शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

योगी ने यूपी की जनता को बजट नहीं धर्म का एजेंडा परोसा है

2019 के लोकसभा चुनाव पर बजट का फोकस
योगी ने यूपी की जनता को बजट नहीं धर्म का एजेंडा परोसा है
लखनऊ/दै.मू.समाचार

आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी की जनता को उनके विकास के लिए बजट नहीं बल्कि उनके विनाश के लिए धर्म के नाम पर आरएसएस का एजेंडा पेश किया है। योगी द्वारा पेश किया गया बजट इस बात का सबूत है जिसमें रŸाभर भी शक नहीं है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार 11 जुलाई 2017 को योगी आदित्यनाथ ने अपना पहला बजट पेश कर पहले ही बजट में दिखा दिया है कि यह बजट नहीं है बल्कि बजट की आड़ में आरएसएस का एजेंडा लागू किया गया है। अब अगला बजट किस आधार पर पेश किया जाएगा इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि आज तक किसी ने नहीं सुना होगा कि सरकार के बजट में लोक मल्हार और सावन झूला के लिए भी बजट पेश किया जाता है लेकिन यह योगी ने कर दिखाया है।
आपको बताते चलें कि बजट में लोक मल्हार, सावन झूला का उल्लेख भले ही नया-नया लग रहा है, लकिन ऐसा कहते हुए योगी सरकार ने अपनी और पार्टी की लाइन एकदम स्पष्ट कर दी है कि बजट में जहां हिंदुत्व (ब्राह्मणवाद) के प्रतीकों को भरपूर महत्व दिया गया है, वहीं यूरेशियन ब्राह्मणों के नाम पर योजना चलाने में कोई कसर भी नहीं छोड़ा गया है। कर्जमाफी की छाया में आया योगी सरकार का यह पहला बजट बहुत चकित तो नहीं करता है, परन्तु इसमें उन बातों को सबसे ज्यादा ध्यान रखा गया है जो अभी तक राजनीति की प्राथमिकता पर नहीं रहा है। बजट में अयोध्या, काशी, चित्रकूट, मथुरा, और मिरजापुर के साथ हिंदू (ब्राह्मणवाद की आस्था) के अन्य स्थलों को ही महत्व दिया गया है। जैसे इनता ही नहीं बजट के बाद हुई कैबिनेट बैंठक में सरकार ने तीर्थ विकास परिषद का भी गठन किया है। वहीं बजट में गरीब किसान और कामगार भाजपा का नया श्लोगन बन गया है इसके बाद भी उनके लिए बजट में कोई खास तवज्जों नहीं दिया गया है। भले ही यह बात बजट के माध्यम से बताई जा रही है कि यह बजट सूबे के किसान, गरीब और मजदूरों के लिए है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार कहते रहे हैं कि उनकी सरकार की असल और बड़ी परीक्षा 2019 के लोकसभा चुनाव होंगे। यदि इस दृष्टि से देखा जाए तो योगी का बजट हिन्दुओं को अपने पाले में खींचने की जुगत है।
बता दें कि सरकार प्रदेश भर में रामायण कान्क्लेव कराने जा रही है। गोरखपुर में लोक मल्हार के लिए पैसा दिया गया है और अयोध्या में सावन के झूलों के लिए अच्छी खासी मोटी रकम भी दी गई है। इसी के साथ वाराणसी भले ही मोदी का संसदीय क्षेत्र हो लेकिन उनके अनुसार काशी सनातन संस्कृति का प्रमुख केन्द्र अनादि काल से है। इसलिए वहां संस्कृति केन्द्र बनाने के लिए योगी ने अपने बजट में 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। वही अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का खयाल भी नहीं किया जो अखिलेश सरकार ने लोगों को कल्याण के लिए 3055.98 बजट दिया था उसमें योगी ने 580 करोड़ की कटौती कर 2475.61 करोड़ रूपऐ ही दिए हैं।
योगी ने अपने बजट में स्वदेश दर्शन योजना का उल्लेख भी किया है जिसके लिए अयोध्या, वाराणसी, और मथुरा में 1240 करोड़ रूपये की लागत से रामायण, कृष्ण सर्किल बनाने का ऐलान भी किया है। इन्हीं तीनों नगरों में प्रासाद योजना के तहत बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए 800 करोड़ रूपये खर्च करने जा रही है। विंध्याचल धाम का भी सरकार ने ध्यान रखा है जिसके लिए 10 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है। योगी सरकार 2019 में आने वाले प्रयाग अर्धकुंभ मेले के लिए 500 करोड़ रूपये देने ऐलान किया है। मथुरा में गीता शोध संस्थान और कृष्ण संग्राहालय भी स्थापना के साथ ही लोक कला उत्सव कराने की मूड में है। सरकार ने गीता शोध संस्थान और लोक कलाकारों को वाद्ययंत्रों के लिए एक-एक करोड़ रूपये भी देने का फैसला कर लिया है। वही गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन के निमार्ण के लिए 20 करोड़ रूपये दिए जाऐंगे।
इसके अलावा जहां पं.दीनदयाल उपाध्याय के नाम से खेल से लेकर शिक्षा तक 09 योजना चलाकर 603.60 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है वही आरएसएस प्रमुख डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी और भाउराव देवरस के नाम स्कूलों, विश्वविद्यालयों आदि का नाम बदलकर इनके नाम रखे जा रहे हैं, जिन पर क्रमशः 213 करोड़ और 02 करोड़ का बजट पेश किया गया है। यही नहीं देश में गाय के नाम पर हर रोज मूलनिवासियों का नरसंहार हो रहा है लेकिन सरकार को उनकी रक्षा के बजाए गाय और गंगा की रक्षा के लिए बजट पेश किया गया है। लेकिन वही अल्पसंख्यों के कल्याण के लिए जो पिछली सरकार कब्रिस्तान की चारदीवारी के लिए 400 करोड़ रूपये और 146 मदरसों के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया था वहीं योगी सरकार ने इन पर एक भी पैसा नहीं दिया है। इसी के साथ गर्भवती महिलाओं और कुपोषिण बच्चों के फिडिंग कार्यक्रम को भी समाप्त कर दिया है।
सरकार कह रही है कि इस बजट में किसानों को खयाल रखा गया है। लेकिन बजट कहता है कि केवल कर्जमाफी को छोड़कर इस बजट में किसानों को कुछ भी नहीं दिया गया है। यदि कुछ दिया भी गया है तो वह किसनों के नाम पर मिलों को सबसे ज्यादा फायदा दिया गया है। इससे अब साफ जो जाता है कि योगी के बजट ने न केवल धार्मिक एजेंडे को लागू किया गया है बल्कि 2019 के लिए हिन्दुत्व पर फोकस भी किया गया है। यदि देखा जाए तो बजट के जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि हिंदुत्व व हिन्दुओं की आस्था से जुड़े हर छोटे-बड़े स्थान का सरकार खयाल रखेगी। वहीं बजट में कब्रिस्तानों की चारदीवारी के निमार्ण के लिए सरकारी मदद को खत्म करके यह साफ कर दिया गया है कि आलोचना कुछ भी हो लेकिन भाजपा अपने एजेंडे से डिगने वाली नहीं है।

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