शुक्रवार, 10 मई 2019

खतरे में न्यायपालिका : राधेश्याम (भारत मुक्ति मोर्चा, जागृति जत्था, चन्दौली उ.प्र.)

खतरे में न्यायपालिका
अब शीर्ष अदालत में हेराफेरी
न्यायपालिका में कॉरपोरेट्स की घुसपैठ 
जज के ऑर्डर में हेराफेरी चिंताजन बात है-सुप्रीम कोर्ट

राधेश्याम (भारत मुक्ति मोर्चा, जागृति जत्था, चन्दौली उ.प्र.) 

♦ यह बेहद शरारती तरीके से किया गया है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. यहाँ (सुप्रीम कोर्ट) क्या हो रहा है? वे हमारी ऑर्डर शीट में हेरफेर करने की कोशिश कर रहे हैं. अदालत में काफी चिंताजनक चीजें हो रही हैं कुछ और लोगों को जाना होगा और 2-3 लोगों को हटाने से काम नहीं बनेगा. इससे न्यायपालिका तबाह हो रही है-सुपीम कोर्ट



♦ देश के इतिहास में जो अब तक नहीं वो अब होने लगा है. इसका उदाहरण 12 जनवरी 2018 को देखने को मिल चुका है कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चार न्यायधीशों ने बकायदा प्रेस कांफ्रेस कर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था. सुप्रीम कोर्ट न्याय की आखिरी मंजिल है, जिसे वहां इंसाफ नहीं मिला, उसे फिर कभी नहीं मिलेगा. जाहिर है जो अब तक नहीं हुआ यदि वो अब हो रहा है तो इसका मतलब साफ है कि न्यायपालिका खतरे में है.

राजकुमार (दैनिक मूलनिवासी नायक)
लोकतंत्र के विधायिका, कार्यपालिका और मीडिया में हेराफेरी के बाद अब न्यायपालिका में भी हेराफेरी शुरू हो गयी है. इस हेराफेरी से देश की न्यायपालिका खतरे में आ चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है यह सब न्यापालिका में कॉरपोरेट की घुसपैठ की वजह से हो रहा है. कॉरपोरेट की घुसपैठ जजों के आदेश में बड़े पैमाने पर हेराफेरी कर रहे हैं जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे न्यायपालिका तबाह हो रही है.

गौरतलब है कि एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश में हेराफेरी की बात सामने आई है. मामला विवादित बिल्डर ग्रुप आम्रपाली के 6 सप्लायरों से जुड़ा है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने आम्रपाली के सप्लायर्स को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त फॉरेंसिंक ऑडिटर पवन अग्रवाल के समक्ष हाजिर होने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें बदल दिया गया. जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने ‘आदेश’ के बदले जाने पर हैरानी जताई और कहा कि इस घटना से यह बात पुष्ट होती है कि न्यायापालिक में घुसपैठ करके कॉपोरेट घरानों ने कोर्ट-स्टाफ को प्रभावित किया है.
उल्लेखनीय है कि जस्टिस मिश्रा की बेंच ने पहले ही उन आरोपों की जाँच के आदेश दिए हैं, जिनमें कहा गया था कि ‘बिचौलिए और फिक्सर’ न्यायपालिका की कार्यवाही को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. बुधवार को जस्टिस मिश्रा ने पाया कि उनके द्वारा दिए गए आदेश को भी ‘बदल’ दिया गया है. न्यायालय ने कहा कि इससे पहले भी कोर्ट के आदेशों को बदला जा चुका है. 

बता दें कि उद्योगपति अनिल अंबानी से जुड़े कंटेंप्ट केस में जस्टिस आरएफ नरीमन द्वारा दिए गए आदेश को भी बदल दिया गया था. तब मामले में कोर्ट के दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया था और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि यह बेहद शरारती तरीके से किया गया है जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. यहाँ (सुप्रीम कोर्ट) में क्या हो रहा है? वे हमारी ऑर्डर शीट में हेरफेर करने की कोशिश कर रहे हैं. अदालत में काफी चिंताजनक चीजें हो रही हैं कुछ और लोगों को जाना होगा और 2-3 लोगों को हटाने से काम नहीं बनेगा. इससे न्यायपालिका तबाह हो रही है और इसे किसी भी सूरत में होने नहीं दिया जाएगा. हम जैसे लोग आते-जाते रहेंगे, लेकिन संस्था हमेशा रहेगी.

यदि देखा जाए तो इस देश में लोकतंत्र के नाम पर ब्राह्मणतंत्र स्थापित हो चुका है. इस ब्राह्मणतंत्र की वजह से लोकतंत्र के चारों स्तम्भों में विधायिका, कार्यपालिका, मीडिया और न्यायपालिका पर न केवल ब्राह्मणों का पूर्णरूप से अनियंत्रित कब्जा है, बल्कि कॉरपोरेट घरानों का भी कब्जा हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में ब्राह्मणों एवं तत्सम उच्च जातियों की संख्या कुल मिलाकर 15 प्रतिशत है, जबकि इनका नौकरियों पर 87 प्रतिशत, व्यापार में 97 प्रतिशत, शिक्षा में 78 प्रतिशत और भूमि में 94 प्रतिशत कब्जा है. इसी तरह से विधायिका, कार्यपालिका, मीडिया और न्यायपालिका पर पूर्णरूप से कब्जा हो चुका है.

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