राजकुमार (संपादक-दैनिक मूलनिवासी नायक)
‘‘अब भी ईवीएम मशीन के खिलाफ सड़कों पर आकर आंदोलन नहीं किया तो याद रखना भारत से लोकतंत्र की अर्थी उठेगी’’
26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया. संविधान लागू होने का मतलब देश में लोकतंत्र लागू होना. सारे दुनियाँ में जो लोकतंत्र होता है, वह चार स्तम्भ पर खड़ा है. एक विधायिका, दूसरा कार्यपालिका तीसरा न्यायपालिका और चौथा मीडिया है. एक है विधायिका, जिसका काम कानून बनाने का है. दूसरा है कार्यपालिका, जिसकी जिम्मेदारी अमल करने की है, जिसमें आईएएस, आईपीएस और आईआरएस है. तीसरा है न्यायपालिका जो संविधान रक्षा और व्याख्या करने का काम करता है और चौथा है मीडिया जो जनमत बनाने का काम करता है. यह लोकतंत्र इन्हीं चार पिलरों पर खड़ा है.
2009 के लोकसभा चुनाव में विधायिका पर 375 सीटें लाने वाले तथा गैर-बराबरी को मानने वाले पार्टी के लोगों का कब्जा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 411 सीटों पर गैर-बराबरी को मानने वाले लोगों का कब्जा हो गया. इसी तरह से 2019 के लोकसभा में भी 352 सीटों पर कब्जा कर लिया है. अब है कार्यपालिका, जिसमें 79.2 प्रतिशत प्रथम श्रेणी के आईएएस, आईपीएस, आईआरएस पदों पर ब्राह्मण और तत्सम ऊँचे जाति के लोगों का कब्जा है. न्यायपालिका में 98 प्रतिशत कब्जा ब्राह्मणों और तत्सम ऊँचे जाति के लोगों का कब्जा है और कुछ एससी, एसटी और ओबीसी के नुमाईदें वहां पर दिखाने के लिए रखे जाते हैं जैसे-हम खाना खाने के दौरान चाटने के लिए आचार रखते हैं. उसी तरह से दिखाने के लिए कुछ लोगों को रखा जाता है कि हाँ भाई तुम्हारे भी कुछ लोग हैं. न्यायपालिका में भी उनका कब्जा है. चौथा है मीडिया, मीडिया चार प्रकार के हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, ट्रेडिशनल मीडिया और व्होकल मीडिया. इन चारों मीडिया पर भी उनका ही कब्जा है.
आज के तारीख में जिसको हम जनतंत्र, लोकतंत्र और डेमोक्रेसी कहते हैं. भारत में इस डेमोक्रेसी पर ब्राह्मणों का कब्जा हो गया है. ब्राह्मणों का इस देश पर कब्जा हो चुका है. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम में घोटाला करके चुनाव जीता. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम में घोटाला करके चुनाव जीता. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को चुनाव जीतने के लिए ईवीएम मशीन में घोटाला करने में मदद की. 08 अक्टूबर, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम मशीन के विरोध में फैसला दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चुनाव आयोग और उस समय की कांग्रेस सरकार ने अमल नहीं किया. वामन मेश्राम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के विरोध में कॉन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट का केस दाखिल किया. जब करॅन्टेम्प्ट ऑफ कोर्ट का केस चंडीगढ़ हाई कोर्ट में दाखिल की थी तो उन्होंने कहा कि यह फैसला सुप्रीम कोर्ट का है. मगर हाँ यह चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है. चूँकि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है, इसलिए इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट ही करेगी. मगर हम बात को मानते हैं कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है, ऐसा चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने कहा था.
मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इस देश में कितनी भयंकर परिस्थिति है. लोग जैसे-जैसे जागृत हो रहे हैं, वैसे-वैसे चुनाव जीतने के लिए गलत तरीके का इस्तेमाल कर रहे है. 2014 के लोकसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने ईवीएम में घोटाले करने का अवसर होने के बावजूद भी इण्डियन एक्सप्रेस ने लिखा कि बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में तीस हजार करोड़ रूपये खर्च किया. तेरह हजार करोड़ रूपये कांग्रेस ने खर्चा किया. 16 मई को रिजल्ट आया और 17 मई को इण्डियन एक्सप्रेस का रिपोर्ट है. 2004 और 2009 में कांग्रेस ने ईवीएम में घोटाला करके चुनाव जीता, इसके सबूत सुब्रह्ममण्यम स्वामी, बीजेपी और आरएसएस के पास थे. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया था. कांग्रेस ने अपना बचाव करने के लिए बीजेपी और आरएसएस के साथ समझौता किया और इस समझौते के तहत 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को चुनाव जीतने में मदद की.
यह दूसरी परिस्थति बहुत ही भयंकर है. यह बताया जाना बहुत ही जरूरी है. एक तो केन्द्र में बीजेपी जाएगी तो कांग्रेस आएगी और कांग्रेस जाएगी तो बीजेपी आएगी. कोशिश ये हो रही है कि केन्द्र में भी उनका कब्जा हो और राज्यों में भी उनका ही कब्जा बना रहे. ये योजना बनाकर कोशिश हो रही है और इतने भयंकर तरीके से कोशिश हो रही है. ऐसे परिस्थिति में हमें फैसले लेने हैं. इन परिस्थिति को ध्यान में रखकर फैसले लेने होंगे. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखे बगैर आप और हम फैसला लेंगे, तो जो परिवर्तन हम लाना चाहते हैं, वह नहीं होगा. हम लोगों को भ्रम का शिकार होने का खतरा हो सकता है. अगर ‘‘अब भी ईवीएम मशीन के खिलाफ सड़कों पर आकर आंदोलन नहीं किया तो याद रखना भारत से लोकतंत्र की अर्थी उठेगी’’
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