‘‘खतरनाक दौर से गुजर रहा भारतीय लोकतंत्र’’
राजकुमार (संपादक-दैनिक मूलनिवासी नायक)
भारतीय जनता पार्टी का दोबारा सत्ता में आना, लोकतंत्र का चीरहरण ही है. भारत, तथाकथित आजादी के बाद से सबसे खतरनाक दौर से गुजर रहा है. यह कोई नाटकीय वक्तव्य नहीं है. भारत की जो कल्पना आजादी के आंदोलन के दौरान प्रस्तावित की गई थी और जिसे भारतीय संविधान ने मूर्त करने का प्रयास किया, वह पिछले लोकसभा और लोकसभा 2019 में क्षत-विक्षत कर दी गई है. अब लोकतंत्र का चीरहरण करके सत्ता पर कब्जा किए जा रहे हैं जो वर्तमान में बीजेपी ने किया है. इसके बाद भी यह बात लोगों को समझ में नहीं आ रही है.
अभी भी यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जुर्म के बादशाह हत्यारे, बलात्कारी, नक्सलवादी और आतंकवादियों का देश पर कब्जा हो गया है. जिन लोगां ने देश को बर्बाद और तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिन लोगों ने लोकतंत्र का बलात्कार किया, जिन लोगों ने देश को गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी और अशिक्षा की खाई में धकेल दिया, आज वहीं लोग देश का उज्ज्वल भविष्य बनाने जा रहे हैं. इस बात का अंदाजा इस रिपोर्ट से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में चुनकर आने वाले सांसदों में 44 प्रतिशत से ज्यादा सांसद अपराधी हैं. इसमे विधायकों के अपराधों के आंकड़े शामिल नहीं है. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म रिपीट रिफार्म (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की शनिवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार हत्या, बलात्कार, नक्सलवाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार (आपराधिक) मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गयी है.
इसके अलावा भारत सत्ता उनके हाथ में चली गयी है जो पिछले सात दशकों से भारत की इस धारणा के खिलाफ जनता को तैयार कर रहे थे. इसके बाद भी आश्चर्य की बात है कि बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला..! हालांकि पहले 2014 में भी भारत की सत्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ही पास थी और अब फिर से उसी के हाथों में आ गयी है.
मोदी सरकार के पाँच साल में क्या देश तरक्की कर पाया? सवाल तो बहुत सारे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने पाँच साल में क्या है? इस पर विश्लेषण करने की जरूरत है. सबसे पहले तो यह कि जिस तरह से बीजेपी दोबारा सत्ता पर कब्जा किया है उस तरह से यही कहा जा सकता है कि यह भारतीय लोकतंत्र का चीरहरण है. क्योंकि यह बात पूरे दावे के साथ कह रहा हूँ कि मोदी के नाम पर भारतीय जनता पार्टी को न तो किसानों ने वोट दिया है, न तो महिलाओं ने वोट दिया है, न तो युवाओं ने वोट दिया है, न तो शहीद जवानों के परिवारों ने वोट दिया है, न तो मजदूरों ने वोट दिया है और न ही एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध और जैन को मानने वालो ने ही वोट दिया है. इसके बाद भी बीजेपी प्रचंड बहुमत से कैसे जीत गयी? यह सबसे गंभीर सवाल है.
दूसरा, यदि विकास की बात करें तो विकास के नाम पर देश की आर्थिक व्यवस्था चौपट हो गयी है, सरकारी नौकरियाँ लगभग खत्म हो गयी हैं, जो कुछ रोजगार बचे थे उसे नोटबंदी ने खत्म कर दिया. देश में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गयी है, सकल घरेलू उत्पाद नीचले स्तर पर पहुँच गया है, देश में महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है. किसान बड़े पैमाने पर आत्महत्या कर रहे हैं, महिलाओं के साथ आये दिन बलात्कार और सामुहिक बलात्कार हो रहे हैं. यदि आंकड़ों की बात करें तो हर 15 मिनट में एक महिला का बलात्कार, हर 22 मिनट में एक महिला का सामुहिक बलात्कार, हर 35 मिनट पर एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया जा रहा है. यानी भारतीय महिलाओं के लिए भारत ही असुरक्षित देश बन गया है.
चारों तरफ गुंडों का तांडव मचा है. देश के जवानों को मौत के मुँह में धकेला जा रहा है, सैनिकों को मौत के घाट उतारा जा रहा है. जाति-भेदभाव के नाम पर एससटी, एसटी को मौत के घाट उतारा जा रहा है, नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों का सामुहिक नरसंहार किया जा रहा है. आतंकवाद और गोकसी-गोमांस के नाम पर मुस्लिमों की दिनदहाड़े हत्या की जा रही है. ब्राह्मणवाद, अंधविश्वास, कर्मकांड और पाखंडवाद के विरोध में लिखने पर पत्रकारों को गोलियों से छलनी किया जा रहा है. धर्म के नाम पर हिंसा, दंगा-फसाद आये दिन हो रहे हैं और मॉबलिंचिंग के नाम पर भीड़ द्वारा कत्लेआम किए जा रहे हैं.
यह मामला यही नहीं खत्म हो जाता है. सेन गुप्ता की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 85 करोड़ में से 83 करोड़ मूलनिवासी बहुजन समाज गरीबी और भुखमरी के कगार पर पहुँचा दिए गये हैं. शिक्षा का यह हाल है कि उच्च डिग्री लेने के बाद भी 62 प्रतिशत युवा छात्र नौकरी के लायक नहीं हैं, 10 लाख से ज्यादा स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, 10 लाख से ज्यादा स्कूल केवल एक-एक शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. स्वास्थ्य की बात करें तो लाखों गाँव ऐसे हैं जहाँ अस्पताल ही नहीं हैं, अगर हैं भी तो 5 से 10 किलोमीटर दूर हैं. यही नहीं उन अस्पतालों में कोई सुविधा नहीं है, न तो एम्बुलेंस है और न ही अन्य सुविधाएं हैं. महंगी इलाज के कारण गरीब तबका इलाज के अभाव में मर रहे हैं. आखिर देश में बचा क्या है? क्या इसी नाम पर देश की जनता ने मोदी को वोट दिया है? क्या जनता ने मोदी को इसलिए वोट दिया है कि दोबारा मोदी सरकार यही रवैया अपनाए?
असल में जनता ने मोदी को वोट नहीं दिया है. भाजपा ने ईवीएम में घोटाला करके एक तरह से जनता का वोट जबरदस्ती छीन लिया है. बीजेपी ईवीएम में घोटाला करके लोकतंत्र का न केवल चीरहरण किया है, बल्कि लोकतंत्र का बलात्कार भी किया है. इस बात को सबसे पहले दैनिक मूलनिवासी नायक ने आगाह करते हुए कहा था कि मोदी सरकार दूसरी बार देश के लिए हानिकारक साबित हुई है. मोदी सरकार देश के खतरा बन चुकी है. अब यही बात विदेशी मीडिया ‘‘द गार्डियन और न्यूयॉक टाइम्स’’ भी कह रहा है. यही नहीं नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भी कहा है कि मोदी ने अपनी उपलब्धियों के सहारे नहीं, बल्कि डर के बलबूते सरकार बनायी है. यह इस बात का सबूत है कि बीजेपी ईवीएम के माध्यम से लोकतंत्र का चीरहरण करके केन्द्र पर अनियंत्रित कब्जा किया है.
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