लखनऊ/दै.मू.समाचार
केन्द्र की सŸा पर मुहर लगाने वाला उत्तर प्रदेश आज आतंकवादियों के निशाने पर आ चुका है। हालांकि इसका नजारा तो आज से तीन दिन पहले ही 12 जुलाई को तब देखने को मिला था जब सदन चल रही थी, जिसमें 403 विधायक, 85 मार्शल व सुरक्षाकर्मी सहित 20 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन इस बात को तीन दिन तक छुपा कर रखा ही नहीं गया था, बल्कि गुप-चुप तरीके से जांचें भी चल रही थी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब जांच में विस्फोटक के खतरनाक रसायन पीईटीएन (पेन्ट्रा एरायथ्रिटॉल टेट्रानाइट्रेट) होने की पुष्टि हुई। इतनी खतरनाक बात को योगी ने तीन दिन तक दबाए रखा, बस यही बात गले की हड्डी बनी हुई है कि आखिर क्यों? जबकि यह भी बात सामने आई है कि सदन में विस्फोटक होने की सूचना सबसे पहले योगी को मिली थी। अपने को असुरक्षित मान रही जनता के जुबान पर केवल यही बात है कि जब देश प्रदेश का विधानसभा ही सुरक्षित नहीं है तो जनता कहां तक सुरक्षित हो सकती है, इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है। सबसे रोचक बात तो यह है कि अभी दो दिन पहले ही अमेरिका के अखबार न्यूर्याक टाइम्स ने योगी आदित्यनाथ को आतंकी संगठन ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ का सरगना बताकर पूरे भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में ब्राह्मणवाद को नंगा कर दिया है। अभी इस सनसनीखेज खबर को दो दिन भी नहीं बीता कि विधानसभा भवन को उड़ाने की घटना, न्यूयार्क टाइम्स द्वारा बताई गई खबरों की पुष्टि कर रही है।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि आतंकवादियों को हौसला तब और ज्यादा बुलंद हो जाता है जब आतंकी और सरकार से आपसी साँठ-गाँठ हो जाती है। कुछ ऐसा ही नजारा उŸार प्रदेश में देखने को मिल रहा है। जहां उत्तर प्रदेश विधानसभा के मुख्य भवन में विस्फोटक पदार्थ मिलने से हड़कंप ही नहीं मच गया बल्कि 403 माननीयों की जान जोखिम में भी डाल दिया है। गनीमत ही रही कि धमाका नहीं हुआ वर्ना विरान के सिवा वहां कुछ भी नजर नहीं आता। गौरतलब है कि फॉरेंसिक जांच में विस्फोटक के खतरनाक रसायन पीईटीएन (पेन्ट्रा एरायथ्रिटॉल टेट्रानाइट्रेट) होने की पुष्टि के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही, प्रश्नकाल को बीच में रोक कर सीएम ने विस्फोटक मिलने की जानकारी सदन को दी। उन्होंने बताया कि 12 जुलाई की सुबह सफाई के दौरान नेता विपक्ष की सीट के पीछे तीसरी सीट के नीचे सफाईकर्मी और सुरक्षाकर्मियों को पाउडर की एक पुड़िया मिली थी। उसकी खुफिया दस्ते ने जांच की लेकिन कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया। इसके बाद फॉरेंसिक जांच कराई गई, जिसमें पाउडर में खतरनाक रसायन पीईटीएन होने की पुष्टि हुई है। अब सवाल खड़ा होता है कि इस भयंकर मामले को योगी ने तीन दिन तक क्यों दबा कर रखा? आज तीन दिन बीत जाने के बाद क्यों बताया है? सबसे पहले सूचना योगी को क्यों और किसने दी? योगी को इस बात की कैसे जानकारी मिली कि यह इतना खतरनाक होता है कि पूरी विधानसभा को उड़ाने के लिए 500 ग्राम ही काफी है? विधानभवन के अंदर विस्फोटक कैसे पहुंचा? सीसीटीवी कैमरे में क्यों नहीं दिखा कोई? तीन चरणों की सुरक्षा में कैसे चूक हुई? क्या मकसद था इसके पीछे? आतंकी संगठन का हाथ है या शरारत?
यदि देखा जाए तो विधानभवन के मंडप तक विस्फोटक पीईटीएन ले जाने वाला कोई बाहरी व्यक्ति हो ही नहीं सकता है, 403 विधायकों, 85 मार्शल व सुरक्षाकर्मी और 20 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में से कोई एक ही हो सकता है, क्योंकि वहां आम लोगों का आना-जाना वर्जित है। इसलिए यह कहना गलत होगा कि खतरनाक विस्फोटक किसी बाहरी व्यक्तिय द्वारा रखा गया है, बल्कि यह दावे के साथ कहा जा सकता है कि विस्फोटक रखने वाले इन्हीं उक्त लोगों में से ही हो सकता है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि विधानसभा में बाहर स्थानीय पुलिस का सुरक्षा घेरा है। फिर सचिवालय प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और विधानसभा में मार्शल की सुरक्षा रहती है, इसके बाद भी विधानसभा के अंदर विस्फोटक मिलना शासन और प्रशासन की घोर लापरवाही को साबित करता है।
यदि पूर्वानुमान किया जाए तो न्यूयार्क टाइम्स की बात सही साबित हो रही है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के पहले भी आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है। तहलका पत्रिका भाग-8, 15 जनवरी 2011 के अनुसार गोरखपुर के भाजपा सांसद आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए असीमानंद से उन्हें संपर्क किया था। जोशी ने 2006 में अपने गोरखपुर निवास में उसके साथ एक चुप रहो बैठक आयोजित की थी, उस समय जब कई बम विस्फोट करने की साजिश चल रही थी। असीमानंद के अनुसार, उन्होंने बहुत समर्थन नहीं दिया। लेकिन वह संदेह में है। स्वामी असीमानंद, आरएसएस-संबद्ध वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमुख, गुजरात में डांग में शबरी धाम थे। उन्होंने आतंकवादियों के लिए एक विचारधारा की भूमिका निभाने के लिए स्वीकार किया था। गुजरात में डांग और वलसाद में हुए आतंकवादी बैठकों की अध्यक्षता करने के अलावा, उन्होंने आतंकवादी लक्ष्यों के रूप में मालेगांव, अजमेर शरीफ और हैदराबाद आदि जगहों पर आतंकी घटनाओं को भी अंजाम दिया था। दूसरी बात यह कि सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर 2007 में हुए दंगों के मुख्य आरोपी भी हैं। उक्त साक्ष्य और सबूतों के आधार पर नतीजा यह निकलता है कि जब सूबे का मुखिया ही आतंकवादी है तो सूबे में आतंकी घटना होना आम बात है। इस घटना से साबित होता है कि विधानसभा में विस्फोटक पदार्थ किसी और ने नहीं बल्कि खुद सरकार ने अपनी नालायकी को छिपाने के लिए एक नया मुद्दा खड़ा करने के उद्देश्य से जानबूझकर रखा है। क्योंकि मनुवादी सरकारें यही करती हैं एक मुद्दे को दबाने के लिए दूसरा मुद्दा खड़ा करती हैं जिस तरह से यह नया मुद्दा खड़ा किया गया है।
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