शुक्रवार, 3 मई 2019

सोने का सौदागर, सोने की तस्करी करती मोदी सरकार

सोने का सौदागर
सोने की तस्करी करती मोदी सरकार

 
राजकुमार (दैनिक मूलनिवासी नायक)

मोदी सरकार अपने ही देश में डकैती डाल देगी, शायद यह किसी ने नहीं सोथा होगा. लेकिन जिस तरह से मोदी सरकार ने चोरी चुपके से आरबीआई का करीब 200 टन सोना विदेशों में भेज दिया है. इस तरह से कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी चंबल के डाकूओं का बहुत बड़ा गिरोह बन गयी है. एक तरफ से सोना खरीद रही है और दूसरी तरफ से सोने का तस्करी कर रही है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 9 साल के दौरान भारत ने 50.94 टन सोना खरीदा है. मगर हाल ही में दिल्ली दक्षिण लोकसभा से चुनाव लड़ रहे नवनीत चतुर्वेदी ने सरकार और रिजर्व बैंक पर बड़े गंभीर आरोप लगाए हैं. चतुर्वेदी का दावा है कि रिजर्व बैंक का 200 टन सोना मोदी सरकार ने आते ही चोरी छुपे विदेश भेज दिया है. चतुर्वेदी का कहना है कि बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स (बीआईएस) जो स्विजरलैंड में है उसमें भेजा गया है. यह सोना विदेश में तब भेजा जाता है जब वहाँ से कर्ज लेना हो, डॉलर लेना हो या क्षमता से अधिक नोट छापना हो.

बता दें कि सोना खरीदना भारतीयों की पहली पसंद है. ये कहने की जरुरत नहीं है. यहाँ तो बस मौके का इंतजार रहता है, चाहे धनतेरस हो, नवरात्र हो, दिवाली हो, अक्षय तृतीया, किसी का जन्मदिन या फिर सालगिरह. तोहफे में देने के लिए गोल्ड को बेस्ट मानने वालों की कमी नहीं है. लेकिन देश में मोदी सरकार से बचकर रहने में ही भलाई है. क्योंकि मोदी सरकार सोने का सौदागर बन गयी है जो देश के ही सोने पर अपना हाथ साफ कर विदेशों में सप्लाई कर रही है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट कहती है कि पिछले 9 साल के दौरान भारत, रूस और कजाकिस्तान ने जमकर सोने की खरीदारी की है. इस दौरान भारत के सेंट्रल बैंक ने कुल 50.94 टन, रूस के सेंट्रल बैंक ने 1501 टन सोना और कजाकिस्तान ने 285.84 टन सोने की खरीदारी की है. हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्याज दरें बढ़ने के दौर में सोने की खरीदारी से भारतीय मुद्रा भंडार को मजबूती मिलेगी. ऐसे में भारत अपनी आर्थिक स्थिति को ज्यादा मजबूत कर पाएगा. अर्थशास्त्री कहते हैं कि आरबीआई के ज्यादा सोना खरीदने का मकसद देश को ग्लोबल रिस्क से बचाना है.
एसकॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने बताया कि अमेरिका ब्याज दरें बढ़ा रहा है. ऐसे में अमेरिकी डॉलर को मजबूती मिल रही है. भारतीय रुपया कमजोर हो रहा है. देश के पास सोना रहने पर किसी भी बड़ी आर्थिक और राजनीतिक समस्या से निपटा जा सकता है. आसिफ के मुताबिक, अगर दुनिया में जंग छिड़ जाती है तो करेंसी की कोई कीमत नहीं रह जाती है. ऐसे में सोना देकर ही हथियार और अन्य चीजें दूसरे देशों से खरीदी जाती हैं. मतलब साफ है कि सोना हमेशा से सेफ इन्वेस्टमेंट है.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट बताती हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा सोने का भंडार अमेरिका के पास है. अमेरिका के पास कुल 8,133.5 टन सोना रिजर्व में है. जर्मनी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने के भंडार रखने वाला देश है. जर्मनी की ऑफिशियल गोल्ड होल्डिंग 3,369.70 टन है. सोने का यह भंडार देश के विदेशी मुद्रा भंडार का 70 फीसदी है. अगर इटली की बात करें तो इटली के पास 2,451.8 टन सोना जमा है. यह सोना देश के विदेशी मुद्रा भंडार का 68 फीसदी है. वहीं, फ्रांस दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सोने का भंडार रखने वाला देश है. फ्रांस के पास 2,436 टन सोने का भंडार है. यह सोना फ्रांस के विदेशी मुद्रा भंडार का 63 फीसदी है. इस लिस्ट में भारत का नंबर 11वाँ है. भारत के पास फिलहाल 608.7 टन सोने का रिजर्व है.
बताते चलें कि 90 के दशक में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने ब्रिटेन में रिजर्व बैंक का सोना गिरवी रखकर कर्ज लेने का फैसला किया था. कहीं ऐसा तो नहीं है कि मोदी सरकार भी ऐसे ही करने जा रही है? मोदी सरकार ने बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स (बीआईएस) जो स्विजरलैंड में करीब 200 टन सोना भेज दिया है. क्या मोदी सरकार स्विटजरलैंड से अरबों का कर्ज लेने की तैयारी कर रही है? अब सवाल उठता है कि सेंट्रल बैंक सोना क्यों खरीद रहा हैं? हालांकि जिस तरह से मोदी
सरकार ने स्विटजरलैंड में 200 टन सोना भेजा है उस तरह से तो यही लग रहा है कि मोदी सरकार एक तरफ से सोना खरीद कर दूसरी तरफ तस्करी कर रही है. इससे यह साबित होता है कि मोदी सरकार ने पाँच साल में सबसे ज्यादा सोना खरीदने और तस्करी करते आ रही है. निश्चित तौर से देश की जनता को मोदी सरकार से सतर्क रहने की जरूरत है. वर्ना मोदी सरकार कभी भी कानून बनाकर आम जनता के भी सोने पर हाथ साफ कर सकती है.
                                          

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