नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
चाइनीज झालरों का विरोध करने वाले देशभक्तों के लिए यह अच्छी खबर है कि देश विनाशक प्रधानामंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार रेलवे, हवाई सेवाओं और आईएएस जैसे महत्वपूर्ण पदों का निजीकरण करके पहले ही आरक्षण खत्म करने की पहल कर चुकी है। अब भक्तों की चुप्पी से
उत्साहित होकर मोदी सरकार लगातार संघ के एजेंडे के अनुपालन में आरक्षण खात्मे की ओर अपने कदम तेजी से बढ़ा रही है। प्राइवेट सेक्टर से आईएएस बनाने का फैसला कर चुकी केन्द्र सरकार की निगाहें अब बैंकिग सेक्टर की नौकरियों पर पड़ी है। सरकार ने फैसला लिया है कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के दर्जनों बैंकों को खत्म करके उनकी जगह कुछ मेगा पीएसयू यानि बड़ी बैंक बनाई जाए।
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार सरकार के इस कवायद से जहां बैंकिंग सेक्टर से नौकरी कम होगी वहीं नौकरी कम होने से आरक्षण स्वतः खत्म हो जाएगा। विशेष सूत्रों मुताबिक स्टेट बैंक और बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ ट्रावणकोर, भारतीय महिला बैंक जैसी बैकों का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में 01 अप्रेल से विलय हो भी चुका है। अब केन्द्र की आरएसएस नीति वाली मोदी सरकार बाकी बैंकों को भी खत्म कर ऐसी ही अन्य बैंक बनाने की तैयारी कर रही है।
आपको बताते चलें कि केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तो यह भी स्वीकार कर लिया है कि सरकार 3-4 विश्व स्तर के बैंक बनाने और सार्वजिनक क्षेत्र की बैंकों को एक साथ जोड़ने की योजना पर तेजी से काम कर रही है, लेकिन जब इसकी जानकारी मांगी गई तो इस मामले की जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि यह बहुत गुप्त जानकारी है। मालूम हो की देश में अभी 21 सरकारी बैंक हैं जिसे देश की मोदी सरकार इनकी संख्या घटाकर 12 करने पर गंभीरता से काम कर रही है। हैरानी की बात तो यह है कि सारे मेगा बैंक अपने बैंकों को बढ़ाकर नहीं बनाएंगे बल्कि तमाम बैंक खत्म कर उन्हें एक में जोड़कर मेगा बैंक बनाएंगे। एक तरफ जहां आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, यस बैंक, ऐक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, सिटी बैंक, करुर वैश्य बैंक सहित दर्जनों की संख्या में निजी क्षेत्र के बैंक खुले हैं और तमाम गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को सेमी बैंकिंग की अनुमति दी जा रही है, वहीं सरकारी बैंक खत्म किए जा रहे हैं। इसके पीछे का एक मकसद यह भी है कि अब सरकारी बैंकों में आरक्षण से भर्तियां करनी पड़ रही हैं। इसलिए सरकार की मंशा है कि न रहेंगे बैंक और न ही रहेगा आरक्षण, सीधा सा हिसाब है।
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