शनिवार, 25 मई 2019

धोखेबाजी से बहुमत

राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
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♦  कांग्रेस भले ही बीजेपी का कड़ा विरोध कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस खुद बीजेपी को केन्द्र में लाना चाहती है. यही कारण है कि कांग्रेस ने बनारस से प्रियंका गाँधी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा. यही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई प्रदेशों में जहाँ-जहाँ बीजेपी के उम्मीदवार मैदान में थे, वहाँ-वहाँ कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. 

 
धोखेबाजी से बहुमत अगर किसी देश में बनायी जाती है तो वह वर्तमान भारत है. देश में 1952 से आम चुनाव हो रहे हैं. मगर, 60 तक कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर अन्य पार्टियाँ बहुमत में रही हों, इसका इतिहास ढूंढ़ने से भी नहीं मिलता है. देश में तकरीबन 60 साल तक लगातार कांग्रेस बहुमत में रही और अब बीजेपी आ गयी है. सवाल यह है कि बहुमत में केवल कांग्रेस और बीजेपी ही क्यों रहती हैं? अन्य पार्टियाँ भी तो हैं, वे बहुमत में क्यों नहीं आती हैं? चौंकाने वाली बात तो यह है कि चुनाव परिणाम 23 मई को आयेंगे और इससे पहले मीडिया वाले दावा करने लगे हैं कि बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है. इससे तो यही साबित होता है कि लोकसभा चुनाव 2019 में भी बीजेपी और कांग्रेस ने धोखेबाजी करने से बाज नहीं आयी हैं. कांग्रेस और बीजेपी के धोखेबाजी में गोदी मीडिया भी शामिल है. गोदी मीडिया भी कांग्रेस और बीजेपी के लिए ही काम कर रहा है. 

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सातवें और आखिरी चरण में 19 मई को आठ राज्यों की 59 सीटों पर मतदान सम्पन्न हुआ. सातवें और आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होते ही तमाम एजेंसियों ने एग्जिट पोल के नतीजे जारी कर दिए हैं. देश की सभी 543 लोकसभा सीटों के लिए अधिकतर एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिलने का दावा किया जा रहा है. जबकि, कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सीटों में भले ही बढ़ोतरी हो रही हो लेकिन वह एनडीए से बहुत पीछे दिख रही है. वहीं एग्जिट पोल में क्षेत्रीय दलों की भमिका बढ़ती हुई दिखाई दे रही है.

एक नजर गोदी मीडिया पर डालते हैं. इंडिया टीवी के एग्जिट पोल के मुताबिक एनडीए को 300 सीटें मिल सकती हैं. जबकि, यूपीए को 120, सपा-बसपा गठबंधन को 28 और अन्य को 94 सीट मिल सकती है. एनडीटीवी के पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक एनडीए को 305, यूपीए को 125 और अन्य को 112 सीटें मिलने की संभावना है. वहीं टाइम्स नाऊ के मुताबिक एनडीए को 306, यूपीए को 132 और अन्य को 104 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. रिपब्लिक-सी वोटर के एग्जिट पोल में एनडीए को 287, यूपीए को 128 और अन्य को 127 सीटें मिलने की बात कही गई है. इंडिया न्यूज के एग्जिट पोल में एनडीए को 298, यूपीए को 118 और अन्य को 126 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. सुदर्शन न्यूज ने सर्वे में एनडीए को 313, यूपीए को 121 और अन्य को 108 सीटें मिलने का दावा किया है.

न्यूज नेशन के सर्वे में एनडीए को 282 से 290 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, जबकि यूपीए के खाते में 118 से 126 और अन्य के खाते में 130 से 138 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. रिपब्लिक भारत-जन की बात के सर्वे में एनडीए को 305, यूपीए को 124 और अन्य को 113 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. साक्षी टीवी के सर्वे के मुताबिक एनडीए को 305, यूपीए को 124 और अन्य को 87 सीटें मिल सकती हैं. श्रवण न्यूज के मुताबिक एनडीए की झोली में 333, यूपीए को 115 और अन्य को 94 सीटें मिल सकती हैं. उधर, एबीपी न्यूज के एग्जिट पोल में बीजेपी को बड़ा फायदा होता हुआ बताया गया है. इसके अलावा इंडिया न्यूज के एग्जिट पोल में एनडीए को 298, यूपीए को 118 और अन्य को 126 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. यानी सभी गोदी मीडिया का दावा है कि बीजेपी सत्ता में वापस आ रही है. 

