हैं। जहां सीए अपनी शीर्ष महिला क्रिकेटर को राष्ट्रीय टीम व महिला बिग बैश लीग के लिए केंद्रीय अनुबंध के तहत प्रति वर्ष 40 लाख रुपये तक देता है तो वहीं ईसीबी 42 लाख रुपये सालाना का केंद्रीय करार अपनी खिलाड़ियों को देता है। वहीं, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) केंद्रीय करार के तहत अपनी शीर्ष चार महिला क्रिकेटरों को ग्रेड ‘ए’ के तहत 15 लाख रुपये और सात अन्य क्रिकेटरों को ग्रेड ‘बी’ के तहत दस लाख रुपये का ही भुगतान करता है। बीसीसीआइ ने ग्रेड ‘ए’ का करार कप्तान मिताली राज, झूलन गोस्वामी, हरमनप्रीत कौर और एमडी तिरुषकामिनी को दिया है, जबकि ग्रेड ‘बी’ में स्मृति मंधाना, राजेश्वरी गायकवाड़, पूनम यादव, एकता बिष्ट, वेदा कृष्णमूर्ति, निरंजना नागराजन और पूनम राउत शामिल हैं। खास बात यह है कि यही बीसीसीआई पुरुष टीम के ग्रेड ‘ए’ के क्रिकेटर को दो करोड़, ग्रेड ‘बी’ के क्रिकेटर को एक करोड़ और ग्रेड ‘सी’ के क्रिकेटर को 50 लाख रुपये देता है। बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा कि हम उनके करार में वृद्धि के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन यह अभी प्राथमिक स्तर पर है। सहमति बनने पर ही आगे बढ़ेंगे। सीए ने अपनी 16 महिला खिलाड़ियों को नए करार के तहत जो प्रस्ताव दिया है उसके हिसाब से उनकी शीर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर को वार्षिक करार और महिला बिग बैश लीग डब्ल्यूबीबीएल की रिटेनर फीस के तहत 79000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर करीब 40 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि दूसरी श्रेणी की क्रिकेटर को 65000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर करीब 33 लाख रुपये और तीसरी श्रेणी की क्रिकेटर को 40000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर करीब 20 लाख रुपये मिलेंगे।
जानकर हैरानी होगी कि केन्द्र सरकार इस असंवैधानिक और निजी संस्था बीसीसीआई पर पर अरबों-खरबों रूपये बर्बाद कर रही है जबकि सिर पर मौत का कफन बांधकर देश की सुरक्षा करने वाले सेना के जवानों पर सरकार चवन्नी भी एस्ट्रा खर्च नहीं करती है? अगर मान लिया जाए कि बीसीसीआई देश के लिए काम कर रहा है तो केन्द्र सरकार बीसीसीआई को देश के सीमा की सुरक्षा के लिए क्यों नहीं लगा रही है?

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