राजकुमार (संपादक, दैनिक मूलनिवासी नायक)
देश की मीडिया मौजूदा सरकार की दलाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. दलाली की भी एक हद होती है, मगर मीडिया ने दलाली की सभी हदों को पार कर चुका है. ईवीएम घोटाले से बीजेपी की पुनः सत्ता वापसी पर बीजेपी समर्थकों में जश्न मनाने से पहले ही दलाल मीडिया में जश्न मनाया जा रहा है, इसका उदाहरण यह तस्वीर दे रहा है. जरा गौर से इस तस्वीर को देखें कि एनडीए की जीत पर कैसे दलाल मीडिया में मिठाईयाँ बांटी जा रही है और एक दूसरे का मुँह मीठा किया जा रहा है. इनकी खुशियों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे सरकार, भाजपा की नहीं, इन दलाल मीडिया वालों की बनी है.
बता दें कि बीजेपी की दलाली करने में पत्रकार भूल चुके हैं कि वह लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. पत्रकारों का रवैया भी ऐसा हो चुका है जैसे वे पत्रकारिता नहीं, राजनीति कर रहे हैं. वे बीजेपी के पक्ष में आपस में ही सवाल पूछ रहे हैं और खुद आपस में जवाब भी दे रहे हैं. दूसरों से बातचीत के दौरान जैसे ही बात ईवीएम घोटाला, लोकतंत्र, संविधान की हत्या की शुरू होती है वैसे ही दलाल पत्रकार उस बात को काटते हुए दूसरी तस्वीर पेश कर दे रहे हैं.
इसके अलावा दलाल पत्रकार जनता पर तंज कसते हुए बात कर रहे हैं, जैसे लगता है कि बीजेपी के विरोध का वे बदला ले रहे हैं. यही नहीं बीजेपी के पक्ष में ऐसे बात कर रहे हैं. दलाली की हद तो तब और ज्यादा हो गयी जब दलाल पत्रकार बीजपी समर्थकों को सलाह दे रहे हैं कि वे ढोल-नगारों के साथ जश्न मनाएं. यदि देखा जाए तो ईवीएम घोटाले में दलाल मीडिया भी पूरी तरह से शामिल है. इसलिए भारतीय मीडिया पत्रकारिता करने के बजाए सरकार की दलाली कर रहा है और एनडीए के जीत का जश्न मना रहा है.
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