जबकि 542 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद है और उसके फाइनल नतीजे 23 मई को आएंगे. लेकिन, उससे पहले ही तमाम टीवी चैनलों और सर्वे एजेसियों के एग्जिट पोल बीजेपी की सत्ता वापसी का दावा कर रहे हैं. आखिर क्या कारण है कि चुनाव रिजल्ट आने से पहले मीडिया जान जाता है कि किसकी सरकार बनेगी, किसकी नहीं? यदि मीडिया के उक्त दावे का विश्लेषण करते हैं तो पता चलता है कि ईवीएम में कितना घोटाला हो रहा है इसकी जानकारी पार्टियों की तरफ से पहले ही दे दी जाती है. यही कारण है कि गोदी मीडिया को यह बात पहले ही पता चल जाती है और इस आधार पर परिणाम आने से पहले दावे करने लगते हैं. कुल मिलाकर बहुमत में आने के लिए कांग्रेस और बीजेपी देश की जनता के साथ धोखेबाजी करती हैं और धोखेबाजी करके ही पूर्ण बहुमत में सरकारें बनाती हैं. 

अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करे तो कांग्रेस भले ही बीजेपी का कड़ा विरोध कर रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कांग्रेस खुद बीजेपी को केन्द्र में लाना चाहती है. यही कारण है कि कांग्रेस ने बनारस से प्रियंका गाँधी को चुनाव मैदान में नहीं उतारा. यही नहीं महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई प्रदेशों में जहाँ-जहाँ बीजेपी के उम्मीदवार मैदान में थे, वहाँ-वहाँ कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि कांग्रेस द्वारा ईवीएम में घोटाला करके 2004 और 2009 में लगातार सत्ता में रहने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस ईवीएम में घोटाला करके सरकार बना रही है. तब आरएसएस और कांग्रेस के बीच समझौता हुआ और समझौता में यही हुआ कि जैसे कांग्रेस ईवीएम में घोटाला करके 2004 और 2009 में केन्द्र में सरकार बनायी है, उसी प्रकार से बीजेपी भी ईवीएम में घोटाला करके 2014 और 2019 में सरकार बनायेगी. इसके बाद ईवीएम में हो रहे घोटाले को दबाने के लिए बीजेपी ने मौन धारण कर लिया. इसका नतीजा यह निकला कि बीजेपी 2014 में सरकार बनायी और अब 2019 में दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है. वादे के मुताबिक ही लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस, बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए मदद कर रही है. यही मुख्य कारण है कि बीजेपी के खिलाफ न तो प्रियंका को मैदान में उतारा गया और न ही गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में.

दूसरी बात, जब से देश में ईवीएम से चुनाव शुरू हुआ है तब से धोखेबाजी का सिलसिला और तेज हो गया है. ईवीएम के माध्यम से कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी ही पूर्ण बहुमत में सरकारें बनाती आ रही हैं. क्योंकि, ईवीएम से निष्पक्ष, पारदर्शी और मुक्त चुनाव नहीं हो सकता है, बल्कि घोटाला होता है. इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी मान चुका है और इस पर 8 अक्टूबर 2013 को फैसला भी सुना चुका है कि ईवीएम से निष्पक्ष, पारदर्शी और मुक्त चुनाव नहीं हो सकता है. इसलिए ईवीएम में अलग से वीवीपीएटी मशीन लगाने का चुनाव आयोग को आदेश दिया. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के पैरा नंबर 28-29 में यह भी कहा है कि विवाद की स्थिति में वीवीपीएटी मशीन से निकले वाली कागजी मतपत्र की निष्पक्ष, पारदर्शी और मुक्त चुनाव के लिए 100 प्रतिशत गिनती होनी चाहिए. परन्तु, चुनाव आयोग निष्पक्ष, पारदर्शी और मुक्त चुनाव कराने के बजाए चुनावी परिणाम जल्दी लाने के लिए काम कर रहा है. इसके अलावा चुनाव आयोग पर लगातार आरोप लगते आ रहे हैं कि चुनाव आयोग बिक चुका है, चुनाव आयोग सरकार के नियंत्रण में काम कर रहा है, इसके बाद भी चुनाव आयोग को कोई फर्क नहीं पड़ा है.

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