रविवार, 26 मई 2019

अपराधियों के हाथों में देश.... जुर्म के बादशाहों का देश पर कब्जा

राजकुमार (संपादक-दैनिक मूलनिवासी नायक)

44 प्रतिशत से ज्यादा अपराधी नेताओं की बढ़ोत्तरी : रिपोर्ट
‘‘पूरी दुनिया में मात्र भारत ही एक ऐसा इकलौता देश है जहाँ हत्यारे, बलात्कारी, नक्सलवादी और आतंकवादी देश को चला रहे हैं. यह कितनी हैरान करने वाली बात है कि जुर्म के बादशाहों का देश पर कब्जा हो गया है और देश का उज्ज्वल भविष्य अब अपराधी तय करेंगे’’


मौजूदा नेता भारतीय राजनीति में किस तरह से हावी हैं. इसका अंदाजा इस रिपोर्ट से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होकर आने वाले सांसदों में 44 प्रतिशत अपराधी  हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म रिपीट रिफार्म (एडीआर) द्वारा लोकसभा चुनाव परिणाम की शनिवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार हत्या, बलात्कार, नक्सलवाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार (आपराधिक) मामलों में फंसे सांसदों की संख्या दस साल में 44 प्रतिशत बढ़ गयी है. वहीं करोड़पति सांसदों की संख्या 2009 में 58 प्रतिशत थी जो 2019 में 88 प्रतिशत हो गयी है.

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार सत्रहवीं लोकसभा के लिए चुन कर आये 542 सांसदों में 233 (43 प्रतिशत) सांसदों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित है. इनमें से 159 (29 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. इतना ही नहीं राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय 25 राजनीतिक दलों में छह दलों (लगभग एक चौथाई) के शत प्रतिशत सदस्यों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है.

रिपोर्ट में नवनिर्वाचित सांसदों के आपराधिक रिकॉर्ड के राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि आपराधिक मामलों में फंसे सर्वाधिक सांसद केरल और बिहार से चुन कर आये हैं. केरल से निर्वाचित 90 फीसदी और बिहार के 82 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल से 55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश से 56 और महाराष्ट्र से 58 प्रतिशत नवनिर्वाचित सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित है. वहीं सबसे कम नौ प्रतिशत सांसद छत्तीसगढ़ के और 15 प्रतिशत गुजरात के हैं.

रिपोर्ट के अनुसार पिछली तीन लोकसभा में आपराधिक मुकदमों से घिरे सांसदों की संख्या में 44 प्रतिशत इजाफा दर्ज किया गया है. इसके मुताबिक 2009 के लोकसभा चुनाव में आपराधिक मुकदमे वाले 162 सांसद (30 प्रतिशत) चुनकर आये थे, जबकि 2014 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 185 (34 प्रतिशत) थी. यानी इस बार अपराधी सांसदों की संख्या में बेतहासा बढ़ोत्तरी हुई है. एडीआर ने नवनिर्वाचित 542 सांसदों में 539 सांसदों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर बताया कि इनमें से 159 सांसदों (29 प्रतिशत) के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, बलात्कार और अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं. पिछली लोकसभा में गंभीर आपराधिक मामलों के मुकदमों में घिरे सदस्यों की संख्या 112 (21 प्रतिशत) थी, वहीं 2009 के चुनाव में निर्वाचित ऐसे सांसदों की संख्या 76 (14 प्रतिशत) थी. स्पष्ट है कि पिछले तीन चुनाव में गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सांसदों की संख्या में 109 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है.

रिपोर्ट में भाजपा के 303 में से 301 सांसदों के हलफनामे के विश्लेषण में पाया गया कि साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित 116 सांसदों (39 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के 52 में से 29 सांसद (57 प्रतिशत) आपराधिक मामलों में घिरे हैं. इनके अलावा बसपा के 10 में से पाँच, जदयू के 16 में से 13 (81 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 22 में से नौ (41 प्रतिशत) और माकपा के तीन में से दो सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं. 



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