नई दिल्ली/दै.मू.समाचार
खामोश रहकर जुल्म सहने वाली कौमों का इतिहास तो छोड़िए वर्तमान भी खत्म कर दिया जाता है। भारत देश के पिछड़ों को धार्मिक बनाकर उनको मौनी बाबा बना दिया गया है। मोदी सरकार आरक्षण के खिलाफ हमले पर हमला करती जा रही है, ओबीसी हैं कि धर्म की चासनी में लिपटकर भक्तिराग और राममंदिर का राग अलापने में व्यस्त हैं। अब एक बार फिर बुजदिल ओबीसी के साथ अन्याय हुआ है।
दैनिक मूलनिवासी नायक प्रमुख संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि मौजूदा मोदी सरकार पिछड़े वर्ग के छात्रों को मेडिकल में दाखिले से रोकते हुए अब खुलकर ओबीसी विरोधी कदम उठा रही है। मेडीकल परीक्षा में ओबीसी को आरक्षण तक सीमित रखने की बात केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कही थी लेकिन यहां तो खेल ही अलग है। आज मेडीकल काउंसलिंग कमेटी की तरफ से जारी सूची में 27 तो छोड़िए ओबीसी को 02 प्रतिशत सीटें ही दी गई हैं।
गौरतलब है कि मेडीकल काउंसलिंग कमेटी ( एमसीसी) की ओर से देश में 63835 मेडिकल सीटों के लिये हुई नीट की परीक्षा में ओबीसी को 27 के बजाय केवल 02 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। नियम के मुताबिक ओबीसी को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए और इसी के हिसाब से सीटों का बंटवारा चाहिए। लेकिन व्यवहार में ओबीसी को केवल 02 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। जबकि कुल 63835 सीटों में से राष्ट्रीय स्तर के कोटे में 9575 सीटें हैं। यदि देखा जाए तो 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ओबीसी को इसमें 2585 सीटें मिलनी चाहिए थी, लेकिन केन्द्र आरएसएस नीति वाली मोदी की सरकार ओबीसी के साथ धोखेबाजी कर रही है।
यदि एक नजर संख्या के आधार पर सीटों पर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि ओबीसी को सिर्फ 68 सीट यानि 1.78 प्रतिशत आरक्षण वहीं अनुसूचित जाति को 14.95 प्रतिशत यानी 555 सीट, इसी के साथ अनुसूचित जनजाति को 7.46 प्रतिशत यानी 277 सीटें सीमित हैं लेकिन वहीं अनारक्षित (सवर्णो के लिए आरक्षित) के लिए 2811 यानी 75.74 प्रतिशत सीटें दी गई हैं।
मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी ने अपनी वेबसाइट पर सूची में नेशनल कोटे की जो सीट मेट्रिक्स कॉलेजों के नाम सहित डाली हैं, उसका विस्तृत अध्ययन करने पर ये बात सामने आई है। विडंबना यह है कि सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि ओबीसी को अब अनारक्षित सीटें नहीं दी जाएंगी और ओबीसी को सीटें सरकार आरक्षित कर ही नहीं रही है या केवल नाम मात्र के लिए कर रही है। मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी ने जो 181 मेडीकल कॉलेजों की 3711 सीटों की जो सूची प्रकाशित कर सीट मेट्रिक्स वेबससाइट पर डाली है उसमें ये सारा खुल कर दिया गया है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के 10 अप्रैल 2008 के केस ‘अशोक कुमार ठाकुर बनाम केंद्र सरकार’ के निर्णय में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की बात कही गई है। इसके बाद भी ओबीसी के साथ छलकपट करके ओबीसी समाज के छात्रों को शिक्षा से वंचित रखने का षडयंत्र सरकार कर रही है। इतना सब होने के बाद भी ओबीसी के जनप्रतिनिधियों ने सरकार के सामने ढंग से बात नहीं उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के खेमेंद्र कटारे ने मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी के इस कदम के खिलाफ न्यायालय जाने का फैसला किया है। मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट एमसीसी-एनआईसी पर राष्ट्रीय कोटे की सूची को प्रकाशित किया गया है। इसमें महाराष्ट्र के 21 कॉलेजों के नाम हैं जिनमें ज्यादातर सरकारी मेडीकल कॉलेज ही हैं। पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज 23 सीटें अनारक्षित, 04 एससी और 03 एसटी के लिए हैं। जुहू मेडिकल कॉलेज 18 सीटें अनारक्षित, 04 एससी, 01 एसटी, सोलापुर मेडिकल कॉलेज में 18 सीटें अनारक्षित, 03 एससी और एक एसटी सीट हैं। यही स्थिति कमोबेश अन्य राज्यों में है। नेशनल कोटे में कुल 9575 सीटों में से जहाँ 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ओबीसी को 2585 सीटें मिलनी चाहिए, वहीं मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी उसे केवल 68 सीटें दे रही है, और ये भी तय है कि अनारक्षित सीटों पर ओबीसी को मौका मिलना नहीं है।
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