बुधवार, 1 मई 2019

चुनाव आयोग ईवीएम घोटाले में शामिल है-वामन मेश्राम

लोकतंत्र बचाने के लिए बहुजन क्रांति मोर्चा का जेल भरो आंदोलन


आंदोलन पर एक नजर
♦ 23 मई 2019 से अनिश्चित काल के लिए भारत बंद
♦ जेल भरो आंदोलन में 22 राजनैतिक पार्टियों का नैतिक समर्थन
♦ सैकड़ों सामाजिक संगठन आंदोलन में शामिल, गये जेल

आंदोलन की प्रमुख मांगें
♦ वीवीपैट की पर्ची का 100 प्रतिशत गिनती होनी चाहिए
♦ सुप्रीम कोर्ट ने हमारे साथ अन्याय किया है, हमें न्याय चाहिए
♦ इलेक्शन कंडक्ट रूल 56-सी, 56-डी और 49-एम रद्द करो

जेल में जलाया इलेक्शन कंडक्ट रूल की प्रतियाँ




आवाहन
आंदोलन में साथ देने वाले देश के सभी लोगों से आवाहन करता हूँ कि ‘चुनाव आयोग ने जो इलेक्शन कंडक्ट रूल 56-सी, 56-डी और 49-एम’ बनाया है, यह मौलिक अधिकारों का हनन कर कर रहा है. इसलिए अपने-अपने राज्यों, तहसीलों और जिलों में इस रूल को एक जहग इकट्ठा होकर अपने महापुरूषों की प्रतिमा के सामने 23 मई तक लगातार जलाने का काम करेंगे. 

पुणे/दै.मू.ब्यूरो
चुनाव आयोग ईवीएम घोटाले में शामिल है. ईवीएम घोटाला को छिपाने के लिए आयोग ने षड्यंत्र किया और संविधान के मौलिक आधिकार के खिलाफ 56-सी, 56-डी और 49-एम नामक इलेक्शन कंडक्ट रूल बनाया. अगर यह रूल नहीं बनया होता तो मैन्युअली रिकाउंटिंग की मांग होती, अगर मैन्युअली रिकाउंटिंग की मांग होती तो ईवीएम घोटाला पकड़ में आ जाता. घोटाला पकड़ में ना आये, इसलिए इस घोटाले को छिपाने के लिए चुनाव आयोग ने इलेक्शन कंडक्ट रूल बनाया है. यह बात मंगलवार 30 अप्रैल 2019 को बहुजन क्रांति मोर्चा द्वारा जेल भरो आंदोलन में ईवीएम के खिलाफ गिरफ्तारी देते हुए वामन मेश्राम ने कही.
गौरलतब है कि ईवीएम के खिलाफ बहुजन क्रांति मोर्चा के द्वारा मंगलवार 30 अप्रैल को देशव्यापी जेल भरो आंदोलन किया गया, जो ऐतिहासिक सफलता के साथ संपन्न हुआ. यह जेल भरो आंदोलन उन राज्यों, जिलों में किया गया था जिन राज्यों, जिलों में चुनाव समाप्त हो गया है. 
ईवीएम के खिलाफ वामन मेश्राम ने दी गिरफ्तारी


बता दें कि पूना रेलवे स्टेशन के पास पुलिस थाने में ईवीएम के खिलाफ गिरफ्तारी देते हुए वामन मेश्रान ने कहा कि हमने कई बार सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम के खिलाफ केस दायर किया. और हमने सुप्रीम कोर्ट के ही 8 अक्टूबर 2013 के आदेश को ध्यान में रखते हुए केस किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ईवीएम में वीवीपैट मशीन लगाये, निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र रूप से चुनाव नहीं हो सकता है. दूसरा आदेश था कि विवाद की स्थिति में वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची की 100 प्रतिशत गिनती होनी चाहिए. 
वामन मेश्राम ने कहा इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने मांग की थी कि पेपर ट्रेल मशीन से निकलने वाली पर्ची की 100 प्रतिशत गिनती की जाय. यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया हुआ है, फिर भी चुनाव आयोग इस पर अमल करने का काम नहीं कर रहा है. बल्कि चुनाव आयोग ने  षड्यंत्र किया और वीवीपैट से निकलने वाली पर्ची की गिनती के लिए कोई मांग न करे, इसलिए 2013 में आयोग ने 56-सी, 56-डी और 49-एम तीन इलेक्शन कंडक्ट रूल बना दिया. 
राजकुमार (दैनिक मूलनिवासी नायक)

रूल 56-सी के अनुसार जो पार्टियाँ दूसरे नंबर हैं केवल वहीं पार्टियाँ रिकाउंटिंग की मांग कर सकती हैं, तीसरे या चौथे नंबर की पार्टियाँ मांग नहीं कर सकती हैं. इसके अलावा रूल 49-एम के अनुसार किसी को भी ईवीएम या वीवीपैट के खिलाफ आयोग से शिकायत करने का अधिकार नहीं है. यदि कोई शिकायत करता है तो उसे 6 महीने तक जेल की सजा का प्रावधान किया.
वामन मेश्राम ने कहा कि यह इलेक्शन कंडक्ट रूल संविधान के आर्टिकल 13 के अनुसार मौलिक अधिकारों का घोर उलंघन करता है. बाबासाहब ने लिखा है कि मौलिक अधिकार का उलंघन कोई कानून या परम्परा आदि सहित कुछ भी मौलिक अधिकार का उलंघन करता है तो उसे शून्य घोषित किया जाता है. जब हमने सुप्रीम कोर्ट में लिखित केस किया कि वीवीपैट पर्ची की गिनती होनी चाहिए तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन कंडक्ट रूल जारी रहेगा. इस तरह से हमारे साथ अन्याय किया गया है. 
अंत में वामन मेश्राम ने कहा कि इसके विरोध में आज हम लोग 30 अप्रैल 2019 को जेल भरो आन्दोलन कर रहे है. इसके अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में चुनाव आयोग ने जो इलेक्शन कंडक्ट रुल बनाये हैं वे संविधान विरोधी है. यह रुल फ्री, फेयर और ट्रांसपरेंट चुनाव के विरोध में है. यह रुल फंडामेंटल राइट के विरोध में है. इसलिए इलेक्शन कंडक्ट रुल 56-सी, 56-डी और 49-एम को आज हम जेल भरो आन्दोलन में इसे जला रहा हूँ. आने वाले समय में हम इस लड़ाई को आगे तक जारी रखेंगे.

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