चोरी-चोरी चुपके.....
एक और बड़ा घोटाला...
मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक का 200 टन सोना चोरी छुपे भेजा दिया विदेश
राजकुमार (दैनिक मूलनिवासी नायक)
♦ जिस तरह से मोदी सरकार ने चोरी चुपके 200 टन सोना विदेश भेज दिया है, ठीक ऐसा ही रवैया कालेधन के नाम पर भी किया था. नोटबंदी से पहले ही मोदी सरकार ने अपने चहेतों को बचाने के लिए उनके कालेधन को लिबेरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत करीब 30,000 करोड़ रूपये विदेश भेज दिया था, जिसकी जानकारी किसी को नहीं चल सकी.
चोरी-चोरी चुपके-चुपके.....मोदी सरकार देश का दिवालिया निकालती रही है और अपने देश की जनता के सामने झूठे विकास का ढिंढोरा पीटती रही. जबकि जमीनी हकीकत यह है कि केन्द्र की सत्ता पर जब से संघ संचालित मोदी सरकार का अनियंत्रित कब्जा हुआ है तब से संघ संचालित मोदी सरकार ने देश को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हर दिन बैंक घोटाले, रेल घोटाले, फंड घोटाले, सोना घोटाले, राफेल घोटाले, स्पेक्ट्रम घोटाले और ईवीएम घोटालों ने रिकार्ड तोड़ दिया है. इन बड़े घोटालों से देश उबर भी नहीं पाया कि इसी बीच एक और बड़ा घोटाला सामने आ गया. नवनीत चतुर्वेदी ने दावा किया है कि मोदी सरकार ने चोरी-चुपके से रिर्जव बैंक का करीब 200 टन सोना विदेश भेज दिया है.
विशेष सूत्रों के अनुसार दिल्ली दक्षिण लोकसभा से चुनाव लड़ रहे नवनीत चतुर्वेदी ने सरकार और रिजर्व बैंक पर बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि रिजर्व बैंक का 200 टन सोना मोदी सरकार ने आते ही चोरी छुपे विदेश भेज दिया है. चतुर्वेदी ने कहा बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स (बीआईएस) जो स्विजरलैंड में है उसमें भेजा गया है. यह सोना विदेश में तब भेजा जाता है जब वहाँ से कर्ज लेना हो, डॉलर लेना हो या क्षमता से अधिक नोट छापना हो.
चतुर्वेदी का आरोप है, कि 1991 में जब देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था तब 45 टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड में गिरवी रखा गया था. 2015 में मोदी सरकार ने एक बार फिर देश का सोना विदेश के बैंक आप इंग्लैंड और बैंक आफ इंटरनेशनल सेटलमेंट में रख दिया था. चतुर्वेदी ने सरकार पर सवाल खड़ा किए कि इस तथ्य को मोदी सरकार ने क्यों छुपाया है? रिजर्व बैंक भी इस बात की जानकारी क्यों नहीं दे रहा है? नवनीत यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा एक साजिश के तहत मोदी सरकार ने विदेश में सोना भेजकर बहुत बड़ी गड़बड़ी की है. रिजर्व बैंक के रिकॉर्ड में, 30 जून 2014 तक सोना भारत में ही रखा हुआ था, उसके बाद 200 टन सोना विदेश गया है. वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक ने यह बात क्यों छुपाई? किस लिए सोना विदेश भेजा गया? यह कब वापस आएगा? यह जानकारी भी रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय नहीं दे रहा है.
नवनीत चतुर्वेदी एक पत्रकार भी हैं. उनका दावा है कि नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय जीएसपीसी के घोटाले को मैने उजागर किया था. उनका यह भी कहना कहना है कि राफेल का घोटाला भी उन्होंने ही उजागर किया था. नवनीत चतुर्वेदी का यह भी कहना है कि भाजपा के आंतरिक फंड में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले को उन्होंने उजागर किया था. इस सारे मामले को मोदी सरकार ने दबाकर रखा है.
जिस तरह से मोदी सरकार ने चोरी चुपके 200 टन सोना विदेश भेज दिया है, ठीक ऐसा ही रवैया कालेधन के नाम पर भी किया था. नोटबंदी से पहले ही मोदी सरकार ने अपने चहेतों को बचाने के लिए उनके कालेधन को लिबेरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत करीब 30,000 करोड़ रूपये विदेश भेज दिया था, जिसकी जानकारी किसी को नहीं चल सकी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक लिबेरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत विदेश में धन भेजन की सीमा सिर्फ 75 हजार डॉलर थी. मगर, भाजपा ने सत्ता में आने के एक हफ्ते के अंदर ही 03 जून 2014 को इसकी सीमा बढ़ाकर 125 डॉलर कर दी. यह मामला यही नहीं रूका, बल्कि 26 मई, 2015 को दोबारा इसकी सीमा को बढ़ाकर 250 हजार डॉलर कर दी. जिसका फायदा उठाते हुए पूँजीपतियों ने 500 व 1000 के नोट बंद होने से पहले ही करीब 30,000 करोड़ रूपये का कालाधन विदेशों में ट्रांसफर कर दिया. इस तरह से मोदी सरकार एक तरफ देश को बर्बाद कर रही है और दूसरी तरफ विकास का ढिंढोरा पीट रही है.
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