बुधवार, 19 जुलाई 2017

दैनिक मूलनिवासी नायक ने पहले ही खोल दिया था राज


अब आरटीआई ने उठाया पर्दा, कहा भारत का कोई राष्ट्रीय खेल नहीं 
लखनऊ/दै.मू.ब्यूरो
आज भारत सरकार भले ही क्रिकेट जैसे असंवैधानिक खेल के ऊपर रूपयों की बारिश क्यों न करती हो लेकिन यह सच है कि भारत का राष्ट्रीय पशु है, भारत का राष्ट्रीय पक्षी है, लेकिन भारत का आज तक कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है। इसका खुलासा भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के एक आरटीआई द्वारा दिए गए जवाब से तब हुआ जब आरटीआई के जरिए यह बात सामने आई कि आईएएस अफसर और तत्कालीन महिला कल्याण निदेशक भवानी सिंह के प्रमुख सचिव, महिला कल्याण रेणुका कुमार पर लगाए गए आरोपों से संबंघित तीनों पत्र महिला कल्याण विभाग में उपलब्ध ही नहीं हैं।
दैनिक मूलनिवासी नायक वरिष्ठ संवाददाता ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ की एक छात्रा ने 2012 में भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय से आरटीआई के तहत भारत के राष्ट्रीय खेल के बारे में जानकारी मांगी थी तथा राष्ट्रीय खेल घोषित करने के आदेश की छाया प्रति मांगी थी। लेकिन कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने जवाब देने से पल्ला झाड़ लिया। जवाब न मिलने पर केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर कर दी। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के खेल समन्वय विभाग के अवर सचिव ने छात्रा को पत्र लिखकर बताया कि भारत सरकार का उद्देश्य सभी लोकप्रिय खेलों को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने का है। इस वजह से किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया गया है। किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित करने का आदेश भी भारत सरकार के पास नहीं है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार आज तक क्रिकेट के नाम पर देश को लूट और लुटवा रही हैं। वहीं जो देश की सुरक्षा के लिए सैनिक सीने पर गोलियां खा रहे हैं उनको फूटी कौड़ी भी नहीं दे रहे हैं। बचपन में आपने किताबों में भले ही पढ़ा हो कि हॉंकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, लेकिन सच में ऐसा है नहीं। देश को ओलंपिक में आठ स्वर्ण और एक विश्व कप पदक दिलाने वाले इस खेल को सरकारी दस्तावेजों में राष्ट्रीय खेल का दर्जा हासिल नहीं है।
इसी तरह का एक और मामला ग्रेटर नोएडा के रहने वाले एक व्यक्ति ने भी 15 दिसम्बर 2014 को खेल एवं युवा मंत्रालय से आरटीआई के जरिए पूछा था कि भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है? इसका फैसला कब और कैसे हुआ? और किसने इसका सुझाव दिया? लेकिन सरकार की तरफ से जो जवाब आया उसके बाद तो देश के सभी हॉकी खिलाड़ी व प्रशंसक सन्न रह गए। भारत सरकार में अवर सचिव और सहायक मुख्य सूचना अधिकारी एसपीएस तोमर ने 17 जनवरी 2015 को जवाब दिया कि किसी भी खेल को भारत में राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त नहीं है। यदि देखा जाए तो यह ऐसी पहली घटना नहीं है बल्कि इसके पहले भी कई ऐसे मामले हो चुके हैं। 
यही नहीं गोरखपुर के जिला निर्वाचन विभाग ने सीएम योगी आदित्यनाथ सहित वहां से अब तक जीते सांसदों का चुनावी शपथपत्र सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया। आरटीआई एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने मई में आरटीआई दायर कर 1951-52 से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनावों में गोरखपुर सीट से जीते सांसदों के चुनावी हलफनामे की प्रतियां मांगी थी। लेकिन जिला निर्वाचन विभाग ने गोरखपुर के सांसदों का चुनावी हलफनामा देने से ही साफ इनकार कर दिया। इसी के साथ ही मंत्रालय को तो यह भी जानकारी नहीं है कि एअर इंडिया का निजीकरण किया जा चुका है। मंत्रालय ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि इस मामले की कोई की जानकारी नहीं है कि एयर इंडिया का निजीकरण किया जा चुका है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सूचना का अधिकार कानून के तहत एअर इंडिया के निजीकरण की जानकारी विमानन मंत्रालय से मांगी। क्या इस बात को सही माना जा सकता है?
अगर उक्त बातों का पूर्णरूप से विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि सरकार को न तो यही पता है कि न्यायपालिका में देवी के रूप में कौन है और न तो यही पता है कि भारतीय नोटों पर गांधी की तस्वीर कब, क्यों और किसके आदेश पर छापी जाती है और न ही यही पता है कि गांधी को राष्ट्रपिता संविधान के किस आर्टिकल के तहत घोषित किया गया है। केवल आज तक सरकार मनमाना तरीके से किसी को भी राष्ट्रपिता, किसी को राष्ट्रगान, किसी को महात्मा तो किसी को गुरू घोषित कर उनके ऊपर करोड़ों रूपये बर्बाद कर रही है। जैसे क्रिकेट के नाम पर देश में अरबों रूपये पानी की तरह बहा रही है जबकि आज तक देश का कोई राष्ट्रीय खेल ही नहीं है।

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