शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

योगी युग तक शिक्षक भर्ती पर लगा ताला

योगी युग तक शिक्षक भर्ती पर लगा ताला

लखनऊ/दै.मू.समाचार
सूबे में जब तक योगी युग का अंत नहीं हो जाता है तब तक शिक्षकों की भर्ती पर ताला लगा ही रहेगा। क्योंकि अब उŸार प्रदेश में बेसिक शिक्षा निदेशालय ने तीन साल तक शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब शुक्रवार 15 जून 2017 को बेसिक शिक्षा निदेशालय ने एक रिपोर्ट पेश करते हुए दावा किया कि अब सूबे में तीन साल तक शिक्षकों की भर्ती नहीं होगी क्योंकि पूरे प्रदेश में मौजूदा समय में 65,000 से अधिक टीचर्स मानक के विपरित तैनात हैं।
दैनिक मूलनिवासी नायक समाचार संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि अगर बेसिक स्कूलों में शिक्षक बनने की बाट जोह रहे हैं तो उनके लिए बेहद बुरी खबर है। असल में बेसिक शिक्षा निदेशालय ने की एक रिपोर्ट के अनुसार तीन साल तक सूबे में शिक्षकों की भर्ती पर यह कहते हुए रोक लगा दिया है कि पूरे प्रदेश में मौजूदा समय में 65,000 से अधिक टीचर्स मानक के विपरित तैनात हैं। ऐसे में आने वाले तीन सालों तक भर्ती की प्रक्रिया पर ताला बंद रह सकता है। यदि देखा जाए तो योगी युग में न केवल शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगी है बल्कि अन्य भर्तियों पर भी रोक लग चुकी है। बेसिक शिक्षा निदेशालय द्वारा तो केवल भर्ती पर रोक लगी है लेकिन इसके पहले तो तैनात शिक्षामित्रों को मिल रहे बेतन के बाद भी सूबे के पौने लाख शिक्षा मित्रों को बेरोजगार बनाया जा रहा है। शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर तो अदालत ने फैसला भी ले लिया है कि शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त कर पुनः भर्ती काराया जाए।
आपको बताते चलें कि योगी सरकार का यह फैसला बीटीसी की ट्रेनिंग दे रहे छात्रों के भविष्य को पूरी तरह से चौपट बना सकता है। क्यांकि अगर तीन साल तक बेसिक स्कूलों में शिक्षकों की नियिक्त नहीं होती है तो बीटीसी की ट्रेनिंग दे रहे स्टूडेंट कहीं का नहीं रह जाएंगे। जबकि प्रदेश में पिछले दो सेसन के स्टूडेंट्स को नौकरी के लिए लंबा इंतजार करना पडा़ है। बता दें कि बेसिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति के लिए बीटीसी का होना अनिवार्य है। परन्तु यहां पर बीटीसी की ट्रेनिंग दे रहे स्टूडेट्सों के साथ भारी खिलवाड़ किया जा रहा है। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जो बेसिक शिक्षा निदेशालय ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि प्रदेश में 1.5 लाख स्कूल अधिक हैं यदि बात शिक्षकों की करें तो 16 लाख ज्यादा शिक्षक हैं। अब सवाल उठता है कि क्या यह आंकड़ा सही है? जबकि अभी हाली में एक खबर आई थी कि सूबे में एक ऐसा भी विद्यालय है कि जहां एक ही शिक्षक हफ्ते में बदल-बदल कर क्लास कराता है। दूसरी बात यह कि अब तक का इतिहास बताता है कि देश में कही भी मानक से ज्यादा न अस्पताल हैं, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केन्द्र और नहीं अन्य सुविधाएं बल्कि आवस्यकता से ज्यादा कम ही नजर आते हैं। यही हाल नौकरियों में भी नियुक्त मानक ज्यादा है मगर नियुक्त मानके से कई गुना कम है। लेकिन एक बात और समझ से बाहर दिखाई दे रही है कि योगी सरकार अपना आंकड़ा देने के बजाए दूसरों के आंकड़े क्यों दिखा रही है? इससे साबित होता है कि योगी सरकार मानक से ज्यादा आंकड़े दिखाकर यह साबित करना चाहती है कि पीछली सरकार घपलेबाजी की है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें