बुधवार, 26 जुलाई 2017

ईवीएम में गड़बड़ी का मिला एक और सबूत

आज फिर चुनाव आयोग हुआ नंगा

नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
निर्वाचन आयोग (ईसी) के दावों के विपरीत महाराष्ट्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ की बात आज एक बार फिर साबित हुई है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार 22 जुलाई 2017 को यह खुलासा हुआ। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बताया कि महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में हाल ही में हुए परिषदीय चुनाव के दौरान लोणार के सुल्तानपुर गांव में मतदान के दौरान ईवीएम से छेड़छाड़ की बात सामने आई। गलगली ने कहा, मतदाता जब भी एक प्रत्याशी को आवंटित चुनाव चिंह नारियल का बटन दबाते तो भाजपा के चुनाव चिंह कमल के सामने वाला एलईडी बल्ब जल उठता। निर्वाचन अधिकारी ने इसकी जानकारी जिलाधिकारी को दी, जिसका खुलासा आरटीआई से मिली जानकारी में हुआ।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि इलाके की एक निर्दलीय प्रत्याशी आशा अरुण जोरे ने 16 फरवरी को हुए मतदान के दौरान आई इस गड़बड़ी की शिकायत की थी और निर्वाचन अधिकारी से मामले की जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा था, जिसके बाद गलगली ने 16 जून को आरटीआई दाखिल की। गलगली ने बताया कि बुलढाना के जिला निर्वाचन विभाग से आरटीआई के तहत मिली सूचना में बताया गया है कि लोणार कस्बे के सुल्तानपुर गांव में स्थापित किए गए मतदान केंद्र संख्या-56 पर मतदाता ने जब क्रम संख्या-1 पर मौजूद निर्दलीय प्रत्याशी के चुनाव चिंह नारियल का बटन दबाया, तो क्रम संख्या-चार पर भाजपा प्रत्याशी के चुनाव चिंह के सामने वाली बत्ती जली, जिससे कि मत भाजपा प्रत्याशी को चला गया।
गौरतलब है कि चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब आशा अरुण ने मतदान वाले दिन ही सुबह 10.0 बजे इसकी शिकायत की तो मतदान केंद्र पर नियुक्त निर्वाचन अधिकारी ने इसका संज्ञान लेने से ही इंकार कर दिया। उन्होंने बताया कि जब कई मतदाताओं ने ऐसी ही शिकायत की तब जाकर निर्वाचन अधिकारी ने अपराॉ 1.30 बजे इसका संज्ञान लिया और कार्रवाई करने से पहले सभी राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट से सहमति ली। शिकायतों की जांच के बाद निर्वाचन अधिकारी मानिकराव बाजद ने शिकायत सही पाई, जिसकी मतदान केंद्र के निर्वाचन प्रभारी रामनारायण सावंत ने पुष्टि की। रामनारायण ने ही लोणार के निर्वाचन अधिकारी को मामले की सूचना दी। लोणार के निर्वाचन अधिकारी के सहायक इसके बाद खुद मतदान केंद्र पहुंचे और शिकायत को सत्य पाया कि एक खास प्रत्याशी के चुनाव चिंह वाला बटन दबाने पर मत भाजपा प्रत्याशी को जा रहा था। निर्वाचन क्षेत्र से कई निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जिलाधिकारी के पास शिकायत करने के बाद उस मतदान केंद्र पर मतदान रद्द कर दिया गया, मतदान केंद्र को भी बंद कर दिया गया, गड़बड़ ईवीएम मशीन को सील कर दिया गया और अतिरिक्त विकल्प के तौर पर रखी गई ईवीएम मशीन को लगाया गया। लेकिन जब कई राजनीतिक दलों ने फिर से मतदान कराए जाने की मांग उठाई तो मतदान पूरी तरह रद्द कर पांच दिन बाद 21 फरवरी को पुनर्मतदान करवाया गया। गलगली ने कहा, मामले से साबित हो गया कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है। 
चौंकाने वाली बात है कि निर्वाचन आयोग लगातार ईवीएम में छेड़छाड़ की संभावना को नकारता रहा है और यहां तक कि राजनीतिक दलों को ईवीएम से छेड़छाड़ की चुनौती भी दी थी लेकिन हाल के चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था और बामसेफ, भारत मुक्ति मोर्चा सहित बहुजन मुक्ति पार्टी ने इसके विरोध में जोरदार तरीके से आवाज उठाया था। लेकिन निर्वाचन आयोग ने इसे निराधार बताता रहा है, लेकिन एक बार फिर इस पर सवाल खड़ा हो गया है कि क्या चुनाव आयोग ईमानदार है?। चुनाव आयोग भले ही ईवीएम हैक न होने के दावे कर रहा हो, लेकिन हाल में आरटीआई के माध्यम हुए एक खुलासे की तस्वीर कुछ और ही बताती है। अब पूरी तरह से साबित हो गया है कि चुनाव आयोग ईवीएम के माध्यम से बीजेपी को सŸा कब्जा करने में मदद कर रहा है।

